चुनाव हारने के बाद अब विपक्षी दल हार पर मंडन करने में जुटे
रोहित रोहिला, चंडीगढ़।
Punjab Election Result 2022 Analysis पंजाब के लोगों ने अब सूबे को ‘आप’ (Aam Aadmi Party) के हवाले कर दिया है, लेकिन इस चुनाव में हारने वाले विपक्षी दल जहां एक और अब हार को लेकर मंथन करने में जुट गए हैं, वहीं दूसरी और ‘आप’ सूबे में अपनी सरकार बनाने का दावा पेश करने की तैयारी कर रही है, लेकिन यह बात सब जानना चाहते हैं कि आखिरकार कांग्रेस, शिअद और भाजपा की हार की वजह क्या रही है, कैसे ‘आप’ को इतना प्रचंड बहुमत मिला। इस चुनाव में दिग्गज नेता हार गए, जिनके हारने की सूबे के लोगों तक को उम्मीद नहीं थी। इन नेताओं को भी अब विधानसभा पहुंचने से ‘आप’ ने रोक दिया है।
सूबे में ‘आप’ का प्रचंड बहुमत मिलने की एक सबसे बड़ी वजह यह रही कि इस बार सूबे के लोग बदलाव के मूड़ में आते हुए ‘आप’ को एक मौका देने में थे। सूबे के लोगों ने शिअद और कांग्रेस के राज को भी देखा है। लेकिन अब इन दलों से लोगों का यकीन उठ सा गया था, जिसकी वजह से इस बार सूबे के लोगों ने ‘आप’ को मौका देने का मन बना लिया था। इसके अलावा ‘आप’ ने जमीनी स्तर पर पार्टी और अपने उम्मीदवारों को उतारने से पहले जमीनी हकीकत को जानने के लिए एक दो नहीं बल्कि कई सर्वे भी करवाए थे। इतना ही नहीं, इन सर्वे में बकायदा इन बातों को भी जाना गया था कि क्या सूबे के लोग कांग्रेस और शिअद के नेताओं से नाराज हैं और कितने नाराज हैं। वहीं ‘आप’ की ओर से सूबे के लोगों को सुशासन और जमीनी स्तर पर काम करके दिखाने का वादा भी किया गया है। ‘आप’ ने पंजाब को दिल्ली मॉडल दिखाया है।
शिरोमणि अकाली दल की विधानसभा चुनाव 2022 के चुनाव में हार की मुख्य वजह यह रही कि सूबे के लोग बेअदबी मामलों में कोई ठोस कार्रवाई नहीं होने से भी नाराज थे। इसके बाद कृषि कानूनों को लेकर भी किसान वर्ग में शिअद (shiromani akali dal) को लेकर नाराजगी दिखाई दी। बेशक शिअद में इस मुद्दे पर अपना स्टैंंड क्लीयर करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने अपना इस्तीफा दे दिया हो, लेकिन खासतौर पर कुछ किसान इससे नाराज नजर आए थे। इसके अलावा शिअद की हार की एक मुख्य वजह बीजेपी वोट बैंक के खिसकने की वजह भी बनी। बीजेपी से गठबंधन के वक्त बीजेपी का पूरा वोट बैंक शिअद को ट्रांसफर हो जाता था, लेकिन इस बार बीजेपी ने अपने उम्मीदवार भी चुनाव मैदान में उतारे थे। इसके अलावा नशा, माफिया एवं अन्य मुद्दों को लेकर भी लोगों ने कांग्रेस, भाजपा और शिअद के खिलाफ मतदान किया। इसके अलावा पंथ का वोट बैंक भी खिसका है।
कांग्रेस (Congress) की हार की सबसे बड़ी वजह पार्टी की अंदरूनी कलह रही। लोगों की कांग्रेस से नाराजगी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सूबे के लोगों ने पार्टी के मंत्रियों और यहां तक की सीएम पद के उम्मीदवार को दोनों सीटों और कांग्रेस प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू तक को घर बिठा दिया। कांग्रेस की ओर से वर्ष 2017 के चुनावों में जो चुनावी वादे किए गए थे, उसे जमीनी स्तर पर पूरा नहीं किए जाने और माफिया राज को खत्म करने पर भी नाकाम रहने पर लोगों ने अपना फतवा कांग्रेस के खिलाफ दिया। इसके अलावा ईडी रेड मामले में चन्नी के रिश्तेदारों का नाम आने से भी पार्टी को चुनाव में नुकसान उठाना पड़ा। पार्टी की चन्नी के 111 दिन के कार्यकाल और दलित कार्ड को खेल कर चुनाव जीतना चाहती थी, लेकिन 111 दिनों के कार्यकाल के कई वादे जमीनी स्तर पर खरे नहीं उतरे।
केंद्र द्वारा कृषि कानूनों को लेकर सूबे के किसान वर्ग के अलवा अन्य लोग बीजेपी (BJP) से भी नाराज थे। बीजेपी का इन कृषि कानूनों को लेकर सूबे में जमकर विरोध हुआ और बीजेपी नेताओं को चुनाव से पहले और चुनाव के दौरान भी इन कृषि कानूनों को लेकर विरोध झेलना पड़ा। इसके अलावा पहले भी बीजेपी गठबंधन में कुछ ही सीटों पर चुनाव लड़ती थी। पहली बार बीजेपी शिअद गठबंधन के बिना चुनाव लड़ी है और बीजेपी का केवल कुछ ही सीटों एवं हिंदू वोट बैंक पर चुनाव लड़ती थी। इस बार पार्टी का यह वोट बैंक भी खिसका है। इसके अलावा पार्टी ने पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह की पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था, लेकिन यह पार्टी भी नई थी और पार्टी को उम्मीदों के मुताबिक वोट नहीं मिल सकें।
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