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Russia Ukraine 41st Day Of War क्या शर्तें जिससे रुक सकता है युद्ध

Russia Ukraine 41st Day Of War

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Russia Ukraine 41st Day Of War: रूस यूक्रेन का युद्ध आज 41वां दिन भी जारी है। (russia ukraine war situation) रूसी सेना धीरे-धीरे यूक्रेन के कुछ इलाकों से पीछे हट रही है, जिसके बाद इन जगहों की तबाही का मंजर सामने आ रहा है। वहीं यूक्रेन ने बूचा शहर में रूसी सेनाओं पर नरसंहार का आरोप लगाया है। उधर रूस-यूक्रेन के बीच बातचीत में कुछ शर्तों पर समझौते की उम्मीद भी जगी है। तो आइए जानते हैं क्या शर्तें हैं जिससे रुक सकता है युद्ध। कहां रूस को यूक्रेन की फौजों से मिली टक्कर। रूस का यूक्रेन के किन इलाकों पर है कब्जा। russia ukraine war situation

क्या यूक्रेन ने रूसी सीमा पर पहली बार बोला किया

 

बताया जा रहा है जब से रूस और यूक्रेन का युद्ध शुरू हुआ है तब से लेकर रूस ने यूक्रेन को काफी नुकसान पहुंचाया है। ये पहली बार है जब बीते दिनों को यूक्रेन ने रूसी सीमा के अंदर हमला बोलते हुए एक फ्यूल डिपो को उड़ा दिया। रूस के मुताबिक, पश्चिमी रूस के बेलगॉरॉड शहर स्थित एक फ्यूल स्टोरेज डिपो पर यूक्रेनी हेलिकॉप्टर ने बम गिराए। यूक्रेन ने न तो इस हमले की पुष्टि की है और न ही इसका खंडन किया है।

क्या रूस का पीछे हटना कोई चाल है?

 

रूस ने इस हफ्ते की शुरूआत में कहा था कि वह यूक्रेन के उत्तरी इलाके में अपना सैन्य अभियान रोकेगा, जिससे शांति की बातचीत को आगे बढ़ाया जा सके। साथ ही इससे वह अपना ध्यान लुहांस्क और डोनेट्स्क इलाकों वाले पूर्वी यूक्रेन पर लगा पाएगा। रिपोर्ट्स अनुसार, पश्चिमी देशों और यूक्रेन के कई अधिकारियों ने रूस की इस घोषणा पर संदेह जताते हुए कहा है कि वास्तव में रूस उत्तरी यूक्रेन के इलाकों में अपनी फौजों को हथियार और फ्यूल समेत अन्य लॉजिस्टिक्स पहुंचाने के लिए ही पीछे हटने का दिखावा कर रहा है।

किन शर्तों पर हो सकता है समझौता?  (Russia Ukraine 41st Day Of War)

 

  • हाल ही में तुर्की में रूस-यूक्रेन के बीच हुई बातचीत में कुछ ऐसे मुद्दे सामने आए, जिससे इन दोनों देशों के बीच समझौता हो सकता है। समझौता प्रस्ताव में यूक्रेन ने कहा कि वह अपना न्यूट्रल यानी तटस्थ देश का दर्जा बनाए रखेगा और नाटो समेत किसी भी पश्चिमी देश के सैन्य बेस को अपने देश में नहीं बनने देगा। यानी यूक्रेन का कहना है कि वह नाटो से नहीं जुड़ेगा।
  • रूस के यूक्रेन पर हमले की सबसे प्रमुख वजह यूक्रेन के नाटो से जुड़ने की इच्छा रही है। साथ ही यूक्रेन ने अपने लिए सुरक्षा की गारंटी मांगी है और इसके लिए इजराइल और नाटो सदस्यों कनाडा, पोलैंड और तुर्की का नाम लिया है। उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी में रूस, अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी और इटली भी शामिल हो सकते हैं।
  • प्रस्ताव अनुसार, क्रीमिया के दर्जे को लेकर 15 साल की परामर्श अवधि की बात कही गई है, लेकिन ये तभी होगा, जब पूर्ण संघर्ष-विराम हो जाए। यूक्रेन का हिस्सा रहे क्रीमिया पर 2014 में रूस ने कब्जा कर लिया था। वहीं यूक्रेन के लुहांस्क और डोनेट्स्क को लेकर फैसला रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की के बीच बातचीत से होगा। लुहांस्क और डोनेट्स्क के बड़े हिस्से पर 2014 से ही रूस समर्थित अलगाववादियों का कब्जा है।

यूक्रेन ने किन शहरों में की वापसी, कहां-कहां चल रही लड़ाई?

  • आपको बता दें कि राजधानी कीव के आसपास के इलाकों पर यूक्रेन ने जोरदार वापसी की हैं। यूक्रेन के खिलाफ 24 फरवरी को युद्ध छेड़ने के बाद से रूस को अपने से 30 गुना छोटे देश में आगे बढ़ने में दिक्कतें आई हैं। राजधानी कीव में भारी गोलाबारी जारी है। रूसी सेनाएं न्यूक्लियर प्लांट चेर्नोबिल के इलाके से भी हट रही हैं।
  • हालांकि, वह कई यूक्रेनी सैनिकों को बंधक बनाकर साथ ले गई हैं। पोर्ट सिटी मारियुपोल में रूस ने अपनी पकड़ काफी मजूबत कर ली है और इस पर जल्द ही उसका कब्जा होने की संभावना है। डोनबास इलाके में यूक्रेनी सेनाएं रूस के हमले का जोरदार जबाव दे रही हैं। जॉर्जिया की तरफ से रूस यूक्रेन में फिर से अपनी सेनाओं की तैनाती कर रहा है।
  • हाल के दिनों में रूसी सेनाओं की पकड़ कीव के आसपास के इलाकों पर ढीली पड़ी है। शुरू में रूसी सेनाओं ने कीव को चारों ओर से घेरने की योजना बनाई थी, लेकिन यूक्रेन की जोरदार जवाबी कार्रवाई ने उसकी योजना पर पानी फेर दिया है। यूक्रेनी सेनाओं ने रूसी फौजों को कीव के बाहरी इलाकों में स्थित कई क्षेत्रों में सफलतापूर्वक पीछे धकेल दिया है। इनमें कीव के पश्चिम में लगभग 20 किलोमीटर दूरी पर स्थित इरपिन शहर भी शामिल है, जहां यूक्रेनी सेनाओं ने फिर कब्जा जमा लिया है।
  • यूक्रेनी सेना के ये जवाबी हमले रूसी सेना को सेंट्रल कीव की सीमा से और दूर धकेल रहे हैं। हालांकि, कीव में अब भी गोलीबारी जारी है क्योंकि रूसी सेना अपनी पकड़ वाले इलाकों में अपनी स्थिति कमजोर नहीं पड़ने देना चाहती है। रूसी सेना का पूर्व की ओर से कीव की ओर बढ़ना इसलिए कामयाब नहीं हो पाया क्योंकि वह चेर्निहीव शहर पर कब्जा करने में नाकाम रही। चेर्निहीव उत्तर-पूर्व में एक महत्वपूर्ण शहर है, जोकि कीव और रूसी बॉर्डर के बीच में है।
  • हाल के दिनों में रूसी सेना ने चेर्निहीव पर जमकर बमबारी की है। लेकिन इंस्टीट्यूट फॉर स्टडी आॅफ वॉर का मानना है कि रूस चेर्निहीव, कीव, सूमी और चेर्नोबिल से अपनी सेनाएं हटा रहा है, ताकि उन्हें यूक्रेन के पूर्वी हिस्से (लुहांस्कक, डोनेट्सक) में तैनात कर सके।

यूक्रेन में रूस की पकड़ कहां मजबूत है?  (Russia Ukraine 41st Day Of War)

  • यूक्रेन से लड़ाई में रूस सबसे मजबूत दक्षिणी इलाके में नजर आया है। इस इलाके में रूस का प्रमुख उद्देश्य क्रीमिया से लेकर रूसी समर्थित अलगाववादियों द्वारा प्रशासित लुहांस्क और डोनेट्स्क इलाकों तक एक लैंड कॉरिडोर बनाना है। रूस की इस योजना के रास्ते में पोर्ट सिटी मारियुपोल है। रूसी सेनाओं ने इस शहर को मार्च की शुरूआत से ही घेर रखा है और अब इसे जीतने के करीब हैं।
  • जानकारों का कहना है कि यूक्रेन के बाकी हिस्सों में लगे झटकों के बाद अब रूसी सेनाओं का लक्ष्य पूर्वी यूक्रेन पर पूर्ण नियंत्रण स्थापित करना है और उनका लक्ष्य डोनबास इलाके की पूर्ण आजादी है। डोनबास इलाके का मतलब यूक्रेन के पूर्वी इलाके लुहांस्क और डोनेट्स्क से है, जहां 2014 से ही रूस समर्थित अलगाववादियों ने एक बड़े हिस्से पर कब्जा जमा रखा है।
  • डोनबास इलाकों को चारों ओर से घेरने के लिए रूसी सेनाएं खार्कीव से उत्तर की ओर दक्षिण से मारियुपोल की तरफ बढ़ रही हैं। लेकिन यूक्रेनी सेनाओं ने रूस के कई हालिया हमलों को नाकाम कर दिया है, खासतौर पर रुबिजन शहर के आसपास। इसी वजह से इस इलाके में रूसी सेना हाल के दिनों में बहुत आगे नहीं बढ़ पाई है।

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