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Russia Yakutsk City : खून जमा देने वाली ठंड में भी मुस्करा रहे लोग

  • Photos में देखिए -40 डिग्री तापमान में कैसे रहते हैं लोग

इंडिया न्यूज़, Russia Yakutsk City : विश्व में बहुत सारे ऐसे क्षेत्र हैं जहां की भूगोलिक परिस्थितियां जन जीवन के विपरीत हैं। हैरानी की बात यह है कि वहां पर इंसान ने अपनी हिम्मत और जीवटता का परिचय देकर न केवल घर बनाए बल्कि वहां पर सफलता पूर्वक रह भी रहा है। रूस के एक ऐसे क्षेत्र के बारे में जहां तापमान -40 डिग्री से भी नीचे हैं। दूर दूर तक बर्फ के चादर ही दिखाई देती है। यहां लोग कई कई दिनों तक अपने घरों से बाहर नहीं निकलते हैं।

Russia Yakutsk City

यह रूस याकूत्स्क शहर है जो कि लेना नदी (Lena River) के पास बसा है। ये दुनिया का इकलौता ऐसा शहर है, जहां साल के अधिकांश दिन खून जमा देने वाली ठंड से भरे रहते हैं. जहां एक आम इंसान जाने से भी कतरा जाए। साइबेरिया क्षेत्र में पड़ने वाले इस शहर में गर्मी के मौसम में भी पारा 10 डिग्री से नीचे रहता है। ऐसे शहर में आखिर लोग कैसे रहते हैं और कैसी होती है उनकी रोज़ाना की जिंदगी?

3.60 लाख है आबादी

Russia Yakutsk City

याकुत्सक, दुनिया का सबसे ठंडा इंसानी इलाका भी माना जाता है। यहां की आबादी करीब 3.60 लाख है। इस शहर में अक्टूबर से अप्रैल तक 7 महीने सर्दियों में मुश्किल बढ़ जाती है, लेकिन जिंदगी के रंग-उमंग में कोई कमी नहीं। यहां से हजार किमी दूर ओमीकोन में तो तापमान -60 डिग्री तक चला जाता है। दूसरी ओर, जुलाई में याकुत्सक में पारा 24 डिग्री पर आ जाता है। लेकिन एक ही पल में ठंड इतनी बढ़ सकती है कि पूरी सुरक्षा के बाद भी आप उस ठंड को नहीं रोक पाएं।

पानी के लिए तोड़ते हैं बर्फ के टुकड़े

Russia Yakutsk City

याकुत्सक शहर में लोग पीने के पानी के लिए जमी हुई नदी से बर्फ के टुकड़े तोड़ लाते हैं। उन्हें गर्म करके पानी मिलता है। सर्दी के दौर में यहां खाने-पीने की चीजों से लेकर हर चीज बर्फ नहीं, ठंडे पत्थर जैसी सख्त हो जाती है। महज 10 मिनट बाहर रहने पर भी ज्यादा थकान लगती है। 20 मिनट में चेहरा और अंगुलियां सुन्न हो सकती हैं। इसलिए किसी भी हाल में लोग आधे घंटे से ज्यादा बाहर नहीं रहते।

Russia Yakutsk City

वहीं बदकिस्मती से अगर आप पर्याप्त कपड़ों के बिना बहार चले गए तो ठंड से आपका पूरा शरीर ही टूट जाएगा। अपने इसी मौसम की वजह से याकूत्स्क को एक ख़तरनाक शहर भी माना जाता है। क्योंकि यहां ज्यादातर वक़्त रास्ते बर्फ़ से ढके रहते हैं, इसलिए लोग राशन और जरूरी सामग्री को पहले ही जमा करके रख देते हैं। आम जनजीवन चलाना यहां किसी चुनौती से कम नहीं है। हालांकि, कई साल की मशक्कत के बाद यहां के लोगों ने जीने के तरीके को ही बदल लिया है।

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