India News (इंडिया न्यूज),Separate Toilets for Transgenders, गुजरात : गुजरात उच्च न्यायालय ने गुजरात में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए अलग शौचालय की मांग करने वाली एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर केंद्र और राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश ए जे देसाई और न्यायमूर्ति बीरेन वैष्णव की पीठ ने अधिकारियों से 16 जून, तक याचिका का जवाब देने को कहा है।
याचिकाकर्ता (डॉ. स्नेहा त्रिवेदी) की ओर से फिजियोथेरेपिस्ट एडवोकेट विलाव भाटिया कहा किया कि पुरुष या महिला के लिए सार्वजनिक शौचालय हैं, लेकिन ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए गुजरात में एक भी शौचालय नहीं है, जो तीसरे लिंग का गठन करते हैं। त्रिवेदी ने अपनी याचिका में कहा कि लिंग की परवाह किए बिना हर इंसान के कुछ बुनियादी मानवाधिकार हैं, जिनमें से एक अलग सार्वजनिक शौचालयों का उपयोग करने की क्षमता है। उन्होंने तर्क दिया कि एक लिंग को दूसरे के लिए डिज़ाइन किए गए सार्वजनिक शौचालय का उपयोग करने के लिए कहना मौलिक या नैतिक रूप से विवेकपूर्ण या सही नहीं है। याचिका में यह भी कहा गया है कि NALSA बनाम भारत संघ में, सुप्रीम कोर्ट ने ट्रांसजेंडर लोगों को हमारे देश में तीसरे लिंग के रूप में मान्यता दी, उन्हें समान अधिकार और उपचार का अधिकार दिया। NALSA के फैसले में, शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार और राज्यों को अस्पतालों में ट्रांसजेंडर लोगों को चिकित्सा देखभाल और अलग सार्वजनिक शौचालय प्रदान करने के लिए उचित कदम उठाने का आदेश दिया था।
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