India News Haryana (इंडिया न्यूज), Keral Birth Rate: दुनिया के कई देशों में घटती जनसंख्या एक गंभीर समस्या बन चुकी है। दक्षिण कोरिया, जापान और यूरोपीय देशों की जनसंख्या में तेज़ी से गिरावट के कारण वहां सामाजिक और आर्थिक चुनौतियां पैदा हो रही हैं। अब इसी तरह की समस्या भारत में भी देखने को मिल रही है, खासकर केरल जैसे विकसित राज्य में।
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केरल को अक्सर ‘भारत का यूरोप’ कहा जाता है। इसकी वजह है यहां की उच्च स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और बेहतर जीवन स्तर। लेकिन समय के साथ यहां प्रजनन दर में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। आंकड़ों के अनुसार, केरल में बर्थ रेट 2018 के बाद से लगातार गिर रहा है। साल 2021 में केवल 419,767 जन्म दर्ज किए गए, जो पहले के मुकाबले काफी कम है।
जनसंख्या वैज्ञानिकों के अनुसार, किसी भी राज्य की जनसंख्या को स्थिर रखने के लिए प्रजनन दर 2.1 होनी चाहिए। इसका मतलब है कि औसतन हर महिला को 2.1 बच्चों को जन्म देना चाहिए। केरल ने 1987-88 में यह दर हासिल कर ली थी, लेकिन तब से यहां गिरावट का सिलसिला शुरू हो गया।
केरल में लगभग सभी बच्चे अस्पतालों में जन्म लेते हैं और यहां की शिशु मृत्यु दर यूरोपीय देशों के समान है। प्रति हज़ार जन्म पर शिशु मृत्यु दर केवल छह है, जबकि राष्ट्रीय औसत 30 है। बावजूद इसके, केरल में पैदा होने वाले बच्चों की संख्या चिंताजनक रूप से कम हो रही है। विशेषज्ञ मानते हैं कि महामारी के बाद यह समस्या और गहरी हो गई है।
केरल की जनसंख्या पिछले तीन दशकों से स्थिर बनी हुई है। लेकिन नए जन्मों की संख्या में गिरावट से भविष्य में राज्य को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। यह स्थिति न केवल केरल बल्कि पूरे देश के लिए एक चेतावनी है कि जनसंख्या संतुलन को बनाए रखने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएं। केरल, जो देश के सबसे विकसित राज्यों में गिना जाता है, वहां की प्रजनन दर में गिरावट भारत के लिए गंभीर चिंता का विषय है। इस समस्या का समाधान निकालने के लिए सरकार और समाज को मिलकर प्रयास करने की जरूरत है।
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