SKM Emergency Meeting आज खत्म हो सकता है किसान आंदोलन

इंडिया न्यूज़, नई दिल्ली।

SKM Emergency Meeting करीब एक साल बाद आज किसान आंदोलन समाप्त करने की घोषणा संयुक्त किसान मोर्चा जल्द ही कर सकता है। इसके लिए एसकेएम की 5 सदस्यीय कमेटी की बैठक होने जा रही है। इससे पहले किसानों की ओर से सरकार को कहा गया था कि हम आंदोलन खत्म करने के लिए राजी हैं, लेकिन पहले किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लिए जाएं। बता दें कि तीन कृषि कानूनों को रद्द करने और एमएसपी पर कानून बनाने सहित अन्य मांगों पर समिति गठित करने की बात केंद्र पहले ही कर चुका है।

Peasant movement in the last phase

एमएसपी पर गठित समिति में अन्य किसान संगठन भी शामिल होंगे (SKM Emergency Meeting)

Peasant movement in the last phase: किसान संगठन शुरू से ही तीन कृषि कानूनों व एमएसपी पर कानून बनाने की मांग पर अड़े हैं। वहीं संयुक्त किसान मोर्चा के नेता अशोक दावले ने माना है कि गृह मंत्रालय की ओर से प्रस्ताव आया है, लेकिन इसमें कुछ बिंदुओं पर स्पष्टता नहीं है। ऐसे में मोर्चा और सरकार दोनों का मानना है कि यह प्रस्ताव अंतिम नहीं है। इसमें और संशोधन किया जा सकता है। बलबीर सिंह राजेवाल ने बताया कि केंद्र के प्रस्ताव में उल्लेख है कि एमएसपी पर गठित होने वाली समिति में संयुक्त किसान मोर्चा के अलावा दूसरे किसान संगठनों को भी शामिल किया जाएगा।

Peasant movement in the last phase

केंद्र के प्रस्ताव पर किसानों का पेंच फंसा (SKM Emergency Meeting)

प्रस्ताव- 1 : प्रधानमंत्री और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने एमएसपी पर समिति गठित करने की बात कही है। जिसमें राज्य सरकार और केंद्र सरकार के अलावा किसान संगठनों के प्रतिनिधि व कृषि वैज्ञानिक शामिल करने की बात कही गई है।
किसानों का कहना:  संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है कि इस समिति में उन संगठनों का प्रतिनीधि शामिल नहीं किया जाना चाहिए जो सरकार के पक्ष में आकर आंदोलन को समाप्त करना चाहते हैं। इसमें केवल उन संगठनों को शामिल किया जाए जो एक साल से किसान आंदोलन का हिस्सा रहे हैं।

Peasant movement in the last phase

प्रस्ताव-2 : किसानों पर आंदोलन के दौरान जो मुकदमे दर्ज हुए थे उन्हें वापस लेने के लिए हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकार ने पहले ही वापस लेने की बात कह दी है। वहीं दोनों राज्यों की सरकारों ने कहा है कि आंदोलन समाप्ती के तुरंत बाद ही किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लिए जाएंगे।

किसानों का कहना: संयुक्त किसान मोर्चे का कहना है कि हमारे पहले के अनुभव काफी कड़वे रहे हैं। सरकार कहती कुछ है और करती कुछ है। जब तक सरकार को मुकदमे समाप्त करने की प्रक्रिया शुरू करने की समय-सीमा निर्धारित नहीं करती तब तक आंदोलन जारी रहेगा। क्योंकि कई राज्य सरकारों ने मुकदमे वापस लेने की घोषणा तो की लेकिन आजतक काम नहीं किया गया।

Peasant movement in the last phase

प्रस्ताव- 3 : किसान आंदोलन में जान गंवाने वाले किसानों को मुआवजे देने की बात उत्तर प्रदेश सरकार और हरियाणा ने सैद्धांतिक सहमति दे दी है। वहीं इस संबंध में पंजाब सरकार ने भी सार्वजनिक घोषणा कर दी है।

किसानों का कहना : केंद्र सरकार सैद्धांतिक सहमति देने के बजाए पंजाब मॉडल की तर्ज पर मृतक किसान परिवार को पांच लाख का मुआवजा व एक सदस्य को नौकरी देने की लिखित में गारंटी दे तो आंदोलन को खत्म करने के बारे में सोचा जा सकता है।

Peasant movement in the last phase

प्रस्ताव-4 : जहां तक बिजली बिल का सवाल है, संसद में पेश करने से पहले सभी स्टेक होल्डर्स के अभिप्राय लिए जाएंगे।

किसानों का कहना : हमारी पूर्व में सरकार के साथ बैठक हुई थी जिसमें तय हुआ था कि सरकार उक्त बिल को संसद में लेकर नहीं आएगी। लेकिन संसद की सूची में उक्त बिल अभी भी सूचीबद्ध किए गए हैं। इन बिलों से आम पब्लिक के साथ-साथ किसानों पर बिजली के बिलों का अतिरिक्त बोझ बढ़ जाएगा।

Peasant movement in the last phase

प्रस्ताव-5 : जहां तक पराली के मुद्दे का सवाल है, भारत सरकार ने जो कानून पारित किया है, उसकी धारा 14 व 15 में क्रिमिनल लायबिलिटी से किसान को मुक्त दी है।

किसानों का कहना : आपके द्वारा बनाए गए बिल के बिंदु नंबर 15 में ही ऐसा करने पर किसानों पर जुर्माना व सजा देने का भी प्रावधान है उसका क्या होगा।

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Amit Sood

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