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अक्टूबर व नवंबर में पंजाब में 36449 और हरियाणा में महज 2228 पराली जलाने के मामले रिपोर्ट हुए
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मामले पर जमकर होती रही है सियासत, अबकी बार आप ने दिल्ली के पॉल्यूशन के लिए पंजाब को जिम्मेदारी नहीं ठहराया
डॉ. रविंद्र मलिक, India News (इंडिया न्यूज), Stubble Burning Incidents : दिल्ली में बढ़ता पॉल्यूशन हमेशा से ही एक चिंतन व चर्चा का विषय रहा है। दिल्ली की आप सरकार ने अबकी बार पंजाब को दिल्ली के पॉल्यूशन के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया। कारण रहा है दिल्ली व पंजाब दोनों ही जगह आप की सरकार है।
इसी कड़ी में पराली जलाने की घटनाओं को लेकर केंद्र सरकार ने आंकड़े जारी किए हैं। अक्टूबर और नवंबर में 2 महीने में पराली जलाने की घटनाओं में पूर्व के वर्षों की तुलना में एक चौथाई से भी ज्यादा कमी दर्ज की गई है जो कहीं न कहीं राहत देने वाली है। लेकिन चिंतनीय विषय ये है कि दो महीने की अवधि में अकेले पंजाब में 36 हजार से भी ज्यादा पराली जलाने की घटनाएं रिपोर्ट हुई हैं। दिल्ली के वायु प्रदूषण पर हरियाणा व पंजाब की सियासी जमीन में काफी हलचल रहती है।
हरियाणा में महज 2228 मामले
हरियाणा में दो महीने की अवधि में पराली जलाने के बेहद कम मामले रिपोर्ट हुए हैं। राज्य सरकार द्वारा गए उठाए गए कदमों के चलते भी ऐसा संभव हो पाया है। आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में अक्टूबर व नवंबर दो महीने की अवधि में 2229 मामले रिपोर्ट हुए हैं और इस लिहाज से दो महीने की अवधि में औसतन हर रोज 35 से 40 पराली जलाने के मामले सामने आए हैं। इसके पीछे मुख्य रूप से पराली के उचित प्रबंधन के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम हैं। इसके अलावा पराली न जलाने के लिए प्रति एकड़ वित्तीय सहायता और किसानों से पराली खरीदने के इंतजाम भी हरियाणा सरकार द्वारा किए गए हैं।
पंजाब में 36,449 मामले दो महीने में, हर रोज करीब 600 मामले
वहीं पड़ोसी पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं के मामले में हरियाणा कहीं बेहतर स्थिति में है। दो महीने में हरियाणा में रिपोर्ट हुई महज 2228 घटनाओं की तुलना में पंजाब में इतनी ही अवधि में 36,449 घटनाएं रिपोर्ट हुई हैं। इस लिहाज से पंजाब में करीब 600 पराली जलाने के मामले रिपोर्ट हुए हैं। हरियाणा सरकार ने वहां पराली जलाने की घटनाओं को लेकर कहा कि जिस तरह के प्रयास यहां किए गए हैं, वैसे प्रयास पंजाब सरकार द्वारा नहीं किए गए। हालांकि पंजाब द्वारा भी वहां पराली की घटनाओं में कमी आने का दावा किया गया है, लेकिन अभी व्यापक सुधार की जरूरत है।
राजस्थान, पश्चिमी यूपी और दिल्ली में 250 से नीचे मामले
पंजाब व हरियाणा जहां पराली के मामलों में पहले व दूसरे स्थान पर है तो वहीं बाकी राज्य इस मामले में कहीं पीछे हैं। पश्चिमी यूपी की बात करें तो यहां पराली जलाने के 2 महीने में 209 मामले रिपोर्ट हुए हैं। वहीं खुद दिल्ली में महज 4 घटनाएं रिपोर्ट हुई हैं और राजस्थान में 2 मामले रिपोर्ट हुए हैं।
दो वर्षों में पराली जलाने की घटनाओं में 27 फीसदी तक की कमी
केंद्र सरकार के अनुसार एनसीआर और निकटवर्ती क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग ने दिल्ली एनसीआर और आसपास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण के लिए एक कार्य ढांचा उपलब्ध कराया है, जिसके तहत एनसीटी दिल्ली की वायु गुणवत्ता का प्रबंधन किया जाता है। आगे उन्होंने जानकारी दी कि सभी हितधारकों के ठोस प्रयासों और केंद्र सरकार द्वारा निरंतर निगरानी और समीक्षा के कारण 15 सितंबर से 30 नवंबर, 2023 के बीच धान की पराली जलाने की घटनाओं में वर्ष 2022 की इसी अवधि की तुलना में लगभग 27% की कमी देखी गई।
नवंबर में दिल्ली व एनसीआर में दमघोंटू रही हवा की गुणवत्ता
इसके अलावा वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) के आंकड़ों से पता चलता है कि हाल के समय में अर्थात् वर्ष 2023 के नवंबर महीने के दौरान, 4 शहरों नामतः मांडीखेड़ा, पलवल, अलवर और खुर्जा को छोड़कर, दिल्ली-एनसीआर के सभी शहरों में अन्य शहरों की तुलना में एक्यूआई की खराब, बहुत खराब और गंभीर श्रेणी के दिनों की संख्या अधिक है। नवंबर 2023 के दौरान खराब वायु गुणवत्ता का कारण मौजूदा मौसम संबंधी स्थितियों और स्थानीय और क्षेत्रीय उत्सर्जन स्रोतों से होने वाले प्रदूषण को माना जा सकता है।
वर्ष 2023 और 2022 के नवंबर महीने के लिए दिल्ली और एनसीआर शहरों के एक्यूआई बेहद खराब क्वालिटी का रहा। दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण, जो प्रतिकूल मौसम संबंधी परिस्थितियों के कारण सर्दियों के दौरान बढ़ जाता है, के प्रमुख स्रोतों में औद्योगिक प्रदूषण, वाहन प्रदूषण, निर्माण और विध्वंस गतिविधियों से धूल, सड़क और खुले क्षेत्रों की धूल, पराली जलाना, नगरपालिका ठोस अपशिष्ट जलाना आदि शामिल हैं।
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