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Surya Grahan 2022 : सूर्य ग्रहण आज, ब्रह्मसरोवर पर लाखों श्रद्धालु करेंगे स्नान

BY: • LAST UPDATED : October 25, 2022

इशिका ठाकुर, Haryana News (Surya Grahan 2022): आज यानि 25 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है। बताया गया है कि जिस दौरान ग्रहण का समय होता है, उस दौरान सूर्य देवता पर बहुत ज्यादा कष्ट होता है। वहीं यह भी मान्यता है कि इस दौरान अगर कोई इंसान कुरुक्षेत्र के ब्रह्मसरोवर में स्नान करता है तो उसके कई तरह के दोष दूर होते हैं और सूर्य ग्रहण लगने के दौरान दान करने का भी काफी महत्व बताया जाता है। कहा जाता है कि ऐसा करने से इंसान को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

यहां स्रान करने का होती है मोक्ष की प्राप्ति

पंडित विश्वनाथ ने बताया कि सूर्यग्रहण के दिन कुरुक्षेत्र के ब्रह्म और सन्निहित सरोवर में स्नान करने का विशेष महत्व है। कहा जाता है कि यहां स्नान करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं इन सरोवरों का इतिहास और यहां स्नान करने का महत्व। धर्म ग्रंथों और पुराणों की मान्यताओं के अनुसार सूर्य ग्रहण पर कुरुक्षेत्र के ब्रह्मसरोवर में स्नान करने का बड़ा महत्व है।

Surya Grahan 2022

Surya Grahan 2022

राधा और कृष्ण ने किया था यहां स्नान

कहा जाता है कि सूर्यग्रहण के दिन श्रीकृष्ण और राधा रानी ने भी कुरुक्षेत्र में स्नान किया था। मान्यता है कि सूर्यग्रहण के दिन पवित्र नदी, तालाब में स्नान करना बहुत ही शुभ रहता है तो आज हम आपको कुरुक्षेत्र के ब्रह्मसरोवर के बारे में बताने जा रहे हैं जहां स्नान करने से व्यक्ति जन्म-मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है। ब्रह्म सरोवर को सृष्टि का अदितीर्थ कहा जाता है।

जो पहले ब्रह्मसर और बाद में रामरुद्र भी कहलाया। फिलहाल, यह ब्रह्मसरोवर के नाम से जाना जाता है। इस सरोवर की रचना बहुत ही अनोखे ढंग से की गई है। इस सरोवर के चारों तरफ लाल पत्थर है। वामन पुराण के अनुसार यहां सूर्यग्रहण के दिन स्नान करने से व्यक्ति जन्म मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है। सूर्यग्रहण के अवसर पर लाखों श्रद्धालु यहां पहुंचकर स्नान करते हैं।

एक हजार अश्वमेध यज्ञों के फल की प्राप्ति

कहा जाता है कि सूर्यग्रहण के दिन यहां स्नान करने से व्यक्ति को एक हजार अश्वमेध यज्ञों का फल प्राप्त होता है। यह सरोवर कुरुक्षेत्र के दक्षिण पूर्वी भाग में स्थित यह स्थित है। सरोवर उत्तरी तट पर भगवान शिव के एक मंदिर भी स्थित है। इसके बारे में कहा जाता है कि इस मंदिर की स्थापना खुद ब्रह्माजी ने की थी। यहां ब्रह्माजी ने भगवान शिव की पूजा की थी। साथ ही बता दें कि ब्रह्मा सरोवर कुंड का निर्माण पांडवों और कौरवों के पूर्वज राजा कुरु ने करवाया था। ब्रह्म सरोवर की ही तरह सन्निहित सरोवर भी हिंदू धर्म के लोगों के लिए बेहद महत्वपूर्ण स्थान है।

यहां पर अमावस्या के दिन स्नान करने का विशेष महत्व है। पुराणों के अनुसार, इस सरोवर से ही ब्रह्मा जी की उत्पत्ति हुई थी। पृथ्वी पर स्थित सभी तालाब और नदियों का संगम हर महीने सन्निहित सरोवर पर होता है। स्कंद पुराण के अनुसार, गुप्त वास के समय पांडवों ने सन्निहित के दक्षिणी तट पर शिवलिंग की स्थापना की थी। इतना ही नहीं व्याकुल बृज गोपियों का भगवान श्री कृष्ण से मिलन भी इसी स्थान पर सूर्यग्रहण के अवसर पर हुआ था। महाभारत युद्ध की समाप्ति पर इसी स्थान पर युधिष्ठिर ने युद्ध की समाप्ति पर इसी स्थान पर युधिष्ठिर ने सखा संबंधियों का पिंडदान किया था।

इस समय शुरू होगा सूर्य ग्रहण

25 तारीख को सूर्य ग्रहण भारत में स्पर्श सायं 4:25 से शुरू होगा और मोक्ष सायं 5:39 पर खत्म होगा। इस दौरान कोई भी व्यक्ति अगर दान करना चाहता है तो वह अपनी इच्छा अनुसार दान कर सकता है। वैसे सूर्य ग्रहण के दौरान सफेद और लाल रंग की वस्तु दान की जाती है।

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