India News (इंडिया न्यूज),Supreme Court, दिल्ली : दिल्ली नगर निगम में उपराज्यपाल द्वारा एल्डरमैन की नियुक्ति के खिलाफ दिल्ली सरकार की चुनौती याचिका पर अब अगले मंगलवार को सुनवाई होगी। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने एलजी सचिवालय को नोटिस भेजकर जवाब मांगा था। दिल्ली सरकार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि यह लोकतंत्र का अपमान है। एक पार्टी बहुमत से जीत कर आती है और उसे पलटने की कोशिश हो रही है।
सोमवार को सीजेआई जस्टिस डीवाइ चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच के समक्ष दिल्ली सरकार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने मामले की सुनवाई टालने की मांग की, जिसके बाद कोर्ट ने मामले की सुनवाई 2 मई को तय कर दी है।
वहीं, इस मामले में उपराज्यपाल कार्यालय का कहना था कि जीएनसीटीडी एक्ट में 2019 में हुए बदलाव के बाद कानूनी स्थिति बदल चुकी है। दिल्ली में पहली बार एलजी ने एमसीडी में एल्डरमैन अपनी मर्जी से नियुक्त किए हैं। इससे पहले अब तक दिल्ली सरकार एल्डरमैन का चयन करती थी।
एल्डरमैन की नियुक्ति को लेकर आम आदमी पार्टी उप राज्यपाल वीके सक्सेना पर फ्रॉड करने का आरोप लगा चुकी है। तब पार्टी नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा था कि एलजी ने गैर क़ानूनी तरीके से निगम प्रशासन का अनुभव रखने वाले विशेषज्ञ की बजाए भाजपा कार्यकर्ताओं कोएल्डरमैन बनाया। उन्होंने कहा कि संविधान का आर्टिकल 243आर कहता है कि एल्डरमैन वो लोग होंगे जिन्हें निगम प्रशासन का ख़ास अनुभव होगा।,
एमसीडी चुनाव जीतकर भले ही आम आदमी पार्टी का मेयर बन गया हो लेकिन आम आदमी पार्टी के लिए असली चुनौती स्टैडिंग कमेटी का चुनाव है जिसमें एलडरमेन को वोटिंग का अधिकार है। स्टैंडिंग कमेटी दिल्ली नगर निगम की सबसे ताकतवर कमेटी है। दिल्ली नगर निगम में मेयर और डिप्टी मेयर के पास फैसले लेने की शक्तियां काफी कम है।
उसकी एक बड़ी वजह यह है की लगभग सभी किस्म के आर्थिक और प्रशासनिक फैसले 18 सदस्यों वाली स्टैंडिंग कमेटी ही लेती है और उसके बाद ही उसे आगे सदन में पास करवाने के लिए भेजा जाता है। ऐसे में स्टैंडिंग कमेटी काफी पावरफुल होती है और स्टैंडिंग कमेटी का चेयरमैन एक किस्म से एमसीडी का असली राजनीतिक हेड होता है।