देश

Supreme Court: जिला जज के खिलाफ सोशल मीडिया पर पोस्ट डालने वाले को सुप्रीम कोर्ट से भी नहीं मिली कोई राहत, याचिका खारिज

India News (इंडिया न्यूज),Supreme Court, मध्यप्रदेश : सोशल मीडिया पर मध्यप्रदेश के एक जिला जज के खिलाफ आपत्तिजनक पोस्ट लिखने पर 10 दिन की सजा के आदेश के खिलाफ दाखिल याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। दरअसल, आरोपी याची इससे पहले मध्यप्रदेश हाईकोर्ट भी गया था लेकिन वहां से कोई राहत न मिलने के बाद याची ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई थी। जहां सुप्रीम कोर्ट ने यह कह कर याचिका खारिज कर दी कि वो हाईकोर्ट के आदेश पर हस्तक्षेप करने के इच्छुक नहीं हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि सोशल मीडिया का उपयोग करके न्यायिक अधिकारियों को बदनाम नहीं किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की अवकाश पीठ ने कहा कि वह इस मामले में हस्तक्षेप करने को इच्छुक नहीं है।

दूसरों के लिए भी एक सबक होना चाहिए

पीठ ने कहा कि “सिर्फ इसलिए कि आपको एक अनुकूल आदेश नहीं मिलता है इसका मतलब यह नहीं है कि आप न्यायिक अधिकारी को बदनाम करेंगे। न्यायपालिका की स्वतंत्रता का मतलब सिर्फ कार्यपालिका से ही नहीं बल्कि बाहरी ताकतों से भी आजादी है। यह दूसरों के लिए भी एक सबक होना चाहिए।

न्यायमूर्ति त्रिवेदी ने मौखिक रूप से कहा कि “उन्हें (आरोपी याची को) न्यायिक अधिकारी पर कोई आक्षेप लगाने से पहले दो बार सोचना चाहिए था। उन्होंने न्यायिक अधिकारी को अपशब्द कहे। न्यायिक अधिकारी की छवि को हुए नुकसान के बारे में सोचें, ” याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने सुप्रीम कोर्ट से नरमी बरतने की मांग की और कहा कि कारावास का आदेश अत्यधिक था। वकील ने कहा कि यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता से जुड़ा मामला है और आवेदक 27 मई से पहले ही जेल में है।

शीर्ष अदालत की पीठ ने तब टिप्पणी की, “हम यहां कानून पर फैसला करने के लिए हैं, दया दिखाने के लिए नहीं। खासकर आप जैसे लोगों के लिए। शीर्ष अदालत, कृष्ण कुमार रघुवंशी द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें एक जिला न्यायाधीश के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाने के लिए उनके खिलाफ शुरू किए गए आपराधिक अवमानना मामले में उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी गई थी।

रघुवंशी के खिलाफ कार्यवाही अदालत की अवमानना अधिनियम की धारा 15(2) के तहत अतिरिक्त जिला न्यायाधीश एसपीएस बंदेला द्वारा किए गए एक संदर्भ के जवाब में शुरू की गई थी। यह संदर्भ रघुवंशी द्वारा मंदिर से संबंधित विवाद में अदालत के आदेशों की अवहेलना और व्हाट्सएप के माध्यम से अदालत की छवि, प्रतिष्ठा और प्रतिष्ठा को खराब करने वाले एक पत्र के प्रसार पर आधारित था।

यह भी पढ़ें : Haj pilgrims: हज यात्रियों से क्यों वसूली जा रही है ज्यादा रकम? गुजरात हाईकोर्ट ने केंद्र और राज्य हज समिति को भेजा नोटिस

यह भी पढ़ें : Surrogacy Act: सरोगेसी अधिनियम को चुनौती देने पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई की फटकार, कोर्ट के रुख को देख वकील ने वापस ली याचिका

यह भी पढ़ें : Delhi Liquor Scam: ‘गवाहों को कर सकते हैं प्रभावित’ यह कह कर हाईकोर्ट ने खारिज कर दी मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका

Connect With Us : Twitter, Facebook 

Kanchan Rajput

Share
Published by
Kanchan Rajput

Recent Posts

Haryana News: हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के नामांकन का आज अंतिम दिन, कालका और पंचकूला में बने वार्ड

पंचकूला हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के चुनाव बेहद नजदीक हैं। ऐसे में पंचकूला के…

5 mins ago

Cabinet Meeting: हरियाणा सिविल सचिवालय पहुँचे CM Saini, शुरू हुई कैबिनेट बैठक, जानिए मीटिंग का मकसद

हरियाणा सरकार इस समय एक्टिव है । वहीँ बैठकों का दौर भी लगातार जारी है।…

29 mins ago

Panchkula: एक बार फिर इंसानियत हुई शर्मसार! जंगल में मिला नवजात बच्ची का शव, आक्रोशित हुए गांव वाले

 एक बार फिर से इंसानियत को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है। आज भी…

48 mins ago