India News Haryana (इंडिया न्यूज), Constitution Day Of India: भारतीय संविधान भारतीय नागरिकों के लिए एक गोल्डन किताब है। ये वो किताब है जो देश के नागरिकों को स्वतंत्रता से जीने का हक देती है और इसका सम्मान करना हमारा फर्ज बनता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें भारतीय संविधान तब ही बन गया था जब अंग्रेजों ने हमें गुलाम बना रखा था। जिस दौर में अंग्रेजों ने हमें गुलाम बनाया हुआ था उस समय देश की कुछ महान शख्सियत हमारे देश के अच्छा संविधान देने का प्रयास कर रहे थे। भारत आजादी से पहले ही 1946 में भारत के संविधान सभा की स्थापना हो गई थी।
संविधान सभा के गठन का उद्देश्य लोकतांत्रिक राष्ट्र का निर्माण करना था। इस सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद थे। वहीं भारत के संविधान का निर्माता डाॅ. भीमराव आंबेडकर को माना जाता है। ऐसे में जहाँ संविधान के निर्माण में पुरुषों का योगदान रहा वहीं महिलाओं ने भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। तो आइए जानते हैं कि वो कौन हैं जिन्होंने संविधान में महिलाओं की सुरक्षा आ ध्यान रखते हुए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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सरोजिनी नायडू ये वो महान हस्ती हैं जिन्होंने महिलाओं को समानता से लेकर शिक्षा तक का अधिकार दिलवाया। आपको बता दें, सरोजिनी नायडू को “भारत कोकिला” के नाम से भी जाना जाता है। इनका जन्म हैदराबाद में हुआ। 13 फरवरी 1879 को सरोजिनी नायडू का जन्म हुआ था। दरअसल, सरोजिनी नायडु भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पहली भारतीय महिला अध्यक्ष रहीं, इनकी चर्चा और इनकी खासियत की चर्चा आज भी होती है। इसके बाद उन्हें भारतीय राज्य का गवर्नर भी नियुक्त किया गया था। वो संविधान सभा में महिला अधिकारों की प्रबल समर्थक थीं। उन्होंने महिलाओं की शिक्षा, समानता और राजनीतिक अधिकारों को दिलवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आज के दौर में महिलाओं को हर एक कार्य में देखा जा सकता है और वो इनके देन है।
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आपको बता दें, संविधान सभा में एकमात्र मुस्लिम महिला बेगम एजाज रसूल थीं। इसके बाद भारत सरकार अधिनियम 1935 के लागू होने के साथ ही बेगम और उनके पति मुस्लिम लीग में शामिल हो गए और चुनावी मैदान में उतरे। वहीं 1937 के चुनावों में उन्होंने यूपी विधानसभा के लिए चुना गया। फिर जैसे ही 1950 में भारत में मुस्लिम लीग का नामो निशान मिट गया उस दौरान बेगम एजाज कांग्रेस में शामिल हो गईं। वहीं 1952 में वह राज्यसभा के लिए चयनित हुईं और 1969 से 1990 तक उत्तर प्रदेश विधानसभा सदस्य रहीं।
दुर्गाबाई देशमुख वो महिला हैं जिन्होंने छोटी सी ही उम्र में समाज सेवा शुरू कर दी थी और संविधान निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इनका जन्म 15 जुलाई 1909 में हुआ। इन्होने महज 12 साल की उम्र से ही समाज सेवा का कार्य शुरू कर दिया था। इतना ही नहीं इतनी छोटी सी उम्र में इन्होने गैर-सहभागिता आंदोलन में भी भाग लिया। 1936 में दुर्गाबाई ने आंध्र महिला सभा की स्थापना की। इसके बाद वो केंद्रीय सामाजिक कल्याण बोर्ड, राष्ट्रीय शिक्षा परिषद और राष्ट्रीय समिति पर लड़कियों और महिलाओं की शिक्षा जैसे कई केंद्रीय संगठनों की अध्यक्ष भी रहीं। दुर्गाबाई ने संविधान सभा में महिलाओं के लिए विशेष प्रावधानों की मांग की। केवल ये ही नहीं ऐसी और भी कई महिलाएं हैं जिन्होंने संविधान निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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