इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Voter Id And Aadhar Card Link फर्जी वोटरों की गड़बड़ी रोकने के लिए केंद्र सरकार ने बीते मंगलवार को संसद में विपक्ष के ऐतराज के बावजूद चुनाव कानून (संशोधन) बिल, 2021 पास कर दिया। बता दें ये बिल एक दिन पहले ही लोकसभा से पास हुआ था। केंद्र सरकार की तरफ से यह विधेयक ऐसे समय में पेश किया जा रहा है, जब उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा, मणिपुर के विधानसभा (विस) चुनावों में कम समय बचा है। वोटर कार्ड को आधार नंबर से जोड़ने के फैसले को जहां सरकार चुनाव सुधार बता रही है वहीं विपक्ष इस पर सवाल उठा रहे हैं।
क्या है चुनाव कानून (संशोधन) बिल?
Voter Id And Aadhar Card Link चुनाव कानून (संशोधन) बिल, 2021 या इलेक्शन लॉज (अमेंडमेंट) बिल का उद्देश्य कई चुनाव सुधारों को लागू करना है, जिनको लेकर लंबे समय से बातचीत चल रही थी। इस बिल में वोटर आईडी को आधार से लिंक करने का जिक्र है और इसी बात को लेकर ये बिल विपक्ष के निशाने पर है। विपक्ष के विरोध के चलते केंद्र सरकार ने चुनाव कानून (संशोधन) बिल को लेकर अपना पक्ष रखा है और बताया कि इलेक्टोरल रोल से आधार को लिंक करना क्यों जरूरी है?।
आखिर क्यों जरूरी है वोटर आईडी को आधार से लिंक करना ?
- सरकार का तर्क है कि इससे वोटर लिस्ट को साफ करने में काफी मदद मिलेगी। वोटर आईडी की डुप्लीकेसी रोकने में मदद मिलेगी। इस बिल में एक प्रावधान है जिसके तहत नया आवेदक पहचान के उद्देश्य से निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी को आधार संख्या दे सकता है।
- बिल में कहा गया है कि कोई भी आवेदन इस आधार पर खारिज नहीं होगा और न ही वोटर लिस्ट से किसी का नाम कटेगा कि उसने आधार नहीं दिया है लेकिन आधार नहीं दे पाने वाले आवेदक को इसके पर्याप्त कारण जरूर बताने होंगे। लेकिन आपको बता दें कि बिल में पर्याप्त कारणों को स्पष्ट नहीं किया गया है।
- मतदाता सूची के साथ आधार को जोड़ने से एक ही व्यक्ति के नाम पर अलग-अलग जगहों पर बने कई वोटर आईडी की समस्या को खत्म करने में मदद मिलेगी। एक ही व्यक्ति के नाम पर अलग-अलग जगह पर वोटर आईडी कार्ड जारी होने की वजह वोटर के बार-बार निवास स्थान बदलने और पिछले नामांकन को हटाए बिना नए स्थान पर वोटर आईडी के लिए आवेदन के कारण होता है।
- इस प्रकार, जिन वोटर्स के नाम एक से अधिक वोटर लिस्ट में या एक ही वोटर लिस्ट में एक से अधिक बार आते हैं, वो दिक्कतें भी दूर होंगी। एक बार आधार के वोटर लिस्ट से लिंक होने के बाद, जब भी कोई नए रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन करेगा, तो वोटर लिस्ट डेटा सिस्टम पिछले रजिस्ट्रेशन के बारे में तुरंत अलर्ट कर देगा। Voter Id And Aadhar Card Link
सुप्रीम कोर्ट ने क्यों लगाई थी रोक? (Voter Id And Aadhar Card Link)
- वोटर आईडी को आधार से लिंक करने का प्रयास चुनाव आयोग पहले भी कर चुका है। चुनाव आयोग ने मार्च 2015 से अगस्त 2015 तक राष्ट्रीय मतदाता सूची शुद्धिकरण कार्यक्रम चलाया था। उस समय चुनाव आयोग ने 30 करोड़ से अधिक वोटर आईडी को आधार से लिंक करने का प्रॉसेस पूरा कर लिया था।
- ये प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट की ओर से वोटर आईडी को आधार से लिंक करने पर रोक लगाने के बाद रुकी थी। आपको बता दें कि वोटर आईडी को आधार से लिंक करने की प्रक्रिया के दौरान आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के करीब 55 लाख लोगों के नाम वोटर डेटाबेस से हट गए थे।
- इसी को लेकर आधार की संवैधानिकता को लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था और शीर्ष अदालत ने चुनाव आयोग को वोटर आईडी और आधार को लिंक करने से रोक दिया था। 26 सितंबर 2018 को आधार को लेकर दिए अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि राज्य सब्सिडी और कल्याणकारी योजनाओं के अलावा आधार को किसी भी सेवा के लिए अनिवार्य नहीं बनाया जा सकता है।
क्या कहना है विपक्ष का? (Voter Id And Aadhar Card Link)
चुनाव कानून (संशोधन) बिल का विरोध करते हुए विपक्षियों का कहना है कि यह बिल केवल निवास के प्रमाण के लिए है न कि नागरिकता के प्रमाण के लिए। सरकार गैर-नागरिकों को वोटिंग का अधिकार दे रही है। आगे कहा कि सरकार इससे राइट टु प्राइवेसी अधिकार का भी उल्लंघन करेगी। इस कदम से चुनाव आयोग की स्वायत्तता में भी दखल पड़ेगा।
कौन-कौन से चुनाव सुधार होंगे? (Voter Id And Aadhar Card Link)
- इस बिल में पहली बार वोटर बनने वाले युवा मतदाताओं (18 वर्ष) को वोटर लिस्ट में रजिस्ट्रेशन कराने के अधिक मौके मिलेंगे। अब युवा मतदाता साल में चार मौकों (चार अलग कट आफ-डेट) पर वोटर लिस्ट में रजिस्ट्रेशन करा पाएंगे।
- पहली बार मतदाता बनने वालों (18 वर्ष का होने वालों) को साल में केवल एक बार एक जनवरी को रजिस्ट्रेशन कराने का अधिकार था।
- इस बिल में पहली बार मतदाता बनने वालों को साल में चार तारीखों पर एक जनवरी, एक अप्रैल, एक जुलाई और एक अक्टूबर को वोटर लिस्ट में रजिस्ट्रेशन कराने का प्रावधान है।
- एक जनवरी या उससे पहले 18 वर्ष का होने वाले लोगों को साल में केवल एक बार ही वोटर आईडी के लिए रजिस्ट्रेशन कराने का नियम था।
- इस बिल से चुनाव आयोग को पोलिंग स्टेशन, मतगणना, या बैलेट बॉक्स और वोटिंग मशीनों के स्टोरेज के लिए किसी भी परिसर के इस्तेमाल का अधिकार होगा।
- अभी तक चुनाव आयोग द्वारा तक चुनावों के दौरान कुछ परिसरों के इस्तेमाल पर आपत्तियां उठती थीं।
आर्मी वोटर्स के लिए नियम को जेंडर न्यूट्रल बनाया (Voter Id And Aadhar Card Link)
अब महिला सैन्यकर्मी के पति को भी सर्विस वोटर माना जाएगा। अभी तक पुरुष सैन्यकर्मी की पत्नी को तो सर्विस वोटर माना जाता है, लेकिन महिला सैन्यकर्मी के पति को सर्विस वोटर नहीं माना जाता था। चुनाव आयोग ने इसके लिए जनप्रतिनिधित्व कानून में आर्मी वोटर्स के लिए इस्तेमाल होने वाले ‘पत्नी’ शब्द को बदलकर ‘स्पाउस’ (जीवनसाथी) करने का सुझाव दिया था।
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