इंडिया न्यूज़, Anemia In Children: खून हमारे शरीर का महत्वपूर्ण भाग है, इसका काम हमारे शरीर के हर भाग में भोजन और आक्सीजन पहुंचाना और वहां से अनावश्यक पदार्थों को मूत्र द्वारा विसर्जित करना है। पोषक की कमी के कारण बच्चों या शिशु में एनीमिया हो सकता है।
आयरन को खून से बांधे रखने के लिए कुछ मात्रा में विटामिन सी और अधिक आयरन की जरूरत पड़ती है, खून में लाल रक्त की पेशियां होती हैं जिनका प्रमुख कार्य स्नायुओं को आक्सीजन पहुंचाना है, उनके भीतर हीमोग्लोबिन नामक पदार्थ मौजूद होता है जिससे खून को लाल रंग प्राप्त होता है और जब भी इन लाल कोशिकाओं की कमी हो जाती है, एनीमिया या रक्ताल्पता हो जाती है।
एनीमिया को जानने का सबसे आसान उपाय है कि आप बच्चों के होंठों की भीतरी त्वचा, आंखों की भीतरी त्वचा, उसकी हथेलियों और नाखूनों का रंग देखें। आमतौर पर गुलाबी रहने वाले इन भागों का रंग इस रोग के कारण सफेद या पीला दिखाई देता है। रोग की तीव्रता का निदान खून की जांच द्वारा किया जा सकता है। यह इस बात को दर्शाएगा कि रोग का कारण क्या है।
बच्चों में इसका प्रमुख कारण है लौह तत्वों की कमी। निर्धारित वक्त से पहले जन्मे बच्चों में यह अधिक पाया गया है। छह माह से अधिक उम्र के बच्चों में इस बीमारी का कारण उनके आहार में लौह तत्वों की कमी है।
दूध में लौह तत्व अल्प मात्रा में मौजूद होते हैं। अत: यह जरूरी है कि चार से छह माह के बच्चों को दूध के अतिरिक्त अन्य ठोस आहार भी दिया जाए। इसी तरह जिन बच्चों में बार-बार किसी रोग का संक्रमण होता है उन्हें भी इस रोग से पीड़ित होने का भय होता है। इसी तरह जन्मजात विकार, वंशानुगत बीमारी, पेट में कृमि और अन्य बीमारियों द्वारा रक्त क्षय भी इस बीमारी को जन्म दे सकता है।
छोटे बच्चों को जिस तहर से पीलिया होता है उसी तरह से उन्हें एनीमिया यानी की खून की कमी भी जल्द पकड़ लेती है। खून की कमी लौह तत्वों की कमी की वजह से होती है। जब बच्चे के शरीर का रंग पीला पड़ जाए या फिर बच्चा तेज तेज सांस ले रहा हो, तो समझ जाएं कि उसमें खून की कमी होना शुरु हो गई है। ऐसे में चिकित्सक की सलाह से बच्चों को रक्ताल्पता से बचाने की खास जरूरत होती है। आइये जानते हैं कुछ खास सुझाव जिससे आप अपने शिशु में होने वाली एनीमिया को पहचान सकते हैं और उसका उपचार कर सकते हैं।
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