इंडिया न्यूज़, Best Marriage Tips : अगर आप भी अपना घर बसाने की सोच रहे हैं तो हम आज आपको इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि आप अपने रिश्ते को कैसे ठीक प्रकार से निभाते हुए अपना जीवन सुखमय बना सकते हैं। आजकल रिश्तों की डोर इतनी कच्ची होने लगी है कि कम समय में ही टूटने लगती है, जबकि यह रिश्ता तो उम्रभर के लिए साथ होता चाहिए। विवाह करके अपना परिवार बसाने और खुशियां पाने का सपना सबका होता है, लेकिन कई बार यह फैसला इतनी जल्दबाजी में लिया जाता है कि कुछ दिन बाद ही सपने के टूटने जैसा आभास होने लगता है।
जिस तेजी से आजकल सामाजिक स्थितियां बदल रही हैं, उसका असर रिश्तों पर भी पड़ा है। खासकर युवाओं में रिश्तों के निबाह को लेकर कई तरह के असमंजस और भय भी पनप रहे हैं। इसके चलते यदि वे भावनावश या स्थितिवश विवाह का निर्णय ले भी लेते हैं तो जल्द ही दम्पत्ति के बीच मनमुटाव और तकरार शुरू होने लगती है। ऐसा लगने लगता है कि गलत फैसला ले लिया। यही कारण है कि टूटते रिश्तों की संख्या प्रतिदिन बढ़ती जा रही है और विवाह नाम की एक बहुत महत्वपूर्ण संस्था के प्रति लोगों के मन में अनिश्चितता सी पनपने लगी है। जरूरी है कि जीवनभर के इस साथ से पहले एक बार खुद का आकलन किया जाए, ताकि रिश्ता लम्बा हो, खुशहाल हो और निर्णय पर कभी पछतावा न हो।
आप स्थितियों से समझौता करने या एडजस्टमेंट करने से कतराते हैं तो विवाह के बंधन में बंधने से पहले थोड़ा समय खुद को सुधारने के लिए दें। हालांकि अधिकांश मामलों में यह उम्मीद महिलाओं से की जाती है कि वे हर वातावरण से सामंजस्य बैठा लेंगी, लेकिन यह स्त्री-पुरुष दोनों के लिए ही जरूरी है। लम्बे समय में यह व्यवहार दिक्कत दे सकता है। कभी-कभार, किसी बात के लिए एडजेस्टमेंट न कर पाना अलग बात है, लेकिन हमेशा साथ रहने पर यह आदत दिक्कत दे सकती है। चाहे आप लम्बी कोर्टशिप के बाद ही विवाह क्यों न कर रहे हों, इस बारे में विचार जरूर करें कि सामंजस्य का मतलब रिश्ते को धैर्य से सहेजना होता है। यदि आपस में प्रेमभाव है तो पति-पत्नी दोनों में स्थितियों के अनुरूप थोड़ा बहुत सामंजस्य बैठाने की आदत होनी चाहिये। यहाँ सामंजस्य बैठाने का मतलब गलत या प्रताड़ना को सहन करना नहीं है।
आप अपनी गलतियों को कभी नहीं स्वीकारते या केवल अपना ही पक्ष सही साबित करने पर तुले रहते हैं तो भी आपको विवाह बंधन में बंधने की जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। अगर अब तक आपका परिवार आपकी इस बात को सहन कर रहा है तो जरूरी नहीं कि आने वाले समय में आपका जीवनसाथी भी ऐसा करे। बल्कि भावनात्मक रूप से यह उसके लिए सजा बन जायेगा। किसी भी बात के दो पहलू होते हैं, इसलिए केवल किसी एक पहलू का पल्लू पकड़कर अपनी बात पर अड़े रहना कभी भी समाधान नहीं दे सकता। इस आदत को सुधारने की कोशिश करें।
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