इंडिया न्यूज़,Breastfeeding Tips: कुछ औरतों के लिए ब्रेस्टफीडिंग आसान होती है, तो वहीं कुछ महिलाओं के लिए ये चीज काफी मुश्किल साबित होती है। हर बच्चे के दूध पीने का तरीका अलग होता है। लेकिन ऐसी कुछ आम गलतियां हैं जो अक्सर नई माएं ब्रेस्टफीडिंग को लेकर करती हैं। वो इसका समाधान भी ढूंढने की कोशिश करती हैं लेकिन उन्हें इसमें सफलता नहीं मिल पाती है क्योंकि उन्हें अपनी परेशानी को हल करने का सही तरीका पता ही नहीं होता है।
ऐसा कहा जाता है कि ब्रेस्टफीडिंग आसान, नैचुरल होती है लेकिन कुछ औरतों के लिए ऐसा नहीं है। ब्रेस्टफीडिंग तनावपूर्ण और मुश्किल हो सकती है। किसी भी अन्य एक्टिविटी की तरह आप सीखकर, प्रैक्टिस कर के उसमें परफेक्ट होते हैं और गलतियां करना बिलकुल नॉर्मल बात है क्योंकि माओं को ब्रेस्टफीडिंग का एक्सपीरियंस नहीं होता है।
किसी से मदद ना लेना, सिचुएशन को और खराब कर सकता है। आप अपने दोस्तों और परिवार से सलाह ले सकते हैं। हो सकता है उनका अनुभव आपके काम आ जाए।
ऐसा मानना गलत है कि ब्रेस्टफीडिंग करवाते समय ब्रेस्ट में दर्द होना एकदम नॉर्मल बात है। ब्रेस्टफीडिंग की शुरुआत में दर्द और असहज महसूस होना नॉर्मल है लेकिन ऐसा लंबे समय तक नहीं होना चाहिए। मांओं को पता होना चाहिए ब्रेस्टफीडिंग में दर्द नहीं होता है। ब्रेस्ट में दर्द होने के कारणों में ठीक से निप्पल को नहीं खींच पाना, ब्रेस्ट एंगॉर्जमेंट और गलत ब्रेस्टफीडिंग पोजीशन शामिल हैं।
ब्रेस्टफीडिंग के दौरान अपने ऊपर ध्यान देना बहुत जरूरी होता है। ब्रेस्ट में लगातार दूध बनता रहे, इसके लिए आपके शरीर को हड्डियों, खून और मांसपेशियों से पोषक तत्व लेने की जरूरत होती है। अगर मांसपेशियों को सही पोषण नहीं मिल पाता है, तो उनमें स्टोर किया गया पोषण खत्म होने लगता है।
मांओं को 8 घंटे की नींद लेनी चाहिए क्योंकि पोषण और नींद की कमी की वजह से थकान हो सकती है। इससे आप इमोशनली और मेंटली बीमार महसूस कर सकती हैं।
अक्सर माएं बहुत जल्दी या कम उम्र में ही बच्चे को दूध की बोतल से दूध पीना सिखा देती हैं जो कि गलत है। ऐसा वर्किंग मॉम ज्यादा करती हैं जिन्हें ऑफिस जाना होता है।
जब तक बच्चा ब्रेस्ट से दूध पीना अच्छी तरह से ना सीख जाए, तब तक उसे दूध की बोतल नहीं पकड़ानी चाहिए। 6 से 8 महीने से पहले बच्चे को दूध की बोतल नहीं देनी चाहिए। सेंट्रल डिजीज एंड कंट्रोल के अनुसार बेबी को दूध की बोतल में ब्रेस्टमिल्क देना चाहिए।
बच्चे की जरूरत के हिसाब से ब्रेस्टमिल्क में बदलाव आता रहता है। शिशु के लिए पहले 6 महीनों में मां का दूध बहुत आवश्यक होता है। इससे मां और बच्चे को कई लाभ मिलते हैं। आज तक खुद वैज्ञानिक भी ब्रेस्टमिल्क का विकल्प नहीं निकाल पाए हैं। फॉर्मूला मिल्क ब्रेस्टमिल्क जैसा नहीं होता है और इसमें इम्यूनिटी को बढ़ाने वाले तत्व नहीं होते हैं।
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