India News Haryana (इंडिया न्यूज), Earthen Pot Water Benefits : गरीबों का फ्रिज घड़े का पानी स्वास्थ्य के लिहाज से अमृत होता है, लेकिन इसे ऐसे ही अमृत नहीं बोलते, बल्कि वास्तव में घड़े का पानी सेहत के लिहाज से बहुत ही फायदेमंद है। इसके फायदों को जानकर आप आज से ही घड़े का पानी पीना शुरू कर देंगे।
आपको बता दें कि अच्छे स्वास्थ्य के लिए आज भी कुछ लोग ऐसे हैं जो मिट्टी से बने बर्तनो में पानी पीते हैं। ऐसे लोगों का मानना है कि मिट्टी की भीनी-भीनी खुशबू के कारण घड़े का पानी पीने का आनंद और इसका लाभ अलग ही है।दरअसल, मिट्टी में कई प्रकार के रोगों से लड़ने की क्षमता पाई जाती है। विशेषज्ञों के अनुसार मिट्टी के बर्तनों में पानी रखा जाए, तो उसमें मिट्टी के गुण आ जाते हैं। इसलिए घड़े में रखा पानी हमें स्वस्थ बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं।
नियमित रूप से घड़े का पानी पीने से प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने में मदद मिलती है। प्लास्टिक की बोतलों में पानी स्टोर करने से उसमें प्लास्टिक से अशुद्धियां इकट्ठी हो जाती हैंऔर वह पानी को अशुद्ध कर देता है। साथ ही यह भी पाया गया है कि घड़े में पानी स्टोर करने से शरीर में टेस्टोस्टेरोन का स्तर बढ़ जाता है।
घड़े का पानी पीने का एक और लाभ यह भी है कि इसमें मिट्टी में क्षारीय गुण विद्यमान होते हैं। क्षारीय पानी की अम्लता के साथ प्रभावित होकर उचित पीएच संतुलन प्रदान करता है। इस पानी को पीने से एसिडिटी पर अंकुश लगाने और पेट के दर्द से राहत प्रदान पाने में मदद मिलती हैं।
आमतौर पर हमें गर्मियों में ठंडा पानी पीने की तलब होती है और हम फ्रिज से ठंडा पानी लेकर पीते हैं। ठंडा पानी हम पी तो लेते हैं, लेकिन बहुत ज्यादा ठंडा होने के कारण यह गले और शरीर के अंगों को एकदम से ठंडा कर शरीर पर बहुत बुरा प्रभाव डालता है। गले की कोशिकाओं का ताप अचानक गिर जाता है जिस कारण व्याधियां उत्पन्न होती हैं। गले का पकने और ग्रंथियों में सूजन आने लगती है और शुरू होता है
बता दें कि बेहद ठंडे पानी को पीने की सलाह नहीं दी जाती। इसलिए इस घड़े के पानी को पीना गर्भवती महिलाओं के लिए तो और भी फायदेमंद है। उनसे हमेशा कहा जाता है कि वे घड़े या सुराही का पानी पिएं। इनमें रखा पानी न सिर्फ उनकी सेहत के लिए अच्छा होता है, बल्कि पानी में मिट्टी का सौंधापन बस जाने के कारण गर्भवती को बहुत अच्छा लगता है।
गर्मियों में लोग फ्रिज का या बर्फ का पानी पीते हैं, इसकी तासीर गर्म होती है। यह वात भी बढ़ाता है और इतना ही नहीं बर्फीला पानी पीने से कब्ज भी हो जाती है और अक्सर गला खराब हो जाता है। जबकि मटके का पानी बहुत अधिक ठंडा न होने से वात नहीं बढाता, इसका पानी संतुष्टि देता है। मटके को रंगने के लिए गेरू का इस्तेमाल होता है जो गर्मी में शीतलता प्रदान करता है।
1. हर सप्ताह में दो बार मटका गुनगुने पानी से साफ़ करें, मटके की सफाई के बाद इसमें फ्रेश पानी भरें।
2. मटके को एक स्टैंड पर रखें, ताकि ये बहुत ज्यादा हिले नहीं।
3. किसी सफ़ेद कॉटन के कपडे को गीला कर मटके का मुंह बांध कर रखें, ताकि इसमें मिट्टी के कण प्रवेश न कर सकें. हो सके तो इसे ढकने के लिए मिट्टी के ढक्कन का इस्तेमाल करें।
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