India News Haryana (इंडिया न्यूज), Vitamin C deficiency : पहला सुख निरोगी काया, जी हां जिस व्यक्ति का शरीर स्वस्थ है वहीं व्यक्ति अन्य सुखों काे भोग सकता है। आज काफी संख्या में लोगों में विटामिन सी की कमी देखी जा रही है। जब शरीर में कुछ महत्वपूर्ण विटामिनों की कमी होती है तो शरीर इसके कुछ संकेत देने लगता है। विटामिन की कमी शरीर के लिए हानिकारक हो सकती है।
जब आपके शरीर में कुछ महत्वपूर्ण विटामिनों की कमी होती है तो शरीर इसके कुछ संकेत देने लगता है। विटामिन की कमी शरीर और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती है। खासकर आज की प्रोसेस्ड फूड डाइट के चलते तो यह आम बात होती जा रही है।
विशेषज्ञ बताते हैं कि विटामिनों की कमी से आपको कोई रोग न हो, लेकिन दैनिक जीवन के काम-काज में इसके कारण कई समस्याएं हो सकती हैं। क्योंकि विटामिन शरीर में सभी जैव रासायनिक प्रतिक्रियाओं के लिए सह-कारक हैं और हमें ठीक ढंग से काम करने के क्रम में इनकी बेहद जरूरत होती है। तो हमेशा निम्न असामान्य विटामिन की कमी के चेतावनी संकेत के प्रति सचेत रहें।
यह नियासिन (बी3), राइबोफ्लेविन (बी2), और बी12, आयरन, ज़िंक, और विटामिन बी की कमी का लक्षण है। शाकाहारी लोगों में यह आम होता है। इससे बचने के लिए दाल, टमाटर, मूंगफली और फलियां आदि खाएं।
यह अक्सर बायोटिन (बी7) जिसे कि हेयर विटामिन के नाम से भी जाना जाता है, जब आपका शरीर वसे में घुलनशील विटामिन (जैसे ए, डी, ई, के आदि) का भंडारण कर रहा होता है तो यह पानी में घुलनशील, विटामिन बी को नहीं बचाता। इससे बचने के लिए पकाए हु एवकाडो, मशरूम, फूलगोभी, सोयाबीन, नट, रसभरी व केले आदि का सेवन करें।
ऐसा आमतौर पर आवश्यक फैटी एसिड और विटामिन ए और डी की कमी से होता है। इससे बचने के लिए संतृप्त वसा और ट्रांस वसा का सेवन कम करें और स्वस्थ वसा में वृद्धि करें। आप चाहें तो डॉक्टर की सलाह से इसके लिए सप्लीमेंट भी ले सकते हैं।
यह विटामिन बी, जैसे फोलेट (B9), बी -6, और बी 12 की कमी के कारण होता है। यह परिधीय नसों और जहां वे खतम होती हैं, वहां से संबंधित एक समस्या होती है। इन लक्षणों के साथ चिंता, अवसाद, एनीमिया, थकान, और हार्मोन असंतुलन आदि भी देखे जा सकते हैं। इससे बचने के लिए पालक, शतावरी, बीट, सेम आदि का सेवन करना चहिए।
पैर की उंगलियों, पैरों की मेहराब में दर्द, पैरों के पीछे की ओर दर्द व ऐंठन मैग्नीशियम, कैल्शियम और पोटेशियम आदि की कमी के कारण होता है। इससे बचने के लिए केले, बादाम, अखरोट, स्क्वैश, चेरी, सेब, अंगूर, ब्रोकोली आदि का नियमित सेवन करें।
मसूड़ों की बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है, लेकिन 35 वर्ष की उम्र के बाद मसूड़ों की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है और अगर शरीर में प्रोटीन की कमी हो तो इस उम्र में हर चार में से तीन लोग मसूड़ों की बीमारी से पीड़ित होते हैं। प्रतिदिन 1000 मिलीग्राम प्रोटीन और विटामिन खाने से मसूड़ों की समस्या कम होती है।
जिन लोगों में विटामिन ‘डी’ की कमी होती है उन्हें मल्टीपल स्क्लेरोसिस होने का जोखिम अधिक रहता है। कनाडा में हुए एक शोध के अनुसार सूरज की रोशनी से मिलने वाला यह विटामिन मल्टीपल स्क्लेरोसिस (एमएस) को रोकता है। स्क्लेरोसिस में अंग या टिश्यू कठोर हो जाते हैं। इस अध्ययन की रिपोर्ट मांट्रियल में मल्टीपल स्क्लेरोसिस पर आयोजित एक सम्मेलन में प्रस्तुत की गई थी।
शिशुओं में विटामिन डी की कमी होने पर मांसपेशियों में मरोड़े, सांस लेने में परेशानी और दौरे आने की समस्या हो सकती है। उनके शरीर में कैल्शियम की भी कमी हो जाती है। सांस की तकलीफ की वजह से बच्चे की पसलियां नर्म रह जाती हैं और आस-पास की मांसपेशियां भी कमजोर हो जाती हैं।
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