इंडिया न्यूज़, Health Tips News : आज के लाइफस्टाइल की वजह से लोग 35 से 40 की उम्र में ही मधुमेह से ग्रस्त होने लगे हैं। यदि समय रहते ही प्री-डायबिटीज़ की स्थिति का पता लग जाए तो डायबिटीज़ को होने से रोका जा सकता है। प्री डायबिटीज़़ उस अवस्था को कहते है जब ब्लड शुगर का स्तर सामान्य से अधिक होता है, लेकिन इतना भी अधिक नहीं होता कि उसे टाइप 2 के डायबिटीज़ के मरीजों में शामिल किया जाए।
एक तिहाई से अधिक वयस्क आबादी प्री-डायबिटिक हो सकती है। प्री-डायबिटीज़ से ग्रस्त हो चुके करीब 80 फीसदी लोग नहीं जानते कि वह इससे पीड़ित हैं। सही डाइट प्लेन को अपने आहार में शामिल करके टाइप-2 डायबिटीज़ से बचा जा सकता है। प्री-डायबिटिक का अगर शुरू में ध्यान नहीं किया गया, तो 5-7 साल के अंदर वे पूर्ण रूप से डायबिटीज़ का शिकार हो सकते हैं।
दूसरी तरफ़, प्री-डायबिटिक अवस्था में ही इसके प्रति सचेत होकर पूर्ण मधुमेह की संभावना को 70-90 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है।
इस चार्ट के माध्यम से डायबिटीज़ संभावित ब्लड शुगर की रीडिंग बताई गई है। इनके नतीजों में शर्करा का स्तर भूखे पेट 110 से 126 मिली ग्राम तथा ग्लूकोस टालरेंस टेस्ट के बाद 140 से 199 मिली ग्राम है।
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अगर शरीर का वज़न अधिक हो,या आप पर्याप्त शारीरिक गतिविधियां न करते हों, धूम्रपान की लत हो ,या परिवार में डायबिटीज़ की समस्या हो या ज़्यादा तनाव में रहने वाले लोगों को साल में 1 या 2 बार ओरल ग्लूकोज़ टॉलरेंस टेस्ट करवाना चाहिए। इस टेस्ट के लिए ख़ाली पेट शुगर की जांच करवाएं। 75 ग्राम ग्लूकोज़ को एक 1 गिलास पानी में घोलकर 5 मिनट में पी लें और दो घंटे के बाद ब्लड शुगर की जांच करवाएं। इस दौरान कुछ न खाएं।
इस टेस्ट से यह पता लगता है कि आपके शरीर में ब्लड शुगर के प्रति किस तरह की प्रतिक्रिया चल रही है। इस टेस्ट को करवाने के लिए 8 से 12 घंटे पहले हमें कुछ नहीं खाना चाहिए, इस टेस्ट को करवाने का सबसे अच्छा समय सुबह का होता है – दवाएं निर्देशानुसार लेनी चाहिए… हॉर्मोन की अनियमिताएं जैसे मधुमेह या थायरॉइड आदि की दवाएं समय व भोजन की पाबंदी को बरकरार रखती है। ऐसे मामलों में डॉक्टर के बताए निर्देशों का पूरी तरह से पालन करना चाहिए।
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हर मोटा व्यक्ति डायबिटिक हो ऐसा ज़रूरी नहीं है, लेकिन डायबिटीज़ से जूझने वाले 10 में से 8 लोग मोटापे का सिखर होते हैं। यदि आपका वज़न ज्यादा है और आप प्री डायबिटिक हैं, तो आप अपने वज़न को कम करके ब्लड शुगर को नियंत्रित कर सकते हैं। इससे आपका ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल संतुलित रहेगा।
नियमित रूप से व्यायाम करने से वज़न और ब्लड शुगर नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है। आपको प्रतिदिन 45 मिनट तक पैदल चलना चाहिए। रात को खाने और सोने के बीच कम से कम 2 घंटे का अंतराल रखना चाहिए। सुबह एक घंटा व्यायाम और मेडिटेशन करें। खाना खाने के 30 मिनट बाद तक बैठना या लेटना नहीं चाहिए।
फलों का रस और नियमित रूप से कोल्ड ड्रिंक्स का सेवन करने से ब्लड शुगर का स्तर बढ़ सकता है। आपको जूस की बजाए फलों का सेवन करना चाहिए और कार्बोनेटेड ड्रिंक से दूर रहना चाहिए। चीकू और किशमिश का सेवन करने से शुगर बढ़ता हैं, उन्हें खाने से बचना चाहिए।
खाना एक साथ खाने के बजाय तीन मुख्य भोजन और दो बार हल्के स्नैक्स में लेना चाहिए। सुबह उठने के बाद दो घंटे तक नाश्ता कर लेना चाहिए।
अपने भोजन में मोटा अनाज और साबुत दाल शामिल करें। रोटी बनाने के लिए आटे में गेहूं के बजाय ज्वार, बाजरा आदि का इस्तेमाल करें। आपको मिठाई, बेकरी उत्पाद और मैदे से बने खाद्य पदार्थों का सेवन करने से बचना चाहिए। अपने मुख्य आहार में प्रोटीन और फाइबर की वस्तुओं को शामिल करें। सिर्फ़ रोटी सब्ज़ी न खाएं,अपनी डाइट में दाल, पनीर, दही, सलाद भी शामिल करें। खाने के साथ 1 चम्मच मेथी दाने का उपयोग ब्लड शुगर को नियंत्रित रखता है।
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