इंडिया न्यूज, Jagannath Rath Yatra 2022 : हर साल आषाढ़ मास की द्वितीया तिथि को भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकलना शुरू होता है। ओडिशा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर से तीन सजे-धजे रथ निकलते हैं। उसमें भगवान जगन्नाथ के साथ-साथ उनके बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा का रथ निकलता है। इस भव्य यात्रा में देश-विदेश से लाखों लोग मौजूद होते हैं। जगन्नाथ मंदिर के बेहद रहस्य है जिनके बारे बताया जाता है। इन्हूीं रहस्यों में से एक है कि भगवान जगन्नाथ की मूर्ति बदलते वक़्त पंडित अपनी आंखों में पट्टी बांध लेते है। जानिए इसके पीछे छुपे रहस्य का कारण।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान कृष्ण का जन्म मानव रूप में हुए था। एक मानव का जन्म हुआ है, तो मृत्यु भी अवश्य होगी। जब भगवान कृष्ण की मृत्यु हुई, तो पांडवों से विधिवत तरीके से उनका दाह संस्कार कर दिया था। दाह संस्कार के समय एक चमत्कार हुआ। श्री कृष्ण जी का पूरा शरीर को पंचतत्व में विलीन हो गया लेकिन उनका हृदय फिर भी धड़क रहा था। ऐसा कहा जाता है कि यहीं हृदय आज भी जगन्नाथ जी की मूर्ति में उपस्थित है।
श्री कृष्ण जी के हृदय को ब्रह्म पदार्थ कहा जाता है। हर 12 साल बाद बहुत सारे नियमों का पालन कर जगन्नाथ की मूर्ति परिवर्तित की जाती है। ऐसे में वह ब्रह्म पदार्थ नई मूर्ति में लगाया जाता है।
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नई मूर्ति में ब्रह्म पदार्थ लगाते वक़्त आसपास की जगह पर अंधेरा कर दिया जाता है। जो पंडित इस कार्य को करता है उसकी आंखों में पट्टी बांध दी जाती है। अगर इस रस्म के दौरान पंडित ने उस ब्रह्म पदार्थ को देख लिया, तो उसकी मृत्यु हो जाती है। इस अनुष्ठान को नव कलेवर नाम से जाना जाता है।
नव कलेवर अनुष्ठान में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की पुरानी मूर्तियों को हटाकर नई मूर्ति स्थापित की जाती है। इयह संयोग 12 या 19 वर्षों में एक बार होता है।
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