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May be Victims of Depression Due to Corona कोरोना के कारण हो सकते हो डिप्रेशन के शिकार

• LAST UPDATED : March 19, 2022

May be Victims of Depression Due to Corona कोरोना के कारण हो सकते हो डिप्रेशन के शिकार

इंडिया न्यूज ।

May be Victims of Depression Due to Corona : कोरोना संक्रमण महामारी ने पूरे विश्व की स्थिति को बदल कर रख दिया है । लेकिन अब शोध के अनुसार पता चला है कि कोरोना संक्रमण का असर इंसान की मैंटल हैल्थ पर भी पड़ सकता है । अगर आप संक्रमण से ग्रसित होते हो और सात दिनों के लिए घर या अस्पताल में आईसोलेट होना पड़ जाएं तो ऐसी स्थिति में अस्पताल में रहने पर ज्यादातर लोग डिप्रेशन का शिकार हो रहे है ।

कोरोना वायरस का संक्रमण शरीर के साथ-साथ दिमाग को भी बुरी तरह प्रभावित कर सकता है। लैंसेट पब्लिक हेल्थ जर्नल में प्रकाशित एक हालिया रिसर्च के अनुसार, कोरोना के गंभीर मरीजों में लॉन्ग टर्म मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा ज्यादा होता है।

2 लाख 47 हजार लोगों पर हुई स्टडी May be Victims of Depression Due to Corona

रिसर्च में कोरोना से जुड़ी मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम्स जैसे डिप्रेशन, नींद में गड़बड़ी और एंग्जाइटी पर गौर किया गया। इसके लिए ब्रिटेन, स्वीडन, डेनमार्क, आइसलैंड, एस्टोनिया और नॉर्वे के लोगों पर 16 महीनों तक स्टडी की गई। रिसर्च में कोरोना मरीज भी शामिल थे और जिन्हें कभी संक्रमण नहीं हुआ वो भी। 2,47,249 लोगों में से 9,979 यानी 4% को फरवरी 2020 से अगस्त 2021 के बीच कोरोना हुआ।

कोरोना मरीजों में डिप्रेशन का खतरा ज्यादा

वैज्ञानिकों के मुताबिक, कोरोना की चपेट में आए लोगों को मानसिक समस्याएं विकसित करने का खतरा ज्यादा होता है। जहां संक्रमण रहित लोगों में से 11.3% ने डिप्रेशन के लक्षण अनुभव किए, वहीं कोरोना से पीड़ित लोगों में से 20.2% को ये लक्षण आए।

इस दौरान 29.4% संक्रमण रहित लोगों और 23.8% कोरोना मरीजों की स्लीप क्वालिटी खराब हुई। रिसर्च कहती है कि घर पर रिकवर हुए मरीजों के मुकाबले अस्पताल में भर्ती हुए मरीजों का मानसिक स्वास्थ्य ज्यादा खराब होता है।

इसके साथ ही, जिन लोगों ने कोरोना संक्रमण की वजह से एक हफ्ते या उससे ज्यादा का समय बिस्तर पर बिताया, उनमें डिप्रेशन और एंग्जाइटी का खतरा 50-60% बढ़ गया। वैज्ञानिकों ने यह भी पाया कि ऐसे संक्रमित मरीज जिन्हें हॉस्पिटलाइज नहीं होना पड़ा, उनमें डिप्रेशन और एंग्जाइटी के लक्षण अधिकतर दो महीने के अंदर ही कम हो गए।

विशेषज्ञ का कहना

रिसर्च में शामिल यूनिवर्सिटी आफ आइसलैंड के प्रोफेसर अनुसार कि गंभीर कोरोना मरीजों में लॉन्ग टर्म मानसिक समस्याओं को देखने वाली यह पहली रिसर्च है। यह स्टडी बताती है कि कोरोना संक्रमण के लेवल के आधार पर आपकी मेंटल हेल्थ प्रभावित होती है।
अब हम कोरोना महामारी के तीसरे साल में है। ऐसे में कोरोना के बाद होने वाली दूसरी गंभीर बीमारियों पर भी नजर रखना जरूरी है। इससे लोगों को वक्त पर इलाज मिल सकेगा।

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