इंडिया न्यूज़, अम्बाला
कोरोना जैसी महामारी के चलते पुरी दूनिया में इसके साथ साथ अन्य कई संक्रमणों ने जन्म लिया है जो की लोगों में बहुत तेजी से फैलते हैं। हमे इनसे बचने के लिए इनकी देखभाल करना बहुत ही जरूरी है। कोरोना इन सभी बिमारियों से बहुत ज्यादा गंभीर हैं। डबल्यूएचओ के अनुसार सांस संबंधी बीमारियां ही दुनियाभर में मौत व अन्य अपंगताओं के मुख्य कारणों में से एक हैं। तो आइए जानते हैं कुछ ऐसी गंभीर बीमारियों के बारे में जो कोरोना की तरह तेजी से फैलती हैं।
इसे टीबी भी कहा जाता है, जो एक प्रकार का बैक्टीरियल इन्फेक्शन है और मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करता है। यह माइकोबैक्टेरियम नामक एक बैक्टीरिया के कारण होता है। यदि कोई स्वस्थय व्यक्ति टीबी से ग्रस्त व्यक्ति के थूक, लार, पेशाब, मल या शरीर से निकलने वाले अन्य किसी द्रव या पदार्थ के संपर्क में आ जाता है, तो वह भी इस रोग से संक्रमित हो जाता है। साथ ही कोरोना की तरह टीबी से संक्रमित व्यक्ति के छींकने, खांसने या बोलने के दौरान मुंह से निकलने वाली द्रव की अति सूक्ष्म बूंदें हवा में मिल जाती हैं और अन्य लोगों के संक्रमित कर सकती हैं। डबल्यूएचओ के अनुसार टीबी दुनियाभर में मौत का कारण बनने वाला सबसे बड़ा संक्रामक रोग है।
इंफ्लुएंजा को फ्लू भी कहा जाता है और इसके लक्षण कोरोना संक्रमण से काफी मिलते-जुलते है। यह आमतौर पर फेफड़े, गले और नाक को प्रभावित करता है। कोरोना की तरह इसके लक्षणों में बुखार, ठंड लगना, खांसी, छाती रुकना, नाक बहना और मांसपेशियों में दर्द आदि शामिल हैं। फ्लू से संक्रमित व्यक्ति के खांसने, छींकने या बोलने के दौरान उसके मुंह से निकले द्रव की सूक्ष्म बूंदे हवा में मिल जाती हैं, जिनमें फ्लू का कारण बनने वाले वायरस होते हैं। जब ये बूंदे किसी स्वस्थ व्यक्ति द्वारा सांस लेने के दौरान उसके शरीर में जाती हैं, तो वायरस अंदर जाकर संक्रमण फैलाना शुरू कर देता है।
निमोनिया एक या दोनों फेफड़ों को प्रभावित करने वाला गंभीर संक्रमण है, जिसमें फेफड़ों में मौजूद बुलबुले जैसी छोटी-छोटी संरचनाओं में सूजन आ जाती है और साथ ही इनमें पस या द्रव भर जाता है। निमोनिया एक गंभीर रोग है और इसके लिए समय पर इलाज शुरू न करने पर जानलेवा स्थिति पैदा कर सकता है। निमोनिया बैक्टीरिया, फंगी और वायरस तीनों के कारण हो सकता है और कोरोना की तरह यह भी काफी तेजी से फैलता है। निमोनिया से ग्रस्त व्यक्ति की छींक, खांसी या बोलते समय मुंह से निकलने वाली द्रव की अति सूक्ष्म बूंदों के संपर्क में आने वाले व्यक्ति को यह संक्रमण हो सकता है।
मीजल्स बीमारी को खसरा के नाम से जाना जाता है, जो एक गंभीर प्रकार का वायरल इन्फेक्शन है और अधिकतर छोटे बच्चों को प्रभावित करता है। वायरस के संपर्क में आने के 10 से 12 दिन बाद मरीज को तेज बुखार, नाक बहना, खांसी, आंखों से पानी आना और गाल पर सफेद रंग के निशान पड़ना आदि लक्षण दिखाई देने लगते हैं। कोरोना की तरह मीजल्स भी हवा में फैलता है। खसरा से ग्रसित व्यक्ति के छींकने, खांसने या बोलने के दौरान उसके मुंह से द्रव की अति सूक्ष्म बूंदे निकलती हैं, जिनमें रोग फैलने वाले वायरस होते हैं। जब सांस के दौरान यह द्रव की बूंदे किसी स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में चली जाती हैं, तो 10 से 12 दिन बाद उसे भी मीजल्स के लक्षण महसूस होने लगते हैं।
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