The Purpose Of Guru Nanak Dev Ji: सिख धर्म के आदि संस्थापक Guru Nanak Dev का जन्म तलवंडी में सन1469 में हुआ था। गुरू नानक देव सिखों के पहले गुरू हुए हैं, जो न केवल सिखों में बल्कि अन्य धर्मों के लोगों में भी उतने ही सम्माननीय रहे हैं। गुरु नानक जब मात्र पांच वर्ष के थे, तभी धार्मिक और आध्यात्मिक वातार्ओं में गहन रूचि लेने लगे थे। अपने साथियों के साथ बैठकर वे परमात्मा का कीर्तन करते और जब अकेले होते तो घंटों कीर्तन में मग्न रहते। वे दिखावे से कोसों दूर रहते हुए यथार्थ में जीते थे। जिस कार्य में उन्हें दिखावे अथवा प्रदर्शन का अहसास होता, वे उसकी वास्तविकता जानकर विभिन्न सारगर्भित तर्कों द्वारा उसका खंडन करने की कोशिश करते। The Purpose Of Guru Nanak Dev Ji
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नानक जब 9 वर्ष के हुए तो उनके पिता कालूचंद खत्री, जो पटवारी थे और खेती-बाड़ी का कार्य भी करते थे, उनका यज्ञोपवीत संस्कार कराने के लिए पुरोहित को बुलाया। जब पुरोहित ने यज्ञोपवीत पहनाने के लिए नानक के गले की ओर हाथ बढ़ाया तो नानक ने पुरोहित का हाथ पकड़ लिया और पूछने लगे कि आप यह क्या कर रहे हैं और इससे क्या लाभ होगा। पुरोहित ने कहा, बेटे, यह जनेऊ है। इसे पहनने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसे पहने बिना मनुष्य शूद्र की श्रेणी में रहता है। तब नानक ने पुरोहित से पूछा, यह सूत का बना जनेऊ मनुष्य को मोक्ष कैसे दिला सकता है। मनुष्य का अंत होने पर जनेऊ तो उसके साथ परलोक में नहीं जाता। नानक के इन शब्दों से वहां उपस्थित सभी व्यक्ति बेहद प्रभावित हुए। अंतत: पुरोहित को कहना ही पड़ा कि तुम सत्य कह रहे हो, वास्तव में हम अंधविश्वासों में डूबे हुए हैं। गुरु नानक पाखंडों के घोर विरोधी थे और उनकी यात्राओं का वास्तविक उद्देश्य लोगों को परमात्मा का ज्ञान कराना किन्तु बाह्य आडम्बरों एवं पाखंडों से दूर रखना ही था। The Purpose Of Guru Nanak Dev Ji
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