Covishield Vaccine : केजीएमयू का कहना- कोविशील्ड लगवाने वालों को अब डरने की जरूरत नहीं…

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Covishield Vaccine
केजीएमयू का कहना- कोविशील्ड लगवाने वालों को अब डरने की जरूरत नहीं...
  • वैक्सीन के दुष्प्रभाव की बात सिर्फ दुष्प्रचार

  • केजीएमयू ने शोध पत्रों का अध्ययन कर जारी की रिपोर्ट

India News (इंडिया न्यूज़), Covishield Vaccine : बीते दिनों कोरोना वैक्सीन कोविशील्ड बनाने वाली ब्रिटिश कंपनी एस्ट्राजेनेका के हाल ही में यह स्वीकारने के बाद कि यह टीका लगाने वाले लोगों के शरीर में खून के थक्के जम सकते हैं, लेकिन एक स्टडी रिपोर्ट में यह बात सामने आई है, जिसमें ऐसे किसी भी बात से इनकार किया गया है।

Covishield Vaccine : यह कहना है केजीएमयू का

जानकारी दे दें कि यूपी की राजधानी लखनऊ स्थित किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के न्यूरोलॉजी विभाग ने कोविशील्ड के दुष्प्रभाव को लेकर देशभर के शोध पत्रों का अध्ययन कर एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें डॉक्टरों ने कहा कि कोविशील्ड लगवाने वालों को डरने की जरूरत नहीं है।

केजीएमयू न्यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. आरके गर्ग के निर्देशन में किए गए अध्ययन में कहा गया कि कोविशील्ड लगवाने के 2-3 साल बाद ब्लड क्लाटिंग, दिल का दौरा पड़ने व न्यूरो से संबंधित बीमारियों की न के बराबर हैं। वैक्सीन के दुष्प्रभाव की बात सिर्फ दुष्प्रचार है।

जून-2022 तक देशभर में 1,97,34,08,500 कोविड वैक्सीन की डोज लगी

टीका लगने के दो सप्ताह के अंदर देशभर में करोड़ों लोगों में से महज 136 लोगों को हल्की सी परेशानी हुई थी। डॉक्टर गर्ग ने बताया कि जून-2022 तक देश में 1,97,34,08,500 कोविड वैक्सीन की डोज लगाई गई थीं और इनमें से ज्यादातर लोगों को कोविशील्ड लगी थी।

उन्होंने बताया कि महज 136 मरीजों में दिक्कतें सामने आई थीं और यह शुरुआती दौर था। इनमें 10 मरीजों के दिमाग में खून का थक्का जमने की शिकायत मिली थी। हरपीज वायरस के 31 केस सामने आए थे। मस्तिष्क व स्पाइन कॉर्ड में सूजन और फंक्शनल न्यूरोलॉजिकल डिसआर्डर के मामले भी थे। दिल्ली, यूपी, पश्चिम बंगाल और केरल से अधिक मामले सामने आए थे।

लॉकडाउन में खराब हो गई थी लोगों की जीवनशैली खराब : डॉक्टर गर्ग

डॉक्टर आरके गर्ग ने बताया कि लाकडाउन की वजह से लोगों की जीवनशैली काफी खराब हो गई थी। इसी कारण दिल में ब्लाॅकेज के केस भी सामने आ रहे थे। दरअसल, खानपान असंतुलित होने से मोटापा और डायबिटीज का स्तर बढ़ गया था। मांसपेशियों में सूजन की वजह से भी दिल की धड़कन प्रभावित हो रही थी। ऐसी स्थिति में दिल की बीमारी की संभावना बढ़ती है।

हार्ट अटैक के ये भी कारण

डॉक्टर गर्ग ने बताया कि हार्ट अटैक के शिकार हुए लोगों में प्री-डायबिटीज, प्री-हायपरटेंशन और मोटापा जैसे कारण भी जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि कई मामलों में बिना पर्याप्त वार्मअप के हार्ड एक्सरसाइज भी दिल के दौरे का कारण बना। डॉक्टर गर्ग का कहना है कि स्वस्थ रहने के लिए रोज पर्याप्त शारीरिक व्यायाम बेहद जरूरी है।

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