250 साल में पहली बार डिफेंस लैंड पॉलिसी में 1765 के बाद पहली बार बदलाव किए जा रहे हैं, उस वक्त ब्रिटिश काल में बंगाल के बैरकपुर में पहली छावनी बनाई गई थी, तब सेना से जुड़ी जमीन को मिलिट्री के कामों के अलावा किसी और मकसद के लिए इस्तेमाल करने पर पाबंदी लगाई गई थी।
बाद में 1801 में ईस्ट इंडिया कंपनी के गवर्नर जनरल-इन-काउंसिल ने आदेश दिया था, कि किसी भी कैंटोनमेंट का कोई भी बंगला और क्वार्टर किसी ऐसे व्यक्ति को बेचने की इजाजत नहीं होगी जो सेना से नहीं जुड़ा हो।
नए नियमों के तहत आठ EVI प्रोजेक्ट्स की पहचान की गई है, इनमें बिल्डिंग यूनिट्स और रोड भी शामिल हैं, इसके तहत कैंटोनमेंट जोन्स में डिफेंस से जुड़ी जमीन की वैल्यू वहां की लोकल मिलिट्री अथॉरिटी की अगुवाई वाली कमेटी तय करेगी।
वहीं कैंटोनमेंट से बाहर की जमीन के रेट डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट तय करेंगे, एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक वित्त मंत्रालय ने भी एक नॉन-लेप्सेबल मॉडर्नाइजेशन फंड के लिए रेवेन्यू जुटाने के लिए डिफेंस की जमीन को मॉनिटाईज करने का सुझाव दिया है।
अधिकारियों के मुताबिक डिफेंस मॉडर्नाइजेशन फंड बनाने के ड्राफ्ट कैबिनेट नोट पर भी चर्चा जारी है, इस बारे में जल्द आखिरी फैसला लिया जाएगा और कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।
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