India News Haryana (इंडिया न्यूज), BJP Membership Campaign : लगातार तीन विधानसभा चुनाव जीतने के बाद नगर निगम चुनाव से पहले खुद की स्थिति मजबूत करने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने 8 नवंबर को मेंबरशिप ड्राइव शुरू की थी। कई बार मेंबरशिप ड्राइव की तारीख बढ़ाने के बाद भी फिलहाल तक पार्टी निर्धारित टारगेट को पूरा नहीं कर पाई और सदस्यता अभियान की तारीख बढ़ाने को लेकर भी धरातल स्थिति स्पष्ट नहीं है तो ऐसे में पार्टी लगातार मंथन और चिंतन कर रही है कि टारगेट पूरा क्यों नहीं हो पाया।
अब भी टारगेट पूरा नहीं हो सका तो डेडलाइन बढ़ाने की सार्वजनिक घोषणा को लेकर अभी कुछ स्पष्ट नहीं है। पार्टी की 16 दिसंबर तक की आधिकारिक जानकारी के अनुसार हरियाणा में भाजपा के 35 लाख से अधिक सदस्य बन चुके हैं। पार्टी प्रदेश अध्यक्ष और सीनियर नेताओं का दावा है कि कार्यकर्ताओं की मेहनत से टारगेट भी जल्द पूरा करेंगे। वहीं नवीनतम जानकारी के अनुसार अब तक भाजपा के करीब 39 लाख सदस्य बन चुके हैं।
पार्टी के निर्धारित टारगेट के अनुसार पार्टी को सदस्य अभियान के दौरान 50 हजार एक्टिव मेंबर बने थे और इसके अलावा 50 लाख सदस्य बनाने का टारगेट रखा गया था। सक्रिय सदस्य बनने हेतु 100 प्राथमिक सदस्य और प्रत्येक बूथ पर 250 सदस्य जोड़ने के लक्ष्य को पार करने का पैमाना निर्धारित किया गया था तो शुरुआत में पार्टी की तरफ से कहा गया था कि पार्टी 50 सदस्य बनाने वाले कार्यकर्ता को पार्टी का सक्रिय सदस्य बनाने पर भी विचार कर सकती है।
एक बार फिर पुन: बता दें कि हरियाणा में 8 नवंबर को शुरू किए गए सदस्यता अभियान को विधिवत रूप से 9 नवंबर को शुरू किया गया था। सदस्यता अभियान का टारगेट पूरा करने की पहली तारीख 30 नवंबर निर्धारित की गई। इसके बाद जब टारगेट पूरा नहीं हुआ तो पार्टी ने सदस्यता अभियान की तारीख 5 दिसंबर कर दी लेकिन टारगेट अधूरा ही रहा। इसको देखते हुए सदस्यता अभियान की अगली तारीख 10 दिसंबर और बाद में 15 दिसंबर भी निर्धारित की गई लेकिन पार्टी निर्धारित सदस्य बनाने की टारगेट को पूरा नहीं कर पाई और फिलहाल तक नई तारीख को लेकर संशय की स्थिति बरकरार है।
गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 48 विधानसभा सीटें जीतने के साथ करीब 55 लाख वोट प्राप्त किये थे लेकिन पार्टी निर्धारित 50 लाख सदस्य नहीं बना पाने पर संबंधित पहलुओं, अन्य विकल्पों और रणनीति पर चिंतन और मंथन कर रही है। बता दें कि सदस्यता अभियान के तहत पार्टी जहां पुराने सदस्यों का नवीनीकरण करती है, वहीं नये सदस्य भी पार्टी के साथ जोड़े जाते हैं।
निकाय चुनाव को लेकर तमाम प्रक्रिया शुरू हो चुकी है तो संभावना है कि आने वाले 2 महीने में कई नगर निगम और अन्य निकाय में चुनाव पूरे हो जाएंगे। नजदीक आ रहे निकाय चुनाव को लेकर पार्टी ने संगठन के स्तर पर सभी सांसदों, मंत्रियों और विधायकों से कहा गया था कि वे सदस्यता अभियान को गंभीरता से लें लेकिन टारगेट पूरा नहीं होने से स्पष्ट है कि पार्टी के निर्देशों को इतनी गंभीरता से नहीं लिया गया और सदस्यता अभियान में विधायकों व सांसदों के सक्रियता से भाग नहीं लेने पर पार्टी असमंजस में नजर आ रही है।
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हरियाणा में 11 नगर निगम हैं जिनमें से 10 में चुनाव होने लंबित हैं। विधानसभा चुनाव में अंबाला से मेयर शक्ति रानी और सोनीपत से मेयर निखिल मदान भाजपा की टिकट से चुनाव जीत चुके हैं। इनके समेत 10 नगर निगमों के चुनाव बाकी हैं। सिर्फ पंचकूला नगर निगम ही है, जहां अभी मेयर है। यहां कार्यकाल जनवरी 2026 तक बाकी है। यमुनानगर, करनाल, पानीपत, रोहतक, हिसार, गुरुग्राम और फरीदाबाद में भी मेयर का कार्यकाल पूरा हो चुका है।
मानेसर नगर निगम गठित होने के बाद वहां अभी तक चुनाव नहीं हुए हैं। 11 में से अब 10 नगर निगमों में चुनाव लंबित हो गए हैं। अभी वहां की व्यवस्था प्रशासनिक अधिकारी संभाल रहे हैं। कई निगमों के चुनाव तो दो-दो साल से लंबित हैं। आपको बता दें कि किसी भी इकाई का कार्यकाल खत्म होने के बाद 6 महीने के अंदर उसका गठन करवाना होता है। यह भी बता दें कि हरियाणा में 55 नगर पालिका और 23 नगर परिषद हैं। हरियाणा में फरीदाबाद सबसे बड़ा और पंचकूला सबसे छोटा निगम है।
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हरियाणा में भाजपा लगातार तीसरी दफा सरकार बनाने में सफल रही है और पार्टी की कोशिश है कि विधानसभा चुनाव में मिली जीत का मनोवैज्ञानिक और राजनीतिक फायदा नगर निगम चुनाव में लिया जाए। भाजपा ने इस बार अपने दम पर रिकॉर्ड बहुमत हासिल किया है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर निकाय चुनाव में पार्टी को जीत मिलती है तो उसमें विधानसभा चुनाव की जीत की बड़ी भूमिका रहेगी। हरियाणा के शहरी इलाकों में बीजेपी कांग्रेस से ज्यादा मजबूत है। हालांकि लोकसभा चुनाव में भाजपा पांच सीटें हार गई थी, लेकिन उसने कांग्रेस की तुलना में अधिक शहरी सीटें जीतीं। विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने शहरी सीटों पर भी अच्छा प्रदर्शन किया। दोनों चुनावों के आंकड़ों को देखें तो बीजेपी इसे निकाय चुनाव में फायदे के तौर पर देख रही है।
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