तरुणी गांधी, चंडीगढ़।
Chandigarh Langar Baba Ahuja No More लंगर बाबा यानी जगदीश आहूजा का सोमवार को निधन हो गया। पीजीआईएमईआर चंडीगढ़ के बाहर भोजन के लिए लंबे समय से प्रतीक्षित लोग उस आदमी की ओर देखा करते थे जो उन सभी को खिलाए बिना सो नहीं सकता था, लेकिन आज वह शख्स हमेशा के लिए सो गया। बता दें लंगर मैन के नाम से मशहूर पद्म जगदीश आहूजा का पेट के कैंसर से निधन हुआ।
दो दशकों से अधिक समय से पीजीआईएमईआर के पास प्रतिदिन सैकड़ों लोगों को लंगर की सेवा करने वाले 75 वर्षीय जगदीश लाल आहूजा को 26 जनवरी, 2020 को पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
सेक्टर-23 निवासी आहूजा पेट के कैंसर से पीड़ित थे। अपने घर पर बैठकर आहूजा ने एक बार द डेली गार्जियन से कहा था कि मैं अपने परिवार के साथ 1947 में बंटवारे के समय पाकिस्तान के पेशावर से यहां आया था। मेरा परिवार मानसा आया और फिर रोपड़ और फिर अन्य जगह की ओर शिफ्ट हो गया। मैंने नई दिल्ली की पुरानी मंडी में सड़क किनारे बैठकर फ्रूट भी बेचा।
लंगर बाबा ने हाल ही में बताया था कि पीजीआई के बाहर लंगर शुरू करने का विचार मेरे भीतर की आवाज थी। मैंने गरीबी और भूखमरी का सामना किया था, और जब मुझे लगा कि मैं दूसरों का पेट भरने में सक्षम हूं तो मैंने लंगर सेवा शुरू करने का फैसला किया। पद्म श्री जीतने पर उन्होंने कहा कि मैंने अभी-अभी मीडियाकर्मियों से पद्म श्री पुरस्कार के बारे में सुना है। मुझे नहीं पता कि मेरे नाम की सिफारिश किसने की और इसे कैसे स्वीकार किया गया। मैं बस इतना चाहता हूं कि सरकार मुझे आयकर से छूट दे, ताकि मेरा परिवार मेरी मृत्यु के बाद भी लंगर सेवा जारी रख सके। जगदीश आहूजा के परिवार में पत्नी, पुत्र और पुत्री हैं और उनके पोते और पोतियों का परिवार भी है।