India News Haryana (इंडिया न्यूज), CM Saini Attacks Congress : विधानसभा चुनाव के बीच नौकरियों को लेकर हिसाब मांग रही कांग्रेस अब खुद ही कटघरे में खड़ी नजर आ रही है। रोजगार के मुद्दे पर भाजपा को घेरने के चक्कर में कांग्रेस फंसकर खड़ी हो गई है। हरियाणा में कांग्रेस के 10 साल और भाजपा के 10 साल में नौकरी देने का अंतर लगभग दोगुना है। यानी भाजपा ने कांग्रेस के मुकाबले लगभग दोगुनी नौकरी युवाओं की दी है।
सरकारी आंकड़े गवाह हैं कि कांग्रेस के 2005 से 2014 तक शासन में कुल 86 हजार 67 युवाओं को नौकरी दी गई, जबकि भाजपा ने 2014 से 2024 तक के कार्यकाल में 1 लाख 43 हजार सरकारी नौकरियां दी गई। इसका बड़ा कारण यह भी है कि कांग्रेस के शासन में नौकरी पाने के लिए युवाओं को रुपये देने पड़ते थे और नेता जी की सिफारिश करवानी पड़ती थी। पर्ची बनती थी और नेता से लेकर अधिकारियों की जेब गर्म होती थी तब जाकर युवाओं को नौकरी मिलती थी।
पूरा प्रदेश जानता है कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा के शासन में एक विशेष क्षेत्र के युवाओं को नौकरी मिली, नेताओं के रिश्तेदारों को नौकरी मिलती थी। गरीब परिवारों के युवाओं के लिए सरकारी नौकरी सिर्फ सपना थी। भाजपा ने सत्ता में आते ही इस परिपाटी को तोड़ा और एक सिस्टम बनाकर सबसे पहले बिना पर्ची और बिना खर्ची के नौकरी देने की शुरुआत की। योग्यता के आधार पर नौकरी दी गई और 10 साल में कांग्रेस के शासन से कई ज्यादा सरकारी नौकरी दे डाली।
अब जब भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके बेटे दीपेंद्र हुड्डा हिसाब मांगों यात्रा निकाल रहे हैं तो भाजपा ने सरकारी नौकरियों समेत हर क्षेत्र में रोजगार के आंकड़े जारी कर दिए। यह कहना गलत नहीं होगा कि चुनाव के मौसम में कांग्रेस ने भाजपा से हिसाब मांगकर खुद के लिए आत्मघाती कदम उठा लिया है। भूपेन्द्र सिंह हुड्डा के कार्यकाल में रोजगारों की कमी और खर्ची-पर्ची से भर्तियों से लगा दाग कांग्रेस के दामन से छुड़ाए नहीं छूट रहा है। चौतरफा हो रही आलोचना से अब इस पूरे मुद्दे पर कांग्रेस बैकफुट पर नजर आ रही है।
सरकार द्वारा जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में रोजगार की मांग और आपूर्ति के लिए डिजिटल पोर्टल बनाए गए। ईपीएफओ के आंकड़ों के अनुसार, कांग्रेस के शासन में 46.20 लाख फॉर्मल सेक्टर की नौकरियां दी गई थी, जबकि भाजपा शासन में यह आंकड़ा बढ़कर 1.60 करोड़ हो गया। यह आंकड़ा भी दोगुने से ज्यादा है। भाजपा ने सरकारी नौकरी के साथ-साथ रोजगार के सृजन में हर क्षेत्र का ध्यान रखा और पूरी प्लानिंग से युवाओं को रोजगार दिया।
सरकारी रिपोर्ट में बताया गया कि प्रधानमंत्री मुद्रा योजना और पीएमएमवाई जैसी योजनाओं के तहत पिछले 10 साल में प्रदेश में 33.81 लाख रोजगार सृजित हुए हैं, जो पूरे देश के कुल रोजगार का 9 प्रतिशत है। रोजगार के मामले में यह आंकड़ा चौकाने वाला है शायद ऐसा आंकड़ा और इतने बड़े स्तर पर नए रोजगार पहले कभी नहीं मिले। इसके अलावा 2015 से 2023 के बीच राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं से 17.18 लाख नौकरियां सृजित की गईं।
रिपोर्ट के अनुसार 2022-23 में हरियाणा में दी गई नौकरियों का 70 प्रतिशत गैर-कृषि क्षेत्र से आया, जो 2011-12 की तुलना में 57 प्रतिशत अधिक है। हरियाणा की औसत एमपीसीई और प्रति व्यक्ति आय भी राष्ट्रीय औसत से अधिक तेजी से बढ़ी है। स्थिर सरकार, व्यापार में आसानी, मजबूत बुनियादी ढांचा और रसद सुविधाओं ने हरियाणा को सेवा और विनिर्माण क्षेत्रों में भी लाभ पहुंचाया है। रिपोर्ट के अनुसार विगत 10 वर्षों में हरियाणा बीपीओ कर्मचारियों और ऑटोमोटिव हब के लिए एक प्रमुख बनकर उभर है।
भाजपा खोखले दावे नहीं कर रही कि उसने हर क्षेत्र में हर वर्ग के रोजगार का ध्यान रख है। भारत कौशल रिपोर्ट 2024 के अनुसार हरियाणा में योग्य रोजगार संसाधनों की संख्या सबसे अधिक है,विशेष रूप से महिलाओं में रोजगार पाने की योग्यता सबसे ज्यादा है। डिजिटल साक्षरता में भी हरियाणा ने नए आयाम बनाए हैं। आज प्रदेश के 92.44 प्रतिशत घरों में कंप्यूटर हैं। सरकारी सुविधाओं का लाभ घर बैठे लिया जा रहा है।
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह के अनुसार राज्य सरकार चुनावों के दौरान भी युवाओं की भर्ती प्रक्रिया को सुचारू रूप से जारी रखना चाहती थी। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने चुनाव आयोग से इस बाबत आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायत कर दी, जिसके कारण लगभग 25,000 पदों पर परिणाम तैयार होने के बावजूद भर्तियों की प्रक्रिया चुनाव परिणामों के बाद तक के लिए स्थगित कर दी गई।
कांग्रेस का भर्ती रोको गैंग ही अब कांग्रेस के लिए बड़ी मुसीबत बन गया है। कांग्रेस द्वारा चुनाव आयोग में की गई शिकायत के विरोध में युवा परीक्षार्थियों ने भूपेन्द्र सिंह हुड्डा के चंडीगढ़ आवास के बाहर प्रदर्शन भी किया था और मांग की थी कि कांग्रेस को अपना राजनीतिक स्वार्थ से ऊपर उठकर युवाओं के भविष्य के विषय में सोचना चाहिए।
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