कृषि कानूनों पर दीपेंद्र हुड्डा के सवाल
चंडीगढ़: CWC सदस्य और राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने नए कृषि कानूनों पर सरकार से सवाल पूछे हैं। दीपेंद्र हुड्डा ने सवालों की फेहरिस्त जारी करके सरकार से जवाब मांगा है। सरकार की तरफ से दावा किया जा रहा है कि तीन नए कानून लागू होने से हरियाणा के किसानों को बहुत फायदा होने वाला है। अब यहां के किसान दूसरे राज्यों में अपनी फसल बेच कर मुनाफा कमाएंगे। साथ ही सरकार दावा कर रही है कि प्राइवेट एजेंसी अब किसानों को MSP से भी ज्यादा रेट देंगी।
कृषि बिल पर दीपेंद्र हुड्डा के सवाल
- अगर सरकार की MSP को लेकर नीयत साफ है तो वो मंडियों के बाहर होने वाली ख़रीद पर किसानों को MSP की गारंटी दिलवाने से क्यों इंकार कर रही है?
- MSP से कम ख़रीद पर प्रतिबंध लगाकर, किसान को कम रेट देने वाली प्राइवेट एजेंसी पर क़ानूनी कार्रवाई की मांग को सरकार खारिज क्यों कर रही है?
- कोरोना काल काल के बीच इन तीन क़ानूनों को लागू करने की मांग कहां से आई? ये मांग किसने की? किसानों ने या औद्योगिक घरानों ने?
- देश-प्रदेश का किसान मांग कर रहा था कि सरकार अपने वादे के मुताबिक स्वामीनाथन आयोग के सी2 फार्मूले के तहत MSP दे, लेकिन सरकार ठीक उसके उलट बिना MSP प्रावधान के क़ानून लाई है। आख़िर इसके लिए किसने मांग की थी?
- प्राइवेट एजेंसियों को अब किसने रोका है किसान को फसल के ऊंचे रेट देने से? फिलहाल प्राइवेट एजेंसीज मंडियों में MSP से नीचे पिट रही धान, कपास, मक्का, बाजरा और दूसरी फसलों को MSP या MSP से ज़्यादा रेट क्यों नहीं दे रहीं?
- उस स्टेट का नाम बताइए जहां पर हरियाणा-पंजाब का किसान अपनी धान, गेहूं, चावल, गन्ना, कपास, सरसों, बाजरा बेचने जाएगा, जहां उसे हरियाणा-पंजाब से भी ज्यादा रेट मिल जाएगा?
- जमाखोरी पर प्रतिबंध हटाने का फ़ायदा किसको होगा- किसान को, उपभोक्ता को या जमाखोर को?
- सरकार नए क़ानूनों के ज़रिए बिचौलियों को हटाने का दावा कर रही है, लेकिन किसान की फसल ख़रीद करने या उससे कॉन्ट्रेक्ट करने वाली प्राइवेट एजेंसी, अडानी या अंबानी को सरकार किस श्रेणी में रखती है- उत्पादक, उपभोक्ता या बिचौलिया?
- जो व्यवस्था अब पूरे देश में लागू हो रही है, लगभग ऐसी व्यवस्था तो बिहार में 2006 से लागू है। तो बिहार के किसान इतना क्यों पिछड़ गए?
- बिहार या दूसरे राज्यों से हरियाणा में BJP-JJP सरकार के दौरान धान जैसा घोटाला करने के लिए सस्ते चावल मंगवाए जाते हैं। तो सरकार या कोई प्राइवेट एजेंसी हमारे किसानों को दूसरे राज्यों के मुकाबले मंहगा रेट कैसे देगी?
- टैक्स के रूप में अगर मंडी की इनकम बंद हो जाएगी तो मंडियां कितने दिन तक चल पाएंगी?
- क्या रेलवे, टेलीकॉम, बैंक, एयरलाइन, रोडवेज, बिजली महकमे की तरह घाटे में बोलकर मंडियों को भी निजी हाथों में नहीं सौंपा जाएगा?
- अगर ओपन मार्केट किसानों के लिए फायदेमंद है तो फिर “मेरी फसल मेरा ब्योरा” के ज़रिए क्लोज मार्केट करके दूसरे राज्यों की फसलों के लिए प्रदेश को पूरी तरह बंद करने का ड्रामा क्यों किया?
- अगर हरियाणा सरकार ने प्रदेश में 3 नए कानून लागू कर दिए हैं तो फिर मुख्यमंत्री खट्टर किस आधार पर कह रहे हैं कि वह दूसरे राज्यों से हरियाणा में मक्का और बाजरा नहीं आने देंगे?
- अगर सरकार सरकारी ख़रीद को बनाए रखने का दावा कर रही है तो उसने इस साल सरकारी एजेंसी FCI की ख़रीद का बजट क्यों कम दिया? वो ये आश्वासन क्यों नहीं दे रही कि भविष्य में ये बजट और कम नहीं किया जाएगा?
- जिस तरह से सरकार सरकारी ख़रीद से हाथ खींच रही है, क्या इससे भविष्य में ग़रीबों के लिए जारी पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम में भी कटौती होगी?
- क्या राशन डिपो के माध्यम से जारी पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम, ख़रीद प्रक्रिया के निजीकरण के बाद अडानी-अंबानी के स्टोर के माध्यम से प्राइवेट डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम बनने जा रहा है?
राज्यसभा सांसद दीपेंद्र ने सवालों की सूची जारी करते हुए सरकार से जवाब मांगा है। सांसद दीपेंद्र ने कहा कि सरकार आरोप लगाती है कि किसान इन क़ानूनों को सही से समझ नहीं पाए और कांग्रेस उन्हें बरगला रहा है तो क्या अकाली दल भी इन्हें नहीं समझ पाया? क्या उसे भी कांग्रेस बरगला रही है? उनका कहना है कि अगर सरकार के पास इन सवालों का जवाब नहीं है तो किसानों को बरगलाना, किसान आंदोलन को बदनाम करना और उसे कुचलने की साजिश करना छोड़ दे। नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कांग्रेस खुले तौर पर किसानों के साथ खड़े लेकिन किसानों की राजनीति करने का दावा करने वाली जेजेपी कुर्सी के लालच में किसानों के विरोध में खड़ी है।
जेजेपी संस्थापकों की तरफ से नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर लगाए गए सरकार को पलटने के हिडन एजेंटा वाले आरोपों का भी दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने जवाब दिया। उन्होंने कहा कि हमारा कोई हिडन एजेंडा नहीं नहीं। किसानों का भला करना और उनके संघर्ष में साथ देना ही हमारा ओपन एजेंडा है। हम जेजेपी की तरह बीजेपी की सरकार बनाने का हिडन एजेंडा लेकर जनता के बीच में नहीं जाते। पूरा हरियाणा जानता है कि जेजेपी विधानसभा चुनाव से पहले ही हरियाणा में फिर से बीजेपी की सरकार बनाने के अपने हिडन एजेंडा में लग गई थी। इसलिए जेजेपी नेताओं ने बीजेपी विरोधी वोटों को बांटने के लिए पहले तो खट्टर सरकार के विरोध का ड्रामा किया और बाद में उसी सरकार की गोदी में जाकर बैठ गए।
इसके विपरीत हम खुले तौर पर किसानहित और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के सिद्धांतों पर राजनीति करते हैं। पूरा हरियाणा ही नहीं बल्कि पूरा देश जानता है कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा शासनकाल में किसानों के हित में जो काम हुए, वो उससे पहले या उसके बाद कभी नहीं हुए। हुड्डा राज में धान, गेहूं, गन्ना समेत ज़्यादातर फसलों के दाम 2 से 3 गुणा बढ़ाए गए। किसानों को वक़्त पर पूरी पेमेंट की गई। उनको मुफ्त बिजली दी, सिंचाई के लिए ज्यादा पानी दिया, उनके कर्ज माफ किए गए, बिजली बिल माफ किए गए और विकास योजनाओं के लिए जमीन अधिग्रहण पर देश में सबसे ज्यादा रेट दिया गया। यही वजह है कि हुड्डा राज में कभी किसानों को आंदोलन नहीं करना पड़ा। उनके शासन में कभी किसानों पर लाठी या गोली नहीं चलाई गई।