इशिका ठाकुर, India News Haryana (इंडिया न्यूज), International Gita Mahotsav : हिंदू धर्म में गाय को मां का दर्जा दिया जाता है लेकिन मौजूदा समय में देखने को मिलता है कि गाय सड़कों पर घूमती हुई दिखाई देती है। हरियाणा सरकार और भारत सरकार के द्वारा इस पर काफी काम भी किया जा रहा है ताकि गाय को सड़कों पर ना छोड़ा जाए और उसको पाला जाए। इसी के चलते केंद्र सरकार के द्वारा प्राकृतिक खेती पर भी जोड़ दिया जा रहा है जो गाय के गोमूत्र से प्राकृतिक खेती की जाती है और खनिज पदार्थ गोमूत्र से तैयार करके दिए जाते हैं। लेकिन गुजरात की एक ऐसी महिला है जिन्होने गाय को बचाने के लिए एक अलग ही अभियान चलाया हुआ है जिसमें वह खुद तो अपना रोजगार स्थापित कर रही है उसके साथ-साथ सैकड़ो महिलाओं को भी रोजगार दे रही है।
हम बात कर रहे हैं गुजरात से अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव पर पहुंची सिमरन आर्य की। सिमरन आर्य ने अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव पर पंचगव्य से तैयार किए हुए 50 से ज्यादा प्रोडक्ट की स्टाल लगाई हुई है । जहां पर उन्होंने केमिकल रहित प्रोडक्ट्स को तैयार करके लोगों तक पहुंचाने का जिम्मा उठाया हुआ है। सिमरन आर्य ने बताया कि उसकी कई साल पहले दिल की बीमारी हो गई थी जिसमें उन्होंने बहुत से डॉक्टर से इलाज कराया लेकिन उसकी तबीयत में सुधार नहीं हुआ फिर उन्होंने पंचगव्य से तैयार हुए प्रोडक्ट को लेना शुरू किया जिसमें उनको अच्छे परिणाम मिले और वह स्वस्थ हो गई। तो उन्होंने सोचा कि क्यों ना और लोगों तक भी पंचगव्य से तैयार हुए प्रोडक्ट पहुंचाया जाए, ताकि वह केमिकल रहित प्रोडक्ट अपने जीवन में अपना सके और एक स्वस्थ जीवन जी सके।
उन्होंने बताया कि वह एक संस्था के साथ जुड़ी हुई है जिसमें वह गुजरात गौशाला भी चला रहे हैं। उनका मुख्य उद्देश्य यह है कि गाय को बचाए जा सके और हर इंसान गाय के महत्व को समझ सके कि हम कैसे गाय के पंचगव्य से कितने प्रोडक्ट तैयार कर सकते हैं जो हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभकारी हैं। उन्होंने बताया कि हम 50 से ज्यादा प्रोडक्ट तैयार करते हैं जिसमें हम पंचगव्य में अन्य औषधि मिलकर उनको तैयार करते हैं और हम लोगों तक पहुंचाते हैं उनका अच्छा रिजल्ट भी सामने आ रहा है और लोग उनके प्रोडक्ट्स को काफी खरीद भी रहे हैं।
सिमरन आर्य ने बताया कि हमारे यहां पर गाय को मां का दर्जा दिया जाता है और गाय में सभी देवी देवताओं वास करते हैं लेकिन मौजूदा समय में गाय की हालत काफी खराब होती जा रही है। जब गाय दूध देना बंद कर देती है लोग उनको सड़कों पर छोड़ देते हैं। लेकिन उन्होंने बताया कि दूध देना बंद करने के बाद भी गाय से हम बहुत ही ज्यादा लाभ ले सकते हैं और प्रोडक्ट तैयार कर सकते हैं। और वह पंचगव्य से प्रोडक्ट तैयार कर रहे हैं जिसमें गाय का दूध ,दही, घी, गोबर और गोमूत्र पंचगव्य में आता है।
सिमरन आर्य ने बताया कि वह इसमें पर्यावरण को बचाने के लिए भी काम कर रहे हैं ताकि हमारा पर्यावरण स्वच्छ बनारहे। पंचगव्य से वह अगरबत्ती, कफ सिरप ,साबुन, दिए, फेस पैक, हेयर ऑयल सहित करीब 50 प्रोडक्ट तैयार करते हैं। इसमें बची हुई सामग्री को आसानी से डिस्पोज किया जाता है जिसमें पर्यावरण स्वच्छ रहता है।
उन्होंने कहा कि उनके पास लगातार 30 महिलाएं काम करती हैं लेकिन वहां पर उनके पास पंचगव्य से तैयार होने वाले प्रोडक्ट की ट्रेनिंग लेने के लिए सैकड़ो महिलाएं आती हैं। जो अपना खुद का रोजगार स्थापित कर चुकी है। यह ट्रेनिंग उनको फ्री में दी जाती है उनका इसका मुख्य उद्देश्य यह है कि सिर्फ हमारी संस्था ही नहीं कोई भी देश और विदेश की महिला गाय से मिलने वाले पंचगव्य से प्रोडक्ट तैयार करें जिसे गाय माता की भी रक्षा होती है और वह रोजगार भी स्थापित कर सकती हैं।
उन्होंने कहा कि वह पिछले कई सालों से अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव कुरुक्षेत्र में आ रही है और यहां पर उनको काफी अच्छा रिस्पांस मिलता है। उनके द्वारा तैयार किए गए प्रोडक्ट लोगों द्वारा काफी पसंद किया जा रहे हैं जिनकी खूब खरीदारी की जा रही है। उन्होंने कहा कि वह ऑनलाइन डिलीवरी भी पूरे भारत में करते हैं अगर किसी को किसी भी प्रकार के सामान की आवश्यकता है तो वह उनको उनके घर तक पहुंचा देते हैं उनका सिर्फ प्रयास है कि गाय माता की रक्षा हो सके और जो प्रोडक्ट वह तैयार करते हैं ऐसे ही प्रोडक्ट अन्य लोग भी तैयार करें ताकि गाय को सड़कों पर ना छोड़कर उसको घरों में पाला जाए।