इंडिया न्यूज,चंडीगढ़ (MP Karthik Sharma raised the issue of hostage taking of bodies in hospitals): सांसद कार्तिक शर्मा निरंतर आमजन युवाओं और किसानों के मसलों को सदन में उठा रहे हैं। जारी राज्यसभा सत्र में भी उन्होंने निरंतर हर वर्ग से जुड़े मुद्दों की आवाज बुलंद की है। कार्तिक शर्मा ने मंगलवार को भी सदन में बेहद ही गंभीर मसले को उठाया। उन्होंने सवाल पूछा था कि कि यदि किसी मृतक मरीज के परिजनों द्वारा बिल नहीं चुकाया जाए तो क्या कोई अस्पताल मरीज का शव देने से उनको मना कर सकता है।
क्या सरकार को इस बात का इल्म है कि इस तरह की घटनाएं निरंतर रिपोर्ट हो रही है और ऐसी घटनाओं पर रोक लगाने के लिए सरकार ने क्या कदम उठाए हैं। सवाल का लिखित देते हुए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्यमंत्री डॉ भारती प्रवीण पवार ने बताया कि मरीजों के अधिकारों का चैप्टर नैदानिक स्थापन अधिनियम 2010 के अंतर्गत वैधानिक निकाय राष्ट्रीय स्थापन परिषद द्वारा अनुमोदित है।
यह वेब पोर्टल clinicalestablishments.gov.in/WritReadData/3118pdf प्रणाम जानकारी के लिए उपलब्ध है। तथाकथित चार्टर के अनुसार अस्पताल द्वारा किसी भी कारणवश मरीज के मृत शरीर को छोड़े जाने से मना नहीं किया जा सकता। उपयुक्त चार्टर को अंगी करण और कार्यान्वयन हेतु सभी राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों को साझा कर दिया गया है, ताकि नैदानिक स्थापनों में महज और सौहार्दपूर्ण वातावरण सुनिश्चित करते हुए मरीजों की शिकायतों और मुद्दों का निवारण किया जा सके।
राज्य या संघ राज्य क्षेत्र यूटी सरकार अस्पतालों द्वारा शोषण के मामलों में मृतकों के परिवार की सुरक्षा के लिए उचित कदम उठाती है। रोगी अधिकार चार्टर के प्रावधानों का अंगीकरण और कार्यान्वयन में और निगरानी, संबंधित राज्य असंग राज्य के कार्यक्षेत्र में है। इस संबंध में जानकारी केंद्रीय तौर पर नहीं रखी जाती है। इस तरह से सांसद कार्तिक शर्मा निरंतर आमजन के मुद्दों को देश के सामने रख रहे हैं और इसके चलते उनकी स्वीकार्यता आमजन के बीच लगातार बढ़ रही है।