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Recruit Through HPSC & HSSC Order: यूनिवर्सिटी में एचपीएससी एवं एचएसएससी के माध्यम से भर्ती का फैसला कतई गलत – डॉ खटकड़

• LAST UPDATED : November 24, 2021

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इंडिया न्यूज, चंडीगढ़:
Recruit Through HPSC & HSSC Order: हरियाणा के विश्वविद्यालयों के शिक्षक संघों के पदाधिकारियों की आॅनलाइन बैठक हुई। इस बैठक की अध्यक्षता हरियाणा फेडरेशन आॅफ यूनिवर्सिटीज एंड कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन के चेयरमैन डॉक्टर विकास सिवाच ने की। उन्होंने बताया कि सभी विश्वविद्यालयों में 17 नवंबर कुलपति के माध्यम से मुख्यमंत्री, राज्यपाल एवं शिक्षा मंत्री को ज्ञापन सौंप कर सरकार के तानाशाही पूर्ण फैसले के संदर्भ में सभी कर्मचारियों के रोष से अवगत कराया गया।

सरकार को चेताया कि विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता का हनन न करे और एचपीएससी एवं एचएसएससी के माध्यम से भर्ती करने का अपना आदेश वापस ले। सभी विश्वविद्यालयों में 18 से 23 तारीख तक सांकेतिक धरने भी दिए गए। परंतु हरियाणा सरकार के कानों पर इस विषय में जूं तक नहीं रेंगी।

नया फैसला नई एजुकेशन पॉलिसी के खिलाफ Recruit Through HPSC & HSSC Order

वहां मौजूद सभी पदाधिकारियों ने बारी-बारी से अपना पक्ष रखा और सरकार के तानाशाही पूर्ण आदेश की भर्त्सना की। बैठक में कहा गया की हरियाणा सरकार जो ये बार बार सुनियोजित तरीके से विश्वविद्यालयों की स्वायतता पर प्रहार कर रही है इसे बहुत गंभीरता से लिया जा रहा है और इसे बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। विश्वविद्यालय राष्ट्र निर्माण एवं समाज का दिशानिर्देश देने का कार्य करती हैं और इस काम को सुचारू ढंग से करने के लिए ही विश्वविद्यालयों को दुनिया भर में स्वायत्तता प्रदान की गई है।

यह स्वायत्तता विश्वविद्यालयों को यूजीसी, विश्वविद्यालय के एक्ट, जो कि हरियाणा विधानसभा द्वारा पारित किए गए हैं, के कारण मिली हुई है। परंतु वर्तमान सरकार अपनी हठधर्मिता पर अड़ी हुई है और आए दिन नए ढंग से विश्वविद्यालय की स्वायत्तता में घुसपैठ कर रही है। यूनियन के जनरल सेक्रेटरी डॉ जितेंद्र खटकड़ ने कहा की नया नियम कतई उचित नहीं है और सरकार को ये फैसला वापस लेना चाहिए। नया फैसला नई एजुकेशन पॉलिसी के भी खिलाफ है।

शिक्षा विभाग के उच्च पदाधिकारी एवं सभी विश्वविद्यालयों के कुलपति सरकार के समक्ष कठपुतली मात्र बन चुके हैं और विश्वविद्यालयों के हितों की रक्षा करने की अपनी नैतिक जिम्मेदारी निभाने की बजाए सरकार के निदेर्शानुसार उन्हें ध्वस्त करने में लगे हैं। सभा में उपस्थित सभी पदाधिकारियों ने सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को चेतावनी दी कि वे विश्वविद्यालयों के एक्ट ओर स्टेचुट की रक्षा करें, और यदि वे ऐसा नहीं करेंगे तो उन्हें भारी विरोध और आक्रोश का सामना करना पड़ेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रमुख योजना व सरकार द्वारा प्रचारित न्यू एजुकेशन पॉलिसी में स्वायत्तता को बढ़ावा देने की बात की गई है, पर जमीनी स्तर पर हरियाणा सरकार उसके विपरीत कार्य कर रही है।

एकजुट होकर करेंगे विरोध Recruit Through HPSC & HSSC Order

उच्च शिक्षा विभाग के निदेशक यूजीसी, माननीय उच्च न्यायालय, हरियाणा विधानसभा द्वारा पारित नियमों के खिलाफ जाकर विश्वविद्यालयों की भर्तियां अपने माध्यम से करने का प्रयास कर रहे हैं। सभी पदाधिकारियों ने यह कहा कि वे एकजुट होकर एक आवाज में इसका पुरजोर विरोध करेंगे और आंदोलन करेंगे। इसके उलट सरकार अपने HRMS के एजेंडा पर विधान सभा में मुख्य मंत्री एवम शिक्षा मंत्री के विश्वविद्यालयों की स्वयताता के विषय में कुछ न करने के अपने वादे के बावजूद।

सरकार के उच्च पदाधिकारी बाज नहीं आ रहे और उन्होंने सभी विश्विद्यालयों के उप कुलसचिवों को HRMS पोर्टल पर डाटा मैनेज करने की कार्यशाला के लिए 27 नवंबर को चंडीगढ़ बुलाया है। सरकार के इस रवैया से सभी कर्मचारियों में भारी रोष है। सभी शिक्षक संघ संघ ओके पदाधिकारियों ने एकजुट होकर कहा कि हरियाणा सरकार वादाखिलाफी ना करे, एवं दलगत राजनीति और आंख मिचौली का खेल खेलना बंद करे, अन्यथा इसके परिणाम घातक होंगे।

हरियाणा के विश्वविद्यालयों की राष्ट्रीय स्तर पर गरिमा कायम Recruit Through HPSC & HSSC Order

ऐसा लगता है कि सरकार बार-बार अपने बेतुके फरमाना के जरिए विश्वविद्यालयों के कर्मचारियों को अपने शैक्षणिक गतिविधियों के कामकाज छोड़कर सरकार के विरोध में जुटे रहने पर मजबूर कर रही है। सरकार चाहती है कि विश्वविद्यालयों के सभी कर्मचारी आए दिन धरना प्रदर्शन करते रहे और विश्वविद्यालयों की शिक्षा व्यवस्था सुचारू रूप से न चले, ताकि विश्वविद्यालयों का निजीकरण आसानी से किया जा सके, शिक्षा गरीब छात्रों की पहुंच से दूर हो जाए, और ना ही कोई सरकार से रोजगार की मांग करें।

सरकार को विद्यार्थियों को होने वाले शैक्षणिक नुकसान की भी कोई परवाह नहीं है। अभी एक बहुत ही लंबे अंतराल के बाद विद्यार्थियों को विश्वविद्यालयों में कक्षा लगाने की अनुमति मिली थी और शैक्षणिक गतिविधियां नियमित रूप से शुरू होने वाली थी। पर सरकार की हठधर्मिता और अड़ियल रवैया के कारण शैक्षणिक गतिविधियों में बाधा उत्पन्न होना लाजमी है। हरियाणा के लगभग सभी विश्वविद्यालयों ने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी गरिमा कायम की है, पर सरकार अब जिस दिशा में बढ़ रही है यह विश्वविद्यालयों के लिए घातक होगा और इसे बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

आन्दोलन और आक्रमक होगा Recruit Through HPSC & HSSC Order

सरकार का निकम्मापन इस बात से उदाहरण मिलता है कि चार वर्षों बाद भी सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें अब तक लागू नहीं की गई, जिसके कारण हरियाणा के सभी शिक्षक पीएचडी इंक्रीमेंट के लाभ से वंचित हैं। हरियाणा सरकार शिक्षकों की हितैषी होने की बजाय उन को बार-बार प्रताड़ित करने में जुटी है।

पिछली बैठक में यह कहा गया था कि अगर 23 तारीख तक इस आदेश को वापस नहीं लिया जाएग तो यह आन्दोलन और आक्रमक होगा और इसकी जिÞम्मेदारी हरियाणा सरकार की होगी। इस दिशा में आज की बैठक में यह फैसला लिया गया कि सरकार को चेतावनी के तौर पर शुक्रवार 26 नवंबर को सामूहिक अवकाश लिया जाएगा।

अभी सामूहिक अवकाश के दौरान विश्वविद्यालयों के नियमित कार्य बाधित नहीं किए जाएंगे क्योंकि इससे छात्रों को असुविधा होगी। मुख्य मंत्री एवम राज्यपाल महोदय से मिलने का वक्त मांगा गया है। अगर वह मंगलवार तक मिलने का वक्त नहीं देंगे तो आगे नियमित कार्य स्थगित करते हुए विश्वविद्यालयों को पूर्ण रुप से बंद भी करना पड़ सकता है। और इसकी जिम्मेदारी पूर्णत: हरियाणा सरकार की होगी।

इस अवसर पर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के प्रधान डॉ विवेक गौड़, जनरल सेक्रेटरी डॉ जितेंद्र खटकड़, हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी शिक्षक संघ के प्रधान डॉ प्रदीप, गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय के टीचिंग एसोसिएशन के उपप्रधान डॉ राजेश ठाकुर व जनरल सेक्रेटरी डॉ विनोद गोयल, दीनबंधु छोटूराम तकनीकी विश्वविद्यालय मुरथल शिक्षक संघ के प्रधान डॉ प्रदीप सिंह, वाईएमसीए शिक्षक संघ प्रधान डॉ ओमप्रकाश, डॉ पवन तथा डॉ राकेश इत्यादि ने भाग लिया और अपने विचार रखे।

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