India News Haryana (इंडिया न्यूज), Haryana Congress: हरियाणा में कांग्रेस का नेता प्रतिपक्ष चुनने की प्रक्रिया में गुटबाजी और शक्ति प्रदर्शन की गतिविधियाँ तेज हो गई हैं। भूपिंदर सिंह हुड्डा का गुट अपनी ताकत दिखाने में जुटा है, ताकि कांग्रेस हाईकमान को यह संदेश दिया जा सके कि उनका राजनीतिक दबदबा अभी भी कायम है। दूसरी ओर, कुमारी सैलजा और रणदीप सुरजेवाला की टीम पर्दे के पीछे अपनी रणनीति बनाने में लगी है, ताकि हार के बावजूद वे अपनी स्थिति मजबूत कर सकें।
हुड्डा गुट की शक्ति का आधार 31 विधायक हैं, जो उनके लिए एक महत्वपूर्ण समर्थन हैं। वे समझते हैं कि यदि वे नेता प्रतिपक्ष बनते हैं, तो भविष्य में मुख्यमंत्री पद की दावेदारी भी कर सकते हैं। भले ही भूपिंदर सिंह हुड्डा की उम्र बढ़ गई हो, उनके बेटे दीपेंद्र की राजनीतिक स्थिति मजबूत है, और यह गुट अपने दबदबे को बनाए रखने की कोशिश कर रहा है।
दूसरी तरफ, सैलजा और सुरजेवाला की स्थिति चुनाव में मिली हार के कारण कमजोर पड़ी है। उनकी टीम में से कई नेता चुनाव हार चुके हैं, जिससे उनकी ताकत में कमी आई है। वे अब नए सिरे से संगठन बनाने की तैयारी कर रहे हैं, जिसमें दोनों गुटों को कुछ हिस्सेदारी मिल सकती है। कांग्रेस हाईकमान को यह तय करना है कि नेता प्रतिपक्ष किसे बनाया जाए।
इस बार जाट और दलित समीकरण को ध्यान में रखते हुए निर्णय लिया जा सकता है। अगर दलित नेता पहले से प्रदेश अध्यक्ष हैं, तो जाट समुदाय से नेता प्रतिपक्ष बनाने की संभावना है। इससे सभी गुटों को संतुष्ट करने की कोशिश की जाएगी। इस सियासी परिदृश्य में, हुड्डा का गुट अपने दबदबे को बनाए रखने के लिए सक्रिय है, जबकि सैलजा और सुरजेवाला की टीम अपने प्रभाव को फिर से स्थापित करने की कोशिश कर रही है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष के चुनाव में कौन सा गुट जीतता है।