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यौन उत्पीड़न का केस खारिज करवाने के लिए बृजभूषण पहुँचे थे हाई कोर्ट, मगर अदालत ने ही कर डाली उनकी खिंचाई

India News Haryana (इंडिया न्यूज),Delhi High Court: दिल्ली हाईकोर्ट से बीजेपी के पूर्व सांसद और WFI के पूर्व प्रमुख बृज भूषण शरण सिंह को बड़ा झटका लगा है। दरसल, बृजभूषण अदालत में महिला पहलवानों द्वारा उनके खिलाफ दायर यौन उत्पीड़न मामले को खारीजकारने की अर्जी लेकर पहुँचे थे । लेकिन अदालत ने उनकी एक ना सुनी और उनकी याचिका को खारिज कर दिया। इतना ही नहीं बल्कि हाई कोर्ट ने उनकी इस याचिकापर खिंचाई भी करी।

दरअसल, न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा ने बृजभूषण सिंह द्वारा उनके खिलाफ आरोप तय करने के आदेश और पूरी कार्यवाही को चुनौती देने वाली एक ही याचिका दायर करने के फैसले पर भी सवाल उठाया। कृष्णा ने सवाल उठाते हुए कहा कि “अगर आरोप तय हो गए हैं तो गुण-दोष के आधार पर सब कुछ खारिज नहीं किया जा सकता है।”

  • जज ने बृजभूषण की कर डाली खिंचाई
  • जानिए क्या था मामला

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जज ने बृजभूषण की कर डाली खिंचाई

बृजभूषण की इस याचिका पर अदालत में बैठे जज ने कहा कि, “हर चीज पर एक सर्वव्यापी आदेश नहीं हो सकता है। अगर आप आरोप पर आदेश को खारिज करना चाहते थे, तो आप आ सकते थे। एक बार मुकदमा शुरू हो जाने के बाद यह एक अप्रत्यक्ष तरीका है। जज की इस बात के बाद बृजभूषण सिंह के वकील ने जवाब में कहा कि एफआईआर दर्ज करने के पीछे एक छिपा हुआ एजेंडा था।

उन्होंने दावा किया कि शिकायतकर्ता पहलवानों का WFI अध्यक्ष के रूप में उनको उनके पद से हटाने का एक साझा मकसद था।बीजभूषण के वकील ने इस मामले को पूरी तरह से रची हुई साजिश घोषित कर दिया। इतना ही नहीं हाईकोर्ट ने बृजभूषण सिंह के वकील को यौन उत्पीड़न मामले को खारिज करने के लिए सभी तर्कों के साथ एक संक्षिप्त नोट भी तैयार करने के लिए दो सप्ताह का वक्त दिया है। अदालत के मुताबिक़ अगली सुनवाई 26 सितंबर को होगी ।

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जानिए क्या था मामला

दरअसल कुछ समय पहले महिला पहलवानों ने बीजभूषण पर यौन उत्पीड़नके आरोप लगाए थे केवल इतना ही नहीं । इन महिला पहलवानों ने सड़क पर उतर कर विरोध प्रदर्शन भी किए थे । इसी मसले के चलते बृजभूषण शरण सिंह ने छह महिला पहलवानों द्वारा दर्ज यौन उत्पीड़न मामले में अपने खिलाफ दर्ज प्राथमिकी और आरोपों को रद्द करने का अनुरोध करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटायाहै। पूर्व सांसद ने दलील दी है कि जांच पक्षपातपूर्ण तरीके से की गई क्योंकि केवल पीड़ितों के बयान पर विचार किया गया था। इस याचिका में कहा गया है कि उनके खिलाफ झूठे आरोप लगाए गए, जिसपर निचली अदालत ने विचार नहीं किया।इस मामले में बृजभूषण ने अदालत पर ही इल्जाम लगा दिए थे ।

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Heena Khan

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