Guru Nanak Jayanti 2021 Speech in Hindi : भारतवर्ष की संस्कृति बहुत ही पुरानी है। व भारत में हर धर्म के लोगा अपने आध्यात्मिक गुरू को भगवान का ही रूप मानते हैं। भारत एक त्योहारों का देश माना जाता है। इन त्योहारों में से एक गुरू नानक देव जी का प्रकाश दिवस भी है। भारत में सिक्ख ही नहीं बल्कि सभी धर्मों के लोग गुरू नानक देव जी के प्रकाश दिवस को एक त्योहार की तरह मनाते हैं। या फिर कह सकते हैं। कि यह भारतीय लोगों के लिए एक त्योहार ही है। गुरु नानक देव जी महाराज का जन्म सन 1469 ई. को कार्तिक मास की पूर्णिमा को तलवंडी शहर में हुआ था। जो वर्तमात समय में पाकिस्तान का हिस्सा है।
गुरु नानक देव जी जैसे महापुरुषों का जन्म सदियों में एक बार होता है। गुरु नानक देव जी ने बहुत से उपदेशों से लोगों को नई दिशा दि है। ऐसे महापुरुष इस धरती पर रोशनी की एक किरण बनकर आते हैं और अपने रूहानी नूर से 84 लाख जियाजून में फंसी हुई आत्माओं को पिता-परमेश्वर से एकमेक कर देते हैं। उनके मुख्य उपदेशों में किरत करो, नाम जपो और वंड छको प्रमुख हैं। जिससे तात्पर्य है कि इंसान अपनी मेहनत की कमाई करता हुआ प्रभु का सिमरन करे और सबके साथ मिल-बांटकर खाए।
गुरुबाणी में गुरु नानक देव जी महाराज इस संसार के बारे में फरमाते हैं, नानक दुखिया सब संसार कि इस दुनिया में हरेक इंसान दुखों से घिरा हुआ है। कोई न कोई दुख सबको लगा हुआ है। हर इंसान सोचता है कि सबसे ज्यादा दुख मुझे है। अगर देखा जाए तो जब तकलीफ आती है तभी हम प्रभु को याद करते हैं और जब सब कुछ ठीक हो जाता है, फिर हम अपने कार्यों में मस्त हो जाते हैं।
ये दुख और सुख का चक्र हमारे जीवन में चलता रहता है। तो अब ये सवाल उठता है कि हम हमेशा-हमेशा के सुख को कैसे पा सकते हैं? इस बारे में परम संत कृपाल सिंह जी महाराज अक्सर फरमाया करते थे कि सो सुखिया जो नाम आधार। यानि जो व्यक्ति पिता-परमेश्वर के नाम के साथ जुड़ गया वही सुखी है। नाम के साथ जुड़ने के लिए हमें किसी पूर्ण गुरु की शरण में जाना होगा, जो हमें अपनी दया मेहर से प्रभु की ज्योति और श्रुति से जोड़ देते हैं, जिसे गुरुबाणी में नाम कहा गया है और जिसका अनुभव हम अपने अंतर ध्यान-अभ्यास के द्वारा कर सकते हैं।
ध्यान-अभ्यास के द्वारा हमें अपने आपको असली रूप में देखते हैं। यह वो रूप है जो शारीरिक नहीं बल्कि आत्मिक है। वो आत्मा जो पिता-परमेश्वर का अंश है और उनके प्रेम से भरपूर है। वो आत्मा जो चेतन है, और जो हमें जान दे रही है। जब हमारी आत्मा पिता-परमेश्वर के प्रेम का अनुभव करती है तो वो हर समय प्रभु-प्रेम की मस्ती की अवस्था में रहती है।
मस्ती की इस अवस्था को गुरु नानक देव जी महाराज ने अपनी बाणी में कहा है कि, नाम खुमारी नानका, चढ़ी रहे दिन रात। जो नाम की खुमारी है, जो प्रभु का अमृत हमारे अंदर बरस रहा है, जब ध्यान-अभ्यास के द्वारा हम अपने अंतर में उसका अनुभव करते हैं तो उसकी मस्ती और उसका आनंद दिन-रात चौबीस घंटे हमारे साथ रहता है और जब हमारी आत्मा यह अनुभव करती है तो उसका मिलाप पिता-परमेश्वर से हो जाता है।
गुरु नानक देव जी महाराज ने एक पिता एकस के हम बारिक के संदेश को भी समस्त संसार में फैलाया। उनके इस उपदेश के अनुसार हम सब एक ही पिता-परमेश्वर के परिवार के सदस्य हैं। इसलिए हम आपस में प्रेम-प्यार से रहें और एक-दूसरे की मदद करें। जब हम ऐसा जीवन व्यतीत करते हैं तो हम अपने भीतर प्रभु के प्रेम का अनुभव करते हैं
और ऐसे महापुरुष इसी प्रभु के प्रेम को हम सबको बांटने के लिए इस धरा पर आते हैं। जिससे कि हमें जिंदगी जीने की सही राह मिलती है। ऐसे पूर्ण गुरु हमें समझाते हैं कि हम अपने जीवन के परम लक्ष्य अपने आपको जानना और पिता-परमेश्वर को पाना को इसी जीवन में पूरा कर सकते हैं। गुरु नानक देव जी महाराज के प्रकाश पर्व को हम सही मायनों में तभी मना सकते हैं, जब हम उनकी शिक्षाओं को अपने जीवन में ढालें और उन पर अमल करें।
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