होम / Famous Ghevar Of Samalkha : सावन महीने के दिनों की खास मिठाई घेवर ने अपने समय से 20 दिन पहले ही दे दी दस्तक

Famous Ghevar Of Samalkha : सावन महीने के दिनों की खास मिठाई घेवर ने अपने समय से 20 दिन पहले ही दे दी दस्तक

• LAST UPDATED : June 9, 2024
  • विभिन्न जगहों पर घेवर बनाने का कारीगर कर रहे हैं काम
  • समालखा का घेवर केवल हरियाणा और हिंदुस्तान ही नहीं विदेशों में भी छोड़े हुए हैं अपनी छाप
  • हरियाणा, दिल्ली, चंडीगढ़ के अलावा अन्य राज्यों में काम करने वाले लोगों से भी मंगवाया जाता है घेवर
  • बड़े-बड़े धनवान लोग भी पसंद कर रहे हैं समालखा का घेवर

India News Haryana (इंडिया न्यूज), Famous Ghevar Of Samalkha : सावन के दिनों की खास मिठाई घेवर ने अपने समय से करीब 20 दिन पहले समालखा में दस्तक दे दी है और विभिन्न दुकानों पर घेवर बनाने वाले कारीगर घेवर बनाने में जुट गए हैं। गौरतलब है कि वैसे तो हर वर्ष जून के महीने के आखिर में घेवर बनाने का कार्य शुरू किया जाता है, लेकिन समय से पहले ही घेवर बनाने की लोगों की की मांग आने लग गई है और समालखा में लोग घेवर बनाने का कार्य शुरू कर चुके हैं।

घेवर बनाने में समालखा बहुत ही प्रसिद्ध

यह भी बताने योग्य है कि कई तरह का घेवर बनाने में समालखा बहुत ही प्रसिद्ध है और यहां से जो लोग दिल्ली, मुंबई, चंडीगढ़, महाराष्ट्र, पुणे या अन्य जगहों पर सरकारी, गैर सरकारी नौकरियों में जाते हैं तो निश्चित रूप से जहां वह कार्य कर रहे होते हैं वहां के लोगों की समालखा से घेवर बनाने की जून, जुलाई, अगस्त, सितंबर तक भी मांग चलती रहती है। यहां के घेवर की अगर क्वालिटी की बात की जाए तो कई किस्म के घेवर यहां बनाए जाते हैं, जिसमें देसी घी से केसर और मावा लगाकर बनाए जाने वाला घेवर, देसी घी से बनाए जाने वाला मावे का घेवर, देसी घी से बनाए जाने वाला सिंपल घेवर और वनस्पति से बनाए जाने वाला घेवर शामिल है।

 

Famous Ghevar Of Samalkha

Famous Ghevar Of Samalkha

देसी घी से केसर वाले घेवर के रेट

देसी घी से केसर वाले घेवर के रेट की बात की जाए तो यह करीब 480 रुपए किलो के हिसाब से बेचा जा रहा है, जबकि अगर केसर वाले सिंपल घेवर की बात की जाए तो वह करीब 400 किलो के हिसाब से बचा जा रहा है। बिना केसर वाले घेवर की बात की जाए तो वह 300 से 400 के बीच में मावे वाला घेवर बेचा जा रहा है और अगर वनस्पति घेवर की बात की जाए तो वह 130 से लेकर 240 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बचा जा रहा है और इतना ही नहीं कुछ दुकानदार तो 160 किलो के हिसाब से वनस्पति घेवर बेच रहे हैं और साथ में एक समोसा भी दे रहे हैं, अगर कोई समोसा ना ले तो वह 150 रुपए में भी दे देते हैं। कुल मिलाकर घेवर बनाने में समालखा क्षेत्र अपना अच्छा खासा नाम कमा रहा है।

समालखा का घेवर विदेश में भी अपनी बनाए हुए है छाप

गौरतलब है कि जून के पहले सप्ताह में ही घेवर बनाने का कार्य शुरू होने के बाद यह जन्माष्टमी त्योहार तक चलेगा। इस करीब 4 महीने के लोग अच्छा खासा पैसे का जुड़ाव कर लेते हैं, इतना ही नहीं समालखा का घेवर हरियाणा के विभिन्न कोनों में तो जाता है, लेकिन अगर विदेश की भी बात की जाए तो जो भारत के लोग ही जो विदेशों में रहते हैं और वह वहां से यहां आए हुए हैं या घेवर के दिनों में आते हैं तो उन्हें पहले से ही पता है कि समालखा के घेवर की क्वालिटी हरियाणा प्रदेश के अन्य जिलों के अपेक्षा बहुत अच्छी है तो वह यहां से जब वापस विदेश जाते हैं तो कई किलो घेवर अलग से ले जाते हैं। कुल मिलाकर समालखा का घेवर विदेश में भी अपनी छाप बनाए हुए हैं।

यह भी पढ़ें : PM Modi Oath Taking Ceremony : पीएमओ से आई कॉल : दिल्ली पहुंचे हरियाणा के दो सांसद, मिल सकती है कैबिनेट में जगह

यह भी पढ़ें : Wheelchair Cricket Tournament 2024 : 60 दिव्यांग एथलीटों द्वारा व्हीलचेयर क्रिकेट टूर्नामेंट में हिस्सेदारी : विश्व को मानसिक शक्ति का एक शानदार संदेश

mail logo

Subscribe to receive the day's headlines from India News straight in your inbox