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ISRO XPoSAT Mission Launch : इसरो ने पहले एक्स-रे पोलरिमीटर उपग्रह का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया

PUBLISHED BY: • LAST UPDATED : January 1, 2024

India News (इंडिया न्यूज़), ISRO XPoSAT Mission Launch, श्रीहरिकोटा : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने सोमवार को सतीश धवन स्पेस सेंटर से एक्स-रे पोलरिमीटर उपग्रह का सफलतापूर्वक लॉन्च किया, यह ब्लैक होल जैसी खगोलीय रचनाओं के बारे में कई जानकारियां उपलब्ध कराएगा। इसरो के सबसे भरोसेमंद ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) ने अपने सी58 मिशन में मुख्य एक्स-रे पोलरिमीटर उपग्रह (एक्सपोसैट) को पृथ्वी की 650 किलोमीटर निचली कक्षा में स्थापित किया।

अंतरिक्ष तल से सुबह इतने बजे भरी उड़ान

इसरो के अत्यंत विश्वसनीय ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) ने अपने सी58 मिशन में पहले लॉन्च पैड से सुबह 9.10 बजे के पूर्व-निर्धारित समय पर उड़ान भरने के बाद प्राथमिक एक्स-रे पोलेरिमीटर उपग्रह एक्सपोसैट को 650 किमी. कम पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया और जैसे ही 25 घंटे की उलटी गिनती समाप्त हुई, 44.4 मीटर लंबा रॉकेट चेन्नई से लगभग 135 किमी पूर्व में स्थित इस अंतरिक्ष बंदरगाह पर बड़ी संख्या में आए दर्शकों की तालियों की गड़गड़ाहट के साथ शानदार तरीके से उड़ा।

एक्स-रे पोलेरिमीटर सैटेलाइट (एक्सपोसैट) का उद्देश्य अंतरिक्ष में तीव्र एक्स-रे स्रोतों के ध्रुवीकरण की जांच करना है।इसरो के अनुसार यह आकाशीय स्रोतों से एक्स-रे उत्सर्जन के अंतरिक्ष-आधारित ध्रुवीकरण माप में अनुसंधान करने वाला अंतरिक्ष एजेंसी का पहला समर्पित वैज्ञानिक उपग्रह है। एक्स-रे ध्रुवीकरण आकाशीय स्रोतों के विकिरण तंत्र और ज्यामिति की जांच के लिए एक महत्वपूर्ण नैदानिक ​​उपकरण के रूप में कार्य करता है। एक्सपोसैट का प्राथमिक पेलोड पॉलीएक्स (एक्स-रे में पोलेरिमीटर उपकरण) है, जिसे रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट और यूआर राव सैटेलाइट सेंटर, बेंगलूरु द्वारा निर्मित एक्स स्पेक्ट (एक्स-रे स्पेक्ट्रोस्कोपी और टाइमिंग) द्वारा पोलारिमेट्री मापदंडों को मापने के लिए डिज़ाइन किया गया है। मिशन की अवधि लगभग पांच वर्ष है।

नासा ने 2021 में लॉन्च किया था एक्स-रे पोलारिमेट्री एक्सप्लोरर

बता दें कि नासा का इमेजिंग एक्स-रे पोलारिमेट्री एक्सप्लोरर (IXPE) कई अलग-अलग प्रकार की खगोलीय वस्तुओं से एक्स-रे के पोलराइजेशन की स्टडी करने वाला नासा का पहला मिशन है। इसे 9 दिसंबर 2021 में लॉन्च किया गया था और पृथ्वी से 540 Km ऊपर स्थापित किया गया था।

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