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Haryana School : प्रदेश में 382 स्कूल चल रहे बिना फायर, ऑक्यूपेशन, हाइजीन व बिल्डिंग सेफ्टी एनओसी के 

• LAST UPDATED : March 8, 2024

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  • हरियाणा में दो एकड़ या इससे ज्यादा जगह पर चल रहे 2011 स्कूलों में से 382 के पास अलग अलग कैटेगरी में अनापत्ति सर्टिफिकेट नहीं 

डॉ रविंद्र मलिक, India News (इंडिया न्यूज़), Haryana School, चंडीगढ़ : हरियाणा में स्कूलों द्वारा नियमों को दरकिनार कर इनका संचालन किया जाना और अपने आर्थिक फायदे के लिए स्टूडेंट्स राइट टू एजुकेशन के तहत उनके अधिकारों के हनन और उनके पेरेंट्स को प्रताड़ित करने के नए-नए तरीके इजाद करने में प्रदेश के स्कूल किसी से पीछे नहीं हैं। इसके अलावा ये भी निरंतर सामने आ रहा है कि स्कूलों के संचालन के लिए कई तरह के अनापत्ति सर्टिफिकेट की जरुरत होती है, वो भी व्यापक पैमाने पर स्कूलों के पास नहीं है।

इसी कड़ी में पिछले दिनों विधानसभा में जानकारी तलब की गई कि राज्य में केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड तथा हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड द्वारा मान्यता प्राप्त विद्यालयों की संख्या कितनी है जो कि 2 एकड़ से अधिक भूमि पर स्थित है तथा इनका जिलावार ब्यौरा क्या है। इसको लेकर उपलब्ध करवाई गई जानकारी में सामने आया है कि हरियाणा के अलग जिलों में 2 हजार से ज्यादा स्कूल दो एकड़ या इससे ज्यादा जगह पर संचालित हैं और इनमें से करीब पांचवां फीसदी हिस्सा उन स्कूलों का हवा जो कई तरह के अनापत्ति सर्टिफिकेट नहीं होने के बाद भी नियमों की अवहेलना करते हुए संचालित किए जा रहे हैं।

नियमानुसार ऐसे विद्यालयों जोकि 2 एकड़ से अधिक भूमि पर स्थित है तथा जिनके चारू व्यवसाय प्रमाण पत्र/स्ट्रक्चरल स्टेबिलिटी सर्टिफिकेट नीट एण्ड क्लीन सर्टिफिकेट/फायर अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं है, तथा ऐसे विद्यालयों के विरुद्ध हरियाणा विद्यालय मिला नियमावली-2003 के नियम के तहत कार्रवाई की जाती है/की जाएगी। हरियाणा विद्यालय शिक्षा नियमावली 2003 के नियम-2 की  कार्रवाई के तहत प्रावधान है

हरियाणा में 382 स्कूलों के पास नहीं हैं व्यवसाय, स्ट्रक्चरल, हाइजीन अनापत्ति सर्टिफिकेट

प्राप्त जानकारी में सामने आया है कि स्कूलों के नियमानुसार संचालन के लिए कई तरह के सर्टिफिकेट, व्यवसाय प्रमाण पत्र/स्ट्रक्चरल स्टेबिलिटी सर्टिफिकेट नीट एंड क्लीन सर्टिफिकेट/कावर अनापत्ति प्रमाण पत्र शामिल हैं, की आवश्यकता होती है लेकिन आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार दो एकड़ या इससे ज्यादा भूमि पर संचालित 2011 स्कूलों में से 382 स्कूल ऐसे हैं जिनमें से फायर सेफ्टी या बिल्डिंग सेफ्टी या ऑक्यूपेशन सर्टिफिकेट या फिर हाइजीन सर्टिफिकेट नहीं हैं। काफी स्कूल ऐसे हैं जिनके पास एक से ज्यादा जरूरी अनापत्ति सर्टिफिकेट नहीं हैं।

नियमों को ताक पर रखकर संचालित हो रहे इन स्कूलों में से सबसे ज्यादा 188 स्कूल यानी कि कुल 382 स्कूलों का करीब 50 फीसद तो अकेले रेवाड़ी जिले में हैं। इसके बिना नियमों की अनुपालना के चल रहे स्कूलों के मामले मेंं सिरसा और यमुनानगर 57 और 36 स्कूलों के साथ क्रमश दूसरे व तीसरे स्थान पर हैं। इसके अलावा कुरुक्षेत्र में 13, पानीपत में 10, रोहतक में 9, सोनीपत व पानीपत में 12, प्रत्येक 6, और महेंद्रगढ़ में 5 स्कूलों के पास अलग अलग कैटेगरी में अनापत्ति सर्टिफिकेट नहीं है। इसके अलावा फरीदाबाद व करनाल में 8, प्रत्येक 4, कैथल में 3, नूंह व चरखी दादरी में 4, प्रत्येक 2, और फतेहाबाद व झज्जर में 2, प्रत्येक 1 स्कूल शामिल हैं।

स्कूल संचालन के लिए नियम निर्धारित हैं

विभाग से प्राप्त जानकारी में सामने आया है कि अगर कोई व्यक्ति या व्यक्तियों का संगम या फर्म या सोसायटी या न्यास या कंपनी जो हरियाणा राज्य में विद्यालय स्थापित करने, या स्तरोन्नत करने, या पहले से चल रहे विद्यालय को आगे चलाने की इच्छा रखते हैं तो वे निदेशक के पूर्व अनुमोदन तथा अनुज्ञा से ऐसा करेंगे। विद्यालय प्राधिकारी इन नियमों में विनिर्दिष्ट मानकों का अनुसरण करेंगे।

इन नियमों के प्रावधान इसे उत्तरदायी बनाएंगे, इसके तहत अगर (i) कोई व्यक्ति या व्यक्तियों का संघ या फर्म या सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 (21) या भारतीय ट्रस्ट अधिनियम, 1882 (2), या कंपनी अधिनियम, 1956 (1), राज्य में स्कूल स्थापित करने या अपग्रेड करने या जारी रखने के इच्छुक है, तो उन्हें ऐसा करने के लिए निदेशक की पूर्व अनुमति से ऐसा करना होगा व वे इन नियमों के तहत निर्दिष्ट मानदंड का पालन करेगा। (ii) ऐसी अवज्ञा पर संबंधित कानून के तहत मुकदमा चलाया जाएगा, यदि यह विद्यार्थियों के कार्य जीवन, स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करता है या करने की प्रवृत्ति रखता है।

(iii) ऐसे प्रत्येक उल्लंघन के लिए प्राथमिक विद्यालयों के मामले में, अधिकतम 15000 रुपये, माध्यमिक विद्यालयों के मामले में, अधिकतम 20000 रुपये और उच्च एवं वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों के मामले में, अधिकतम 25000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। उपरोक्त अलावा  उपधारा (1) में ऐसी कोई कार्यवाही करने से पूर्व, प्रबंधक को 15 दिन का नोटिस देते हुए, उपर्युक्त नोटिस के सम्बन्ध में अपनी स्थिति स्पष्ट करने के लिए निर्देशित किया जाएगा। जवाब प्राप्त होने पर तथा निजी सुनवाई देने के बाद, यदि आवश्यक होगा, निदेशक इन नियमों के अधीन प्रबंधक के विरुद्ध कोई भी कार्यवाही करने के लिए सक्षम होगा।

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