डॉ. रविंद्र मलिक, India News (इंडिया न्यूज), Haryana Lok Sabha Elections, चंडीगढ़ : लोकसभा चुनाव की घोषणा के बाद मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट लागू हो चुका है और प्रदेश के तमाम सियासी दल बेहद सधी हुई और पुख्ता रणनीति के साथ चुनावी तैयारियों में जुटे हुए हैं। हरियाणा में मुख्य सत्ताधारी दल भाजपा ने सभी 10 लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर दी है। वहीं दूसरी तरफ मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने अभी तक चुनावी कैंडिडेट्स के नाम फाइनल करने को लेकर अपने पत्ते नहीं खोले।
कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के गठबंधन के कुरुक्षेत्र सीट आप के हिस्से आई और इस सीट पर आप ने पूर्व राज्यसभा सांसद सुशील गुप्ता को टिकट दी है। इसके अलावा जजपा ने सभी 10 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है लेकिन कैंडिडेट्स के नाम की घोषणा नहीं की, वहीं इनेलो ने कुरुक्षेत्र और हिसार सीट पर दो उम्मीदवारों के नाम फाइनल किए हैं। हरियाणा की 10 लोकसभा सीटों पर 25 मई को वोटिंग होगी। काउंटिंग 4 जून को होगी। नामांकन की शुरुआत 29 अप्रैल से होगी। नामांकन का अंतिम दिन 6 मई रहेगा। 9 मई तक नामांकन वापस लिए जाएंगे।
भाजपा ने 10 सीटों पर जो लोकसभा उम्मीदवार उतारे हैं, उनमें से तीन सिटिंग विधायक हैं तो तीन सिटिंग एमपी हैं। भाजपा ने साल 2019 में लोकसभा चुनाव जीतने वाले चार सांसदों पर भरोसा जताते हुए एक बार फिर से चुनावी रण में उतारा है।
इनमें से रोहतक से अरविंद शर्मा, गुरुग्राम से इंद्रजीत राव, फरीदाबाद से कृष्ण पाल गुर्जर और भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट से धर्मवीर सिंह को चुनाव में उतारा गया है और पिछली बार के लोकसभा चुनाव में भी चारों उपरोक्त लोकसभा सीटों से ही चुनाव जीते थे। तमाम सियासी समीकरणों को ध्यान में रखते इनकी सीटों में कोई बदलाव किए बगैर सबको पुराने लोकसभा क्षेत्रों से टिकट दी गई है।
वहीं भाजपा ने जहां 4 सीट पर पुराने कैंडिडेट्स को उतारा है तो वहीं 6 नए कैंडिडेट्स को उतारा है। पार्टी ने हिसार से पिछली बार रानियां से बतौर निर्दलीय कैंडिडेट चुनाव जीत भाजपा द्वारा कैबिनेट मिनिस्टर बनाए गए रणजीत सिंह को हिसार से उतारा है। चुनाव में उतरने से पहले उन्होंने सीट से इस्तीफा दे दिया। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री और पिछली बार करनाल से विधायक बने मनोहर लाल को भाजपा ने करनाल से चुनाव में उतारा है।
वहीं अंबाला से दिवंगत पूर्व सांसद रतनलाल कटारिया को अंबाला से टिकट दी है तो वहीं कांग्रेस छोड़ भाजपा में आए नवीन जिंदल को कुरुक्षेत्र से टिकट दी है। इनके अलावा आप से भाजपा ज्वाइन करने वाले पूर्व सांसद अशोक तंवर को सिरसा से टिकट दी है। इनके अलावा राई से विधायक मोहन लाल बडौली को सोनीपत से टिकट दी गई है।
वहीं सिटिंग विभाग भी चुनावी रण में ताल ठोक रहे हैं। भाजपा ने अपने दो सिटिंग विधायकों को टिकट दी है। इनमें से दो बार सीएम रहे चुके मनोहर लाल को करनाल लोकसभा सीट से टिकट दी है तो वहीं राई से भाजपा विधायक मोहन लाल बडौली को सोनीपत लोकसभा क्षेत्र से कैंडिडेट बनाया गया है। वहीं भाजपा को समर्थन देने वाले और कैबिनेट में जगह पाने वाले निर्दलीय रणजीत सिंह को हिसार लोकसभा चुनाव लड़वाने का फैसला किया है।
हालांकि उनको हिसार से टिकट देने पर भाजपा के दिग्गज और हिसार से लोकसभा टिकट के दावेदार कुलदीप बिश्नोई ने नाराजगी जताई है। चूंकि टिकट मिलने के बाद रणजीत सिंह ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है तो वो अब विधायक नहीं हैं और पूर्व सीएम मनोहर लाल ने भी 12 फरवरी को विधानसभा सत्र में ही करनाल विधानसभा सभा से इस्तीफा देने की घोषणा करते हुए इस सीट को नए सीएम नायब सैनी के लिए खाली कर दिया था। उपरोक्त के अलावा इनेलो विधायक अभय़ सिंह चौटाला ने कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने का फैसला किया है तो इस लिहाज से चार सिटिंग विधायकों ने चुनाव लड़ने का फैसला किया है।
इसके अतिरिक्त भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने दो पार्टी सांसदों सुनीता दुग्गल और संजय भाटिया का टिकट काट दिया है। पार्टी के आंतरिक सर्वे में दोनों ही सांसदों की रिपोर्ट सकारात्मक नहीं थी। दोनों ही सांसदों के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर के साथ भाजपा के कार्यकर्ताओं में भी नाराजगी थी। कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर और सत्ता विरोधी लहर को कम करने के लिए पार्टी ने दोनों ही सीट से नए चेहरे उतारे हैं। पार्टी से जुड़े लोगों ने बताया है कि सिरसा सांसद सुनीता दुग्गल से पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ लोगों में भी नाराजगी थी। पार्टी कार्यकर्ताओं से दूरी और उपेक्षा की बात भी सामने आई है।
सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक क्षेत्र में सत्ता विरोधी लहर भाजपा के खिलाफ नहीं है, बल्कि मौजूदा सांसद के खिलाफ है। बीते साल जब वह जब नरवाना के एक गांव में पहुंची थी तो उन्हें विरोध का सामना भी करना पड़ा था। हालांकि उन्हें भी टिकट कटने का आभास हो गया था। वह काफी दिनों से दिल्ली की दौड़ लगा रही थी। प्रभारी विप्लब कुमार देब से लगातार मुलाकातें कर रही थी, मगर बात बनी नहीं। वहीं, करनाल सांसद संजय भाटिया के साथ भी लोग जुड़ नहीं पा रहे थे। मुख्यमंत्री के करीबी होने के कारण भले ही उन्हें तवज्जो दी जा रही हो, लेकिन लोगों में उनके प्रति उतना उत्साह नहीं था। वह करनाल तक ही सीमित रहे, जबकि उनके क्षेत्र में पानीपत जिला भी आता है। पानीपत के लोगों में उनके खिलाफ नाराजगी थी। पार्टी के आंतरिक सर्वे में भी वह खरे नहीं उतरे।