India News (इंडिया न्यूज), Health Minister Anil Vij, चंडीगढ़ : हरियाणा के होम और स्वास्थ्य मिनिस्टर अनिल विज किसी न किसी कारणवश चर्चा में रहते हैं। कभी किसी मुद्दे पर उनकी बेबाक राय तो कभी उनकी बेहतरीन कार्यशैली उनके चर्चा में रहने का सबब बनती है। पिछले कुछ समय से उनकी सीनियर अधिकारियों के साथ नहीं बन रही। अनिल विज और सीनियर आईपीएस व आईएएस अधिकारियों के बीच कई विवाद सामने आए हैं। इस बार भी अनिल बीच एक बार फिर से चर्चा में हैं। इसके पीछे कारण है कि वह स्वास्थ्य विभाग की फाइलों पर साइन नहीं कर रहे और विभागीय कामकाज से भी दूरी बना ली है।
स्वास्थ्य विभाग की जितनी भी फाइले हैं, वह इस महीने के पहले सप्ताह के बाद से पेंडिंग हैं। खुद अनिल विज ने साफ कर दिया है कि वह स्वास्थ्य विभाग की फाइलों पर कतई साइन नहीं करेंगे। इसके पीछे उनका कहना है कि उनकी सहमति या फिर संज्ञान में लाए बिना बैठकों का आयोजन किया जा रहा है। अब हालत ये हैं कि उनके कार्यालय में स्वास्थ्य विभाग के कार्य संबंधी फाइलों का ढेर लग गया है। वहीं ये भी बता दें कि नूंह हिंसा के बाद अनिल विज व होम सेक्रेटरी टीएसवीएन प्रसाद और सीआईडी चीफ आलोक मित्तल के बीच काफी तलखी धरातल पर नजर आई थी।
जानकारी में सामने आया है कि अनिल विज स्वास्थ्य विभाग की किसी भी फाइल पर इन दिनों साइन नहीं कर रहे। दरअसल इस महीने के पहले सप्ताह की शुरुआत में स्वास्थ्य विभाग की एक समीक्षा बैठक आयोजित की गई थी। इस बैठक के बारे में अनिल विज को कोई जानकारी नहीं दी गई। बैठक की अध्यक्षता प्रिंसिपल सेक्रेटरी टू सीएम आरके खुल्लर ने की थी। इसको लेकर अनिल विज ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई थी और स्पष्ट कर दिया था कि जब वह विभाग के मंत्री हैं तो उनके संज्ञान में लिए बिना किस तरह से उनके विभाग की बैठक का आयोजन किया जा सकता है। इसके बाद से ही उन्होंने किसी भी विभागीय फाइल पर साइन नहीं किए।
इसी बीच यह भी सामने आया है कि अनिल विज कई दफा उनके पास काम लेकर आने वाले विधायकों और अधिकारियों को साफ कह चुके हैं कि स्वास्थ्य विभाग की किसी भी फाइल पर वह साइन नहीं करेंगे। अगर किसी को स्वास्थ्य विभाग का कोई काम है तो उनके विभाग की मीटिंग लेने वाले अधिकारी से ही संपर्क करें। शुरुआत में तो उनकी इस बात को हल्के में लिया गया, लेकिन बार-बार उन्होंने साफ कर दिया कि पूरे मामले को गंभीरता से लेने की जरूरत है। चूंकि अब देखने वाली बात यह भी है कि स्वास्थ्य विभाग एक बड़ा विभाग है और विभागीय कार्यों की फाइलें रुकने से सबको दिक्कत होनी वाजिब है।
अनिल विज लगातार स्वास्थ्य विभाग के सीनियर अधिकारियों को भी घेर रहे हैं। बुधवार को एक सार्वजनिक कार्यक्रम में उन्होंने सीनियर अधिकारियों की मौजूदगी में कहा कि विभाग में कुछ अधिकारी ऐसे हैं जो काम में रोड़ा अटका रहे हैं। चार-चार माह से फाइल पेंडिंग है। फालतू की बुद्धि लगा रहे हैं, क्या जरुरत है ऐसा करने की और ज्ञान बांट रहे हैं। मुझे ऐसे अधिकारियों का ज्ञान निकालना आता है। आगे विज ने कहा मुझे काम करना और करवाना दोनों आता है। कुछ अधिकारी जान-बूझकर व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए फाइल अटका रहे हैं। कुछ ज्ञानी लोग फाइलें अटकाकर जरूरतमंद लोगों की जिंदगी से खेलना चाह रहे हैं लेकिन सबसे निपटना मुझे आता है।
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अनिल विज अपने अड़ियल और कड़े रुख के लिए भी जाने जाते हैं। विज को जानने वाले और करीबियों का मानना है कि अगर जल्दी से मामले का पटाक्षेप नहीं हुआ तो अनिल विज जल्द भविष्य में कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं। हालांकि फिलहाल तो यह स्पष्ट नहीं है कि किस तरह का फैसला ले सकते हैं या इसका स्वरूप क्या होगा, लेकिन इतना जरूर है कि इन दिनों वे काफी नाराज चल रहे हैं और मामले की गूंज केंद्र तक भी पहुंच रही है।
इसी बीच पुलिस विभाग में जांच में देरी करने वाले और ढीली कार्यशैली वाले 372 पुलिस जांच अधिकारियों को भी अनिल विज ने सस्पेंड कर दिया है। उनका कहना है कि फालतू का ज्ञान बांटने वाले अधिकारियों का ज्ञान निकालना भी उनको बखूबी आता है और पुलिस विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों का भी ज्ञान निकला है। विज लगातार लापरवाह कार्यशैली वाले पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कड़ा रुख अख्तियार किए हुए हैं।
गुरुवार को ही विज ने वायरलेस पर संबंधित जिलों के एसपी से बात करते हुए उनको निर्देश जारी किया कि हर हाल में वह जांच में देरी करने वाले जांच अधिकारियों के सस्पेंशन ऑर्डर की कॉपी उनको भेज दें। मामले को लेकर विज ने खुद डीजीपी शत्रुजीत कपूर को जवाब तलब किया था। राज्य के विभिन्न थानों में एक साल से 3229 के करीब केस पेंडिंग चल रहे हैं। इन केसों को लेकर विज की ओर से कई बार रिमाइंडर भेजे गए, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं किए जाने के बाद यह एक्शन लिया गया।
अनिल विज, होम और हेल्थ मिनिस्टर ने कहा कि मैं काफी समय से स्वास्थ्य विभाग की फाइलों को नहीं देख रहा हूं। जब बतौर मिनिस्टर स्वास्थ्य विभाग मेरे पास है और विभागीय गतिविधियों के बारे में मुझे नहीं बताया जाए तो मेरा क्या औचित्य है। मैंने विभाग के अधिकारियों को भी बता रखा है कि वो मेरे पास साइन करवाने के लिए कोई विभागीय फाइल लेकर न आएं।
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