उल्लेखनीय है कि 2019 में विधानसभा चुनाव हारने के बावजूद उन्हें नवंबर 2020 में मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व वाली भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार द्वारा हरियाणा सार्वजनिक उपक्रम ब्यूरो का चेयरपर्सन नियुक्त किया गया था। उन्हें हरियाणा किसान कल्याण प्राधिकरण की कार्यकारी समिति का भी चेयरमैन बनाया गया था। विपक्ष ने उनके खिलाफ कोई भी प्रत्याशी उतारा नहीं था। इस कारण से भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा उन्हें निर्विरोध निर्वाचित किया गया था। उनका कार्यकाल 3 अप्रैल से शुरू होगा, उन्हें सरकार का समर्थन मिला है।
सुभाष बराला 2014 से 2019 तक फतेहाबाद जिले के टोहाना विधानसभा से भाजपा विधायक रहे हैं। उन्हें उसी सीट से 2019 में हार का सामना करना पड़ा था। फिर भी वह नवंबर 2020 में मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व वाली भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार द्वारा हरियाणा सार्वजनिक उपक्रम ब्यूरो का चेयरपर्सन नियुक्त किया गया था। उन्हें हरियाणा किसान कल्याण प्राधिकरण की कार्यकारी समिति का भी चेयरमैन बनाया गया था। 2019 के विधानसभा चुनाव हारने के बाद भी, उन्हें सरकार का समर्थन मिला। पूर्व मुख्यमंत्री के करीबी होने के कारण सीएम ने उन्हें लॉबी करने का फैसला किया। इस पर उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से चर्चा की। इस तरह भाजपा नेता सुभाष बराला का राज्यसभा सदस्य बनना उनके राजनीतिक प्रशासन में महत्वपूर्ण कदम है।
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