India News Haryana (इंडिया न्यूज), Panipat Breaking News : पानीपत के मतलौडा कस्बे का अजीबो-गरीब मामला सामने आया है, जिसमें एक भाई अपने भाई की मौत से ऐसा सदमे में आया कि उसने जीने का चाह छोड़ दी और खुद की ही मौत का इंतजार करने लगा। बताते हैं कि तीन माह से घर से नहीं निकला और करीब 45 दिन पहले खुद को शौचालय में बंद कर लिया। कभी-कभार कोई खाना दे गया तो खा लिया, वरना भूखे पेट ही समय काटता रहा। हमेशा मरने की बात करता। बोलता कि भाई सपने में दिखाई देते हैं, उनके पास जाना है। वहीं, दूसरा भाई मानसिक रोगी है। उसे दुनियादारी का कुछ पता नहीं।
वह भी सालों से एक ही चारपाई पर भूखे-प्यासे पड़ा रहा। नहाया तक नहीं। मतलौडा के पंजाबी मोहल्ला में रहने वाले हरीचंद खुराना की सूचना पर जनसेवा दल संस्था की टीम यहां पहुंची। चारों ओर बदबू का आलम था। दोनों भाइयों को निकालकर संस्था के ‘अपना आशियाना’ लाया गया। उन्हें नहलाया और भरपेट खाना खिलाया तो उनके चेहरे पर खुशी लौट आई। जन सेवा दल के सचिव चमन गुलाटी का कहना है कि संस्था में दोनों भाइयों का ख्याल रखा जा रहा है। छोटे भाई के शरीर में एक जगह चोट भी लगी हुई है। इलाज शुरू कर दिया है।
जानकारी देते हुए स्थानीय निवासी हरिचंद खुराना ने बताया कि ये 4 भाई थे, जिनमें से किसी की शादी नहीं हुई थी। इनके पिता लख्मीचंद छोले-भटूरे और आइसक्रीम बेचकर घर चलाते थे। 12 साल पहले उनकी मौत हो गई। वहीं दूसरा भाई अशोक लोन एजेंट के जाल में फंस गया और कई ग्रामीणों से पैसे निवेश करवा लिए। जिससे अशोक कर्जदार हो गया और 5 साल पहले वो फरार हो गया। जिसका कोई पता नहीं चल पाया।
कोरोना काल से पहले इनकी मां फूला देवी की मौत हो गई, तब भी अशोक नहीं आया। तीसरा भाई राजकुमार हिमाचल में हैंडलूम का काम करने लगा। वो भाइयों के खाने का इंतजाम करता था। तीन महीने पहले वो गांव आया था। कुछ दिन बाद उसकी मौत हो गई। छोटे भाई विजय ने अंतिम संस्कार किया। इसके बाद विजय ने खुद को शौचालय में बंद कर लिया। सबसे बड़ा भाई सुरेंद्र मानसिक रूप से बीमार है।
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