डॉ. रविंद्र मलिक, India News (इंडिया न्यूज़), Farmers Protest Effect, चंडीगढ़ : आने वाले लोकसभा चुनाव से पहले देश की राजनीति में एक बार फिर से उबाल आ गया है। पंजाब के किसानों ने मांगों को लेकर 13 मार्च को दिल्ली में आंदोलन करने की कॉल दी हुई है। इसको लेकर हरियाणा और केंद्र सरकार दोनों ने किसानों को रोकने की पूरी तैयारी कर ली है।
हरियाणा सरकार ने कानून व्यवस्था बनाए रखने का हवाला देते हुए 3 दिन के लिए प्रदेश के अंबाला 7 जिलों में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी हैं। पिछली बार भी किसान आंदोलन के दौरान प्रदेश सरकार ने कई दफा अलग-अलग जिलों में समय-समय पर इंटरनेट सेवाएं बंद रखी। इस दौरान यह चर्चा भी निरंतर रहती है कि किसी राज्य में कितने दिनों तक इंटरनेट सेवा नियमानुसार बंद रखी जा सकती है। हालांकि इंटरनेट सेवाएं बंद करने से हर वर्ग के लोगों को काफी दिक्कतें पेश आती हैं।
इसी बीच पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के अधिवक्ता और एक्सपर्ट हेमंत कुमार ने बताया कि लोक आपात (पब्लिक इमरजेंसी) या लोक सुरक्षा (पब्लिक सेफ्टी) आदि के आधार पर सक्षम प्राधिकारी द्वारा अधिकतम 15 दिनों के लिए किसी क्षेत्र में दूरसंचार सेवाएं जिनमें मोबाइल इंटरनेट सेवा भी शामिल है, को निलंबित (सस्पेंड) किया जा सकता है। पहले हालांकि सम्बंधित नियमों में इस आशय में अधिकतम समय सीमा का कोई उल्लेख नहीं था। 10 नवंबर, 2020 को केंद्रीय संचार मंत्रालय के अधीन आने वाले दूरसंचार (टेलीकॉम) विभाग द्वारा एक गजट नोटिफिकेशन मार्फत दूरसंसार अस्थायी सेवा निलंबन (लोक आपात या लोक सुरक्षा) नियम, 2017 में संशोधन कर नया नियम 2 ए डालकर अधिकतम 15 दिनों की सीमा का उल्लेख किया गया एवं यह संशोधन तत्काल रूप से प्रभावी भी हो गया था।
बता दें कि शनिवार 10 फरवरी देर शाम हरियाणा के गृह सचिव टीवीएसएनप्रसाद आईएएस द्वारा जारी एक विशेष आदेश से प्रदेश के 7 ज़िलों अंबाला, कुरुक्षेत्र, कैथल, जींद, हिसार, सिरसा और फतेहाबाद में 11 फरवरी से 13 फरवरी अर्थात 72 घंटों के लिए हर प्रकार की मोबाइल इंटरनेट सेवा (2जी, 3जी, 4 जी, 5जी, सीडीएमए, जीपीआरएस) को किसान आंदोलन, जिसमें 13 फरवरी को पंजाब से दिल्ली कूच किए जाने का कार्यक्रम तय किया गया, के दृष्टिगत सस्पेंड कर दिया गया, ताकि सोशल मीडिया के व्ट्सऐप, फेसबुक, ट्विटर आदि प्लेटफॉर्म्स पर उपद्रवियों और असामाजिक तत्वों द्वारा भ्रामक और भड़काऊ मैसेज वीडियो आदि डालकर और उन्हें वायरल कर प्रदेश में अमन (शांति) व्यवस्था और सामाजिक सौहार्द के माहौल को बिगाड़ा न जा सके।
साढ़े 6 वर्ष पूर्व अगस्त, 2017 में केंद्र सरकार द्वारा भारतीय टेलीग्राफ कानून, 1885 की धारा 7 में उपरोक्त 2017 नियम बनाकर नोटिफाई एवं लागू किये गए जिनमें केंद्र एवं राज्य के गृह सचिव (जो इस विषय में सक्षम प्राधिकारी हैं ) द्वारा जारी आदेशनुसार आपातकालीन परिस्थितियों में टेलीकॉम/इंटरनेट सेवा को लोक हित में सस्पेंड किया जा सकता है।
हालांकि केंद्र सरकार के संयुक्त सचिव रैंक का अधिकारी, जिसे केंद्रीय गृह सचिव या प्रदेश के गृह सचिव द्वारा प्राधिकृत किया गया हो, वह भी अपरिहार्य परिस्थितियों में ऐसा आदेश दे सकता है हालांकि इसके 24 घंटों के भीतर उस आदेश को सक्षम प्राधिकारी से अनुमोदित करवाना आवश्यक है अन्यथा वह अप्रभावी हो जाएगा।
ऐसे आदेश में टेलीकॉम/इंटरनेट सेवा को सस्पेंड करने का कारणों का भी उल्लेख होना चाहिए एवं इन आदेशों की एक प्रति रिव्यु कमेटी को भेजनी होगी। टेलीकॉम कंपनियों और सर्विस प्रोवाइडर्स के पदांकित अधिकारियों को ऐसे आदेश की प्रति पुलिस के एसपी रैंक या उसके समकक्ष अधिकारी द्वारा ही भेजी जाएंगी। प्रदेश में रिव्यु कमेटी के अध्यक्ष मुख्य सचिव और सदस्यों में विधि सचिव (एलआर) और राज्य सरकार के कोई अन्य विभाग के (गृह के अलावा) सचिव होंगे। यह रिव्यु कमेटी उक्त जारी आदेशों के पांच दिनों के भीतर बैठक कर यह सुनिश्चित करेगी कि क्या टेलीकॉम/इंटरनेट सेवाओं को सस्पेंड करना उक्त 1885 कानून की धारा 5 (2) के अनुरूप हैं अथवा नहीं।
मालूम रहे कि 25 अगस्त, 2017 को जब डेरा सच्चा सौदा प्रमुख बाबा गुरमीत राम रहीम को पंचकूला सीबीआई कोर्ट से सज़ा हुई थी, तब 25 अगस्त से 29 अगस्त तक पांच दिनों के लिए हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ में मोबाइल इंटरनेट सेवा सस्पेंड कर दी गई थी, तब उन्होंने इस विषय पर दूरसंचार विभाग में एक आरटीआई दायर कर उक्त नियमों के बारे में जानकारी मांगी थी और यह पूछा था कि जितने दिन मोबाइल इंटरनेट सेवा सस्पेंड रखी जाएगी।
प्री-पेड मोबाइल फ़ोन ग्राहकों को उनकी सम्बंधित टेलीकॉम कंपनी द्वारा उतने अतिरिक्त दिन उनके डेटा प्लान में दिए जाने सम्बन्धी क्या टेलीकॉम कंपनियों को केंद्र सरकार द्वारा निर्देश दिया गया है, परन्तु उनकी आरटीआई को दूरसंचार विभाग ने गोपनीय सूचना करार कर ख़ारिज कर दिया था।
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