डॉ. रविंद्र मलिक, India News, इंडिया न्यूज़, Haryana Politics on Nuh Riots, चंडीगढ़ : हरियाणा के नूंह में 31 जुलाई को हुए सांप्रदायिक दंगों के बाद प्रदेश के सियासी गलियारों में भी घमासान मचा हुआ है। आने वाले विधानसभा सत्र में भी मुद्दे को लेकर हंगामा होना तय है, वहीं इस घटना के बाद कई तरह की राजनीतिक गतिविधियों में तेजी आई है और कई तरह के बदलावों की आहट महसूस की जा रही है, बल्कि ये शुरू भी हो चुकी है। राजनीतिक जानकारों की मानें तो इन दंगों के बाद राजनीति के संदर्भ वोट ध्रुवीकरण और जातीय समीकरणों में बदलाव की बयार बह रही है। हालांकि इसका कितना फायदा किस दल को मिलेगा, फिलहाल कहना जल्दबाजी होगी।
ब्रज मंडल यात्रा को दोबारा 28 अगस्त को किए जाने की घोषणा हिंदू महापंचायत में हो चुकी है तो इसके चलते पुलिस व प्रशासन में भी सामने आ रहा है कि हिंदू संगठनों में विरोधाभास व आपसी गतिरोध धरातल पर उभर रहा है। कुछ हिंदू संगठन व खाप हिंदू महापंचायत का हिस्सा नहीं बने और उन्होंने इसका बायकाट कर दिया। आने वाले चुनाव को देखते हुए सभी दल जातीय समीकरणों के मद्देनजर अपने-अपने राजनीतिक मुनाफे की संभावनाओं पर हरसंभव मंथन कर रहे हैं।
गत दिनों हिंदू महापंचायत में खाप पंचायतों ने भाग लेने से मना कर दिया। वहां पांच पाल (खाप) ने भाग नहीं लिया। डागर पाल के साथ रावत, सहरावत, चौहान व तेवतिया पाल के पंचों ने भी सहमति जताते हुए महापंचायत का बहिष्कार किया। वहीं पांच पाल की तरफ से कहा गया कि इसमें वीएचपी और आरएसएस के लोग हैं, इसलिए महापंचायत का बहिष्कार किया गया। नूंह के मामले में खाप पंचायतों का रुख पूरी तरह से बजरंग दल व वीएचपी को झटका देने वाला रहा है। गत दिनों हिसार में हुई पंचायत में खाप प्रतिनिधियों की तरफ से कहा गया था कि कुछ लोगों ने आपसी भाईचारा बिगाड़ने की कोशिश की है और हम इसको बिगड़ने नहीं देंगे।
वर्ष 2014 के चुनाव में भाजपा को यहां 5 फीसदी वोट मिल थे, लेकिन साल 2019 में यहां भाजपा को 19 फीसदी वोट मिले थे। वहीं दंगों को लेकर पूछे गए एक सवाल में भाजपाध्यक्ष ओपी धनखड़ ने कहा कि यहां हमारा वोट बैंक बढ़ा है और यहां से 7 पार्षद जीते हैं। इसके चलते सब बौखलाए हुए हैं। फिलहाल के हालात के मद्देनजर भाजपा के लिए मुस्लिम नूंह व साथ लगती दो सीटों पर दिक्कतों में थोड़ा इजाफा होता दिख रहा है वहीं जहां अन्य जगहों पर भाजपा को इसका फायदा मिल सकता है। इसके अलावा कांग्रेस, जजपा और इनेलो इस मंथन में है कि कैसे यहां खुद को मजबूत किया जाए और पॉलिटिकल माइलेज ले सकें।
राजा मिहिर भोज के मामले में राजपूत और गुज्जर समुदाय में टकराव वाली स्थिति पैदा हो गई। गनीमत रही कि हाईकोर्ट में मामला जाने के बाद ये शांत हो गया। दोनों ही समुदाय के लोग इस बात पर अड़े थे कि मिहिर भोज उनकी जाति से थे। इस बात को लेकर दोनों में ठन गई।
मामले को लेकर राजपूत समाज के नुमाइंदों ने भाजपा को के प्रति अपना विरोध जताया और जो भाजपा में थे, उन्होंने अपने इस्तीफे देने शुरू कर दिए। इस मामले को भी जातीय और राजनीतिक एंगल से आने वाले वाले चुनाव को देखते हुए महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इसके अलावा भाजपा के सामने बड़ी चुनौती जाट समुदाय और खाप पंचायतों को साधने की भी है। पिछले कुछ समय से कुछ मुद्दों पर दोनों भाजपा से काफी नाराज हैं। ऐसे में आने चुनाव को देखते हुए भाजपा के लिए इन दोनों को मनाना जरूरी है।
पीपीपी के आधार पर प्रदेश की कुल संख्या 2 करोड़ 83 लाख है। इनमें से एससी वर्ग के लोगों की संख्या 5861131 है और कुल का 20.71 प्रतिशत है। ऐसे में प्रदेश की कुल जनसंख्या का पांचवां हिस्सा एससी वर्ग का है। बीसी ए वर्ग के लोगों की संख्या 4793312 है जो कुल जनसंख्या का 16.93 फीसदी है। इनके अलावा बीसी बी कैटेगरी की संख्या 3797306 है। ये जनसंख्या का 13.41 फीसदी है। ये भी बता दें कि हरियाणा में एससी वर्ग के कुल 1368365 परिवार हैं। ये कुल परिवारों का 20.71 फीसदी है।
नूंह हिंसा के बाद दोनों समुदाय के वोटों के ध्रुवीकरण की संभावना बलवती हुई है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इस पूरे घटनाक्रम के चलते वोटों की दिशा में बदलाव होगा। पूरे घटनाक्रम के बाद मुस्लिम वोटों के एक तरफ होने की पूरी संभावना है तो इलाके में इसी तरह से हिंदू वोटों का भी ध्रुवीकरण हो सकता है। इसको देखते हुए सभी राजनीतिक दल सियासी नफे नुकसान और गुणा भाग का आकलन कर रहे हैं। इसका असर पड़ोसी राज्य राजस्थान पर भी पड़ने की संभावना है। इसके चलते सभी दलों के लिए किसी न किसी रूप में नफे नुकसान वाली स्थिति होगी।
साल 2011 की जनगणना के अनुसार हरियाणा में मुस्लिम आबादी 7.2 फीसद है। नूंह के साथ लगते पलवल जिले में समुदाय की आबादी 20 फीसदी है। इसके अलावा फरीदाबाद में मुस्लिम आबादी 8.93 फीसदी है। इसके अलावा गुरुग्राम में समुदाय की जनसंख्या 4.68 फीसदी है।
इसके बाद रेवाड़ी में समुदाय के लोगों की संख्या 0.63 प्रतिशत है। आंकड़ों के अनुसार यहां की करीब 80 फीसदी आबादी मुस्लिम है। 2011 की जनगणना के अनुसार नूंह की कुल आबादी लगभग 11 लाख लोगों में से लगभग 79.2% मुस्लिम थे, जबकि हिंदुओं की आबादी मात्र 20.4% थी। नूंह घटने के मद्देनजर व्यापक पैमाने पर वोट ध्रुवीकरण की संभावना है।
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