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JJP State President Nishan Singh Resignation : जजपा को बड़ा झटका, प्रदेश अध्यक्ष निशान सिंह समेत कई पदाधिकारियों ने पार्टी छोड़ी

  • पार्टी अध्यक्ष निशान सिंह समेत पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव कमलेश सैनी और अजय चौटाला के करीब मीनू बेनीवाल ने भी जजपा को अलविदा कहा

India News (इंडिया न्यूज), JJP State President Nishan Singh Resignation, चंडीगढ़ : हरियाणा में कभी भाजपा की सरकार में सहयोगी जननायक जनता पार्टी (जजपा) को लोकसभा चुनाव से पहले एक के बाद एक नए झटके लग रहे हैं। कुछ समय से सत्ता में भागीदार रहने वाली जजपा को संभलने का मौका नहीं मिल रहा। भाजपा द्वारा गठबंधन तोड़ने के बाद अब पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष निशान सिंह द्वारा पद से इस्तीफा दे दिया गया है। जोकि जजपा के लिए एक बड़ा झटका है। हालांकि फिलहाल तक उनकी तरफ से मौखिक इस्तीफा दिया है और उनके अनुसार जल्दी ही लिखित में इस्तीफा पार्टी हाईकमान को भेज देंगे।

मीनू बेनीवाल और कमलेश सैनी ने भी पार्टी से इस्तीफा दिया

वहीं दूसरी तरफ एक समय जजपा नेताओं और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अजय सिंह चौटाला के वफादार व करीबी रहे मीनू बेनीवाल ने भी पार्टी से इस्तीफा देते हुए भाजपा के ज्वाइन करने की घोषणा कर दी है। उपरोक्त के अलावा पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव कमलेश सैनी ने भी पार्टी को अलविदा कह दिया, जिसके चलते जजपा को एक और झटका लगा। इसके अलावा पार्टी की प्रदेश महासचिव रेखा शाक्य ने भी पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा देते हुए पार्टी की मुश्किलों में खासा इजाफा कर दिया है। ऐसे में गठबंधन टूटने के बाद लगातार दिक्कतों से जूझ रही जजपा के लिए आना वाले समय कठिनाइयों भरा है। इसके अलावा पार्टी के दिग्गज नेता और डिप्टी सीएम को अलग-अलग जगह प्रचार के दौरान किसानों और युवाओं के विरोध का सामना करना पड़ रहा है।

निशान सिंह बोले- कई बार रुकावट व ब्रेकर आ जाते हैं, इसी कारण इस्तीफा दिया

निशान सिंह ने अपने इस्तीफे को लेकर कहा कि मैंने मौखिक तौर पर रिजाइन कर दिया है। लिखित में बाद में रिजाइन दूंगा। आगे का निर्णय भाईचारे के साथ बैठकर लूंगा। कई बार आप जिन आशाओं को लेकर आगे बढ़ जाते हैं, कहीं न कहीं बीच में रुकावट और ब्रेकर आ जाते हैं। जिस कारण आज यह निर्णय करना पड़ा। यह मुझे भी अच्छा नहीं लग रहा, लेकिन यह एक मजबूरी होती है। आगे कहा कि अगर आपको लगता है कि मेरी भावनाओं का हनन हो रहा है तो ऐसे निर्णय लेने पड़ते हैं।

मुझे लगता है कि हम सही दिशा में नहीं जा रहे, इससे ज्यादा कुछ नहीं कहूंगा। क्योंकि अभी तक तो रेजिग्नेशन भी अधूरा सा है। हमारा जो सिद्धांत सबसे बड़ा धर्म होता है, मेरा धर्म यह कहता है कि हम नहीं चंगे तो बुरा नहीं कोये। मैं उन पॉलिटिशियन की तरह जल्दबाजी वाला नहीं हूं जो पार्टी छोड़ने पर बुरा भला कहकर सहानुभूति ले। कहा जाता है मित्र को जब छोड़ना है तो उसे मित्रता के भाव से ही छोड़िए, ताकि मिलें तो शर्मिंदा न हों।

देवेंद्र बबली के चलते चुनाव नहीं लड़ पाए थे निशान सिंह

ये भी बता दें कि पिछले कुछ समय से निशान सिंह और पार्टी नेताओं में मतभेद सामने आ रहे थे। गौरतलब है कि निशान सिंह 2000 में टोहाना से विधायक बने थे। 2019 के विधानसभा चुनाव में जजपा ने कांग्रेस से आए देवेंद्र बबली को टिकट दे दिया था, जबकि निशान सिंह यहां से प्रबल दावेदार थे, पार्टी के इस फैसले के कारण निशान सिंह विधानसभा चुनाव नहीं लड़ पाए थे और कहीं न कहीं वो टोहाना से टिकट नहीं मिलने के चलते नाराज बताए जा रहे थे। जैसा कि अपने इस्तीफे को लेकर निशान सिंह ने कहा कि कुछ दिक्कतें और ब्रेकर थे जिनके चलते उनको इस्तीफा देना पड़ा, इससे साफ है कि पार्टी में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा था।

पार्टी के आधे विधायक नाराज चल रहे

लंबे समय से जजपा के अंदर विधायक और पार्टी लीडरशिप से कलह लगातार सामने आ रही थी। भाजपा से गठबंधन टूटने के साथ ही जजपा में मनमुटाव व कलह बढ़ा। ये भी किसी से छिपा नहीं है कि 10 में से 5 विधायक नाराज चल रहे हैं। इनमें पूर्व मंत्री देवेंद्र बबली, ईश्वर सिंह, जोगीराम सिहाग, रामनिवास सुरजा खेड़ा और रामकुमार गौतम शामिल हैं। भाजपा सरकार में बदलाव के बाद पिछले महीने विधानसभा में बहुमत साबित करने का वक्त आया तो जजपा ने व्हिप जारी कर विधायकों से सदन में वोटिंग में शामिल न होने को कहा था। इसके बावजूद पांचों विधायक सदन में पहुंचे थे, हालांकि कुछ देर सदन में रहने के बाद वे वापस चले गए, लेकिन उनके सदन में आने भर ने ही काफी कुछ साबित कर दिया।

मीनू बेनीवाल, कमलेश सैनी और रेखा शाक्य के जाने के बाद भी लगा झटका

निशान सिंह के अलावा कभी अजय चौटाला के खास रहे मीनू बेनीवाल ने भी जजपा को अलविदा करते हुए भाजपा में जाने की घोषणा की है। गौरतलब है कि हरियाणा में जजपा-भाजपा गठबंधन सरकार के सूत्रधार के रूप में मीनू बेनीवाल की अहम भूमिका थी। समय-समय वो इसका अहसास भी करवाते रहे कि प्रदेश की राजनीति में वो अहमियत रखते हैं।

जानकारी में सामने आया है कि 10 अप्रैल को कालांवाली में होने वाली भाजपा की रैली मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और पूर्व सीएम मनोहर लाल की मौजूदगी में वह पार्टी की सदस्यता लेंगे। जजपा-भाजपा सरकार के कोऑर्डिनेटर रहे बेनीवाल पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के करीबी माने जाते हैं। यही वजह है कि जजपा के प्रधान महासचिव दिग्विजय चौटाला उन्हें बहरूपिया तक कह चुके हैं। वहीं दूसरी तरफ कमलेश सैनी और रेखा शाक्य के राष्ट्रीय महासचिव और प्रदेश महासचिव के पद से इस्तीफा देने के बाद पार्टी की परेशानी बढ़ी हैं।

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Amit Sood

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