Pratistha Foundation’s Unique Initiative : प्रतिष्ठा फाउंडेशन समाज को हर उस जरूरी मुद्दे के प्रति कर रहा है जागरूक, जिन्हें हम जानकर भी रहते अनजान 

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Pratistha Foundation's Unique Initiative
Pratistha Foundation's Unique Initiative
  • फाउंडेशन रोचक तरीके के नाम देकर अपने अभियान भगाओ कचरा डॉन काे, पानी की चिट्ठी, मैं हूं मिस्टर पानी, प्लास्टिक हटाओ जूट अपनाओ चला रही है 
अनुरेखा लांबरा,India News (इंडिया न्यूज),Pratistha Foundation’s Unique Initiative,पानीपत : पानीपत के प्रतिष्ठा फाउंडेशन की एक अलग ही प्रतिष्ठा है। हो भी क्यों ना, फाउंडेशन की चेयरपर्सन डा.कुंजल प्रतिष्ठा अपनी टीम के साथ समाज को हर उस जरूरी मुद्दे के प्रति जागरूक कर रही हैं, जिनके बारे में हम जानकर भी अनजान बन जाते हैं। जिसके चलते प्रतिष्ठा फाउंडेशन को जल बचाओ, प्लास्टिक हटाओ व बाल कल्याण के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान हेतु समय प्रति समय जिला प्रशासन एवं अन्य संगठनों द्वारा सम्मानित किया जाता रहता है।

 

Pratistha Foundation's Unique Initiative
फाउंडेशन की चेयरपर्सन डा.कुंजल प्रतिष्ठा

फाउंडेशन ने रोचक तरीके के नाम देकर अपने अभियान चलाए

उल्लेखनीय है कि फाउंडेशन ने रोचक तरीके के नाम देकर अपने अभियान चलाए और आम लाेगाें तक पहुंचे। फाउंडेशन द्वारा भगाओ कचरा डॉन काे, पानी की चिट्ठी, मैं हूं मिस्टर पानी, प्लास्टिक हटाओ जूट अपनाओ जैसे प्रोजेक्ट चलाती आ रही है। हाल ही में 26 जनवरी 2024 काे फाउंडेशन की सदस्य डाॅ. माेना शर्मा काे पर्यावरण सुरक्षा के सम्मानित किया गया था। फाउंडेशन से जुड़ी डाॅ. रेणु मित्तल, संतोष बुद्धिराजा, डाॅ. गौरव श्रीवास्तव, प्रेम सेतिया, माेहित जग्गा, एडवोकेट पदमा रानी, एडवोकेट मीनू कमल सहित बहुत से मेंबर जुड़े हुए हैं। वाे बताते हैं कि फाउंडेशन द्वारा चलाए गए अभियान अभियान दिल्ली और मुंबई से जुड़े मेंबराें ने भी प्रमोट किया है। फिल्मी एक्टर, राजनीति से जुड़े बड़े-बड़े लाेगाें तक हमने इन अभियानों काे पहुंचाया है। हम इस अभियान काे प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति तक लेकर जाएंगे। पिछले 6 वर्षों में 40 हजार से ज्यादा जूट के बैग वितरित कर चुकी हैं। हाल ही में हमने ग्राे बैग प्लांट का अभियान चलाया है, जाे रिसाइकिल भी हाेते हैं।

फाउंडेशन ने मुख्य अभियान

1. प्लास्टिक मुक्त समाज के लिए बीट द प्लास्टिक और प्लास्टिक हटाओ जूट अपनाओं अभियान शुरू किया है।
2. महिलाओं को स्वच्छता के प्रति जागरूक करते हैं
3. बाल कल्याण हेतु कार्य करते हैं
4. जल संरक्षण, जिसके लिए ‘पानी की चिट्ठी’ मैं हूं मिस्टर पानी मुहिम शुरू की हुई है।
5. भगाओ कचरा डॉन काे
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माेहित जग्गा

ऐसे से हुई फाउंडेशन की शुरुआत 

फाउंडेशन की चेयरपर्सन डॉ. कुंजल प्रतिष्ठा ने बताया कि यह फाउंडेशन करीब 15 वर्षाें से चल रहा है। मुख्य उद्देश्य यही था कि हम पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए कार्य करें। पर्यावरण के लिए पानी की चिट्ठी, मैं हूं मिस्टर पानी, भगाओ कचरा डॉन काे, प्लास्टिक हटाओ जूट अपनाओं सहित कई अभियान चलाएं। बदलाव भी देखने काे मिला। हमने घरेलू महिलाओं काे जूट अपनाने के लिए कहा। महिलाओं ने घर से बैग ले जाने की आदत बनाई और प्लास्टिक कम हुआ। पूरी तरह बदलाव आने में समय लगेगा। महिलाओं और बच्चें के स्वास्थ्य के लिए कई जांच कैंप लगाए जाते हैं।

बच्चाें काे जाेड़ा, हर साल दे रहे एक प्रोजेक्ट 

मेंबर्स ने बताया कि हमने स्कूली बच्चों काे जोड़कर प्रतिष्ठा फाउंडेशन टीम चेंजर भी बनाई हुई है। इसमें आरना शर्मा, अस्मी श्रीवास्तव, अनन्या मित्तल, एशनी शर्मा, लावण्या और भव्य आनंद इसमें शामिल है। इनको स्कूल की छुट्टियों के दौरान एक-एक प्रोजेक्ट दिया जाता है। वहीं तीन साल पहले तृप्ता गाबा के साथ मिलकर बोतलों काे रिसाइकिल कराकर उनके बैग बनाकर बांटे थे। अब वह इस दुनिया में नहीं रही, लेकिन उनके बेटे निशांत गाबा फाउंडेशन के साथ मिलकर सहयोग करते हैं।

ये है पानी की चिठ्ठी की कहानी
वैसे जल संरक्षण की कहानी अजब है, पानीपत से निकली चिट्टी अब तक 25 हजार से भी ज्यादा हाथों पहुंची चुकी है। पानीपत में प्रतिष्ठा फाउंडेशन की पहल है। डा.कुंजल बच्चों को पानी पर चिट्ठी लिखने के लिए प्रेरित करती हैं। जल संरक्षण की बात आर्मी तक बात पहुंचाई। ये शुरुआत प्‍यास लगने पर पानी न मिलने के बाद शुरू की। डा. कुंजल बताती हैं कि दिल्ली में परीक्षा थी। गर्मी के दिन थे। प्यास लगी लेकिन आसपास पानी नहीं मिला। पानी लेने दूर जाती तो परीक्षा छूटने का डर था। फिर एक दुकान पर पानी मिला। जो पानी घर पर बिना पैसे दिए मिल जाता, उसके लिए रुपए खर्च करने पड़े। संयोग से उसी दिन घर लौटी तो टीवी पर राजस्थान में पानी की समस्या पर डाक्यूमेंट्री चल रही थी। अखबार में हरियाणा के एक गांव में पानी की समस्या के बारे में पढ़ा। तब मन में ये ठाना था कि लोगों को पानी बचाने के लिए जागरूक करेंगी। इसी उधेड़बुन में निकला पानी की चिट्ठी प्लान।

छोटे-छोटे प्रयासों से पानी बचाने की ठानी
अलबत्ता अब इंटरनेट मीडिया के इस दौर में कोई चिट्ठी लिखता नहीं है। पहले जो चिट्टी आती थी, तब भावनाएं भी जुड़ी होती थी। उन्हीं भावनाओं को फिर से लौटाने, चिठ्ठी लिखने और लिखाने की ठान ली। इसका असर ये हुआ है कि लोग पानी के बारे में सोचने लगे हैं। यहां तक की ब्यास में आर्मी कैंप में भी इस प्रोजेक्ट की चर्चा हुई। पानी बचाने की उनकी ये अपील फाउंडेशन के सदस्यों के सहयोग से 25 हजार लोगों तक पहुंच चुकी है। उनके साथ अब एडवोकेट, डॉक्टर, रिटायर्ड प्रिंसिपल, रिटायर्ड कर्नल, आर्मी के लोग जुड़ गए हैं। छोटे-छोटे प्रयासों से पानी बचाने की ठान ली है।

क्या कहती है पानी की चिट्ठी

मैं पानी हूं। तेरी मेरी कहानी हूं। पर्यावरण से धरती, धरती से हम तुम। मैं पानी हूं। तेरी मेरी कहानी हूं। मैं प्रदूषित हूं। तू प्यासा है। मिलकर हमारी जिंदगी खतरे में है। आइये, जल बचाएं, कल सजाएं। पानी को व्यर्थ न बहाएं। सबको ये बतलाएं। मैं पानी हूं। तेरी मेरी कहानी हूं।