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Gurudev Shri Shri Ravi Shankar : पर्यावरण संरक्षण के लिए हमें क्या करना चाहिए : गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर

India News Haryana (इंडिया न्यूज), Gurudev Shri Shri Ravi Shankar : आर्ट ऑफ़ लिविंग हरियाणा स्टेट मीडिया कोऑर्डिनेटर कुसुम धीमान द्वारा एक वर्चुअल मीटिंग ली गई, जिसमें पर्यावरण दिवस पर गुरुदेव श्री श्री रविशंकर के विचार साझा करते हुए कहा कि पर्यावरण हमारा पहला शरीर है, जहां से हमें भोजन मिलता है। हमारी पाँचों इन्द्रियों का भोजन हमें हमारे वातावरण से मिलता है। हमारा पूरा जीवन भोजन, स्वच्छ जल, शुद्ध हवा और अग्नि पर निर्भर है। ये सभी हमें पृथ्वी तत्व, जल तत्व, वायु तत्व और अग्नि तत्व से मिलते हैं।

सायनिक उर्वरक डालकर भूमि को न प्रदूषित करें

ये सभी चार तत्व आकाश तत्व में रहते हैं। इसलिए हमें इन पांचो तत्व का सम्मान करना चाहिए और इन्हें शुद्ध रखना चाहिए। तभी हम जीवन में सुखी रह सकते हैं और तभी यह दुनिया टिक सकती है। हम सभी को अपने पर्यावरण के बचाव के लिए काम करना चाहिए। प्रकृति स्वयं अपना कायाकल्प कर लेगी, लेकिन उसके लिए हमें कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए तो भूमि में कीटनाशक और हानिकारक रासायनिक उर्वरक डालकर भूमि को न प्रदूषित करें।

 

आर्ट ऑफ़ लिविंग हरियाणा स्टेट मीडिया कोऑर्डिनेटर कुसुम धीमान

अधिक से अधिक जैविक चीज़ों का उपयोग करना चाहिए

स्टेट मीडिया कोऑर्डिनेटर कुसुम धीमान ने बताया कि गुरुदेव श्री श्री रविशंकर के मुताबिक़ बहुत से लोगों को ये भ्रम है कि प्राकृतिक खेती से उनको फायदा नहीं होगा इसीलिए वे आज भी रासायनिक खेती करते हैं। लेकिन ऐसा नहीं है। प्राकृतिक खेती द्वारा हमारे किसान आज आर्थिक रूप से बेहतर स्थिति में हैं। इसीलिए यह आवश्यक है कि जमीन में कोई भी ऐसी चीज़ न डालें जिससे जमीन खराब हो। आपको अधिक से अधिक जैविक चीज़ों का उपयोग करना चाहिए।

आज आप दुकानों में जो देखते हैं, कल जब आप उन्हें खाएंगे तो वही आपके शरीर का अंश बन जाएगा। आज हम देखते हैं कि पिछले कई दशकों से कई तरह की रासायनिक खाद डाल कर हम अपनी जमीन को खराब कर दे रहे हैं । प्राकृतिक खेती से न केवल किसानों का जीवन स्तर ऊपर उठा है बल्कि रासायनिक खेती से जमीन को होने वाले नुकसान में भी कमी आई है।

Gurudev Shri Shri Ravi Shankar : हमें और अधिक पेड़ लगाने चाहिए

स्टेट मीडिया कोऑर्डिनेटर कुसुम धीमान बताया ऐसे ही पानी में प्रदूषण करने वाली चीजें और रसायनिक पदार्थ डालकर पानी को दूषित न करें। जमीन में पानी का स्तर बढ़ाना है तो पेड़ लगाएं और इसके साथ-साथ जल के स्रोत की सफाई पर भी ध्यान दें। यदि हमें नदियों और तालाबों को बचाना है तो उन्हें साफ़ रखना बहुत ज़रूरी है। जो नदियाँ और तालाब सूख गए हैं उनको पुनर्जीवित करना भी बहुत आवश्यक है। पेड़ धरती के फेफड़े हैं। इसलिए हमें और अधिक पेड़ लगाने चाहिए। प्राचीन वैदिक दर्शन में ऐसा कहा गया है कि “यदि आप एक पेड़ काटने जा रहे हैं तो आपको उससे आज्ञा लेनी पड़ेगी और उसे ये वचन देना पड़ेगा कि आप उसके जैसे ही पांच और पेड़ लगाएंगे। इसलिए पहले के समय में लोग पेड़ काटने से पहले इन सभी मान्यताओं का पालन करते थे।

धरती बहुत पवित्र है और हमें इसका आदर करना चाहिए

जब कभी आप किसी भी जंगल में जाएंगे तो देखेंगे कि वहां बहुत से जानवर रहते हैं लेकिन वे धरती को गंदा नहीं करते, लेकिन मनुष्य जहां रहते हैं वहीं पर्यावरण को दूषित करते रहते हैं। इसमें तुरन्त सुधार होना चाहिए। प्राचीन भारत में पर्यावरण की ईश्वर के रूप में पूजा की जाती थी। दुनिया की सभी प्राचीन सभ्यताओं ने पहाड़ों की, धरती की, नदियों और पेड़ों की पूजा की। उन्होने इन सभी को बहुत पवित्र माना। हमें इस विचार को वापस लाना है कि यह धरती बहुत पवित्र है और हमें इसका आदर करना चाहिए।

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Anurekha Lambra

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