डॉ जयश्री मलिक ने बताया ने बताया कि गेहूं की एलर्जी के लिए होम्योपैथिक दृष्टिकोण शरीर की बिगड़ी हुई प्रतिरक्षा को वापस व्यवस्थित करना है। यह शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को इस तरह से बनाता है कि आप बिना किसी डर के अपने पसंदीदा गेहूं उत्पादों का आनंद ले सकते हैं।
डॉ जयश्री मलिक ने बताया गेहूं में विभिन्न प्रोटीन होते हैं, और उनमें से एक प्रमुख है ग्लूटेन। जब किसी व्यक्ति को यह एलर्जी होती है, तो वह ऐसा कुछ भी नहीं पी या खा सकता है, जिसमें सामान्य तत्व हों और समस्या एक ऑटोइम्यून स्थिति है। ऐसी ऑटोइम्यून स्थितियों का इलाज केवल क्लासिकल होम्योपैथी में ही संभव है।
डॉ जयश्री मलिक ने बताया कि गेहूं की एलर्जी की अभिव्यक्तियों में त्वचा की जलन, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल असुविधा, श्वसन संबंधी समस्याएं और बहुत कुछ शामिल हैं। त्वचा पर खुजली, जलन और सूजन, पेट फूलना, आंखों में खुजली होने लगती है और पानी आने लगता है, आंखें लाल हो जाती हैं, घबराहट या दमा का लक्षण,पेट में ऐंठन, त्वचा पर धब्बे होना।
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