India News (इंडिया न्यूज़), AstraZeneca Covishield Vaccine : दवा निर्माता कंपनी एस्ट्राजेनेका (AstraZeneca) ने ब्रिटिश कोर्ट में बताया था कि उसकी कोविड वैक्सीन थ्रोम्बोसिस थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम का कारण बन सकती है। इसके कारण शरीर में खून का थक्का जमता है। भारत में इस कंपनी की कोविशील्ड के 170 करोड़ डोज लगाए गए हैं। उनका कहना है कि साइड इफेक्ट होता तो 6 माह में दिख जाते, अब तो कोविशील्ड लगे 2 वर्ष बीत चुके हैं।
वहीं रांची रिम्स के न्यूरो सर्जन डॉ. विकास कुमार का कहना है कि अमेरिकन सोसाइटी ऑफ हेमेटोलॉजी के पब्लिकेशन के अनुसार वैक्सीन से साइड इफेक्ट का खतरा 10 लाख लोगों से केवल 3 से 15 को ही होता है। इनमें भी 90 प्रतिशत से ज्यादा ठीक हो जाते हैं।
वहीं यह भी बताया कि खून के थक्के तो पहले भी जमते आए हैं। इसलिए यह नहीं कह सकते कि यह कोवीशील्ड के कारण हुआ। रही बात खून पतला होने के मामलों की तो यह समस्या पोस्ट कोविड इफेक्टिड भी हो सकती है।
इधर, एम्स दिल्ली के कम्युनिटी मेडिसिन एक्सपर्ट डॉ. संजय राय ने कोरोना वैक्सीन के बारे में अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि महामारी के दायरे में आने वाली प्रति दस लाख आबादी में से 15 हजार पर जान का खतरा था। ऐसे में इस आबादी को वैक्सीन देकर महामारी की घातकता 80 से 90% तक घटाई गई।
अमेरिका के हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के साइंटिस्ट डॉ. राम उपाध्याय की मानें तो उनका साफ कहना है कि सभी लोगों का एक जैसा मेटाबॉलिज्म नहीं होता। किसी को वैक्सीन का साइड इफेक्ट जीरो होता है तो किसी को 100%। इसीलिए वैक्सीन से जान का रिस्क 10 लाख में एक को ही है।
दवा कंपनी एस्ट्रजेनेका ने कहा, “उन लोगों के प्रति हमारी संवेदनाएं हैं, जिन्होंने अपनों को खोया है या जिन्हें गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ा। मरीजों की सुरक्षा हमारी पहली प्राथमिकता है। हमारी रेगुलेटरी अथॉरिटी सभी दवाइयों और वैक्सीन के सुरक्षित इस्तेमाल के लिए सभी मानकों का पूर्ण रूप से पालन करती है।”
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