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Independence Day 2024 : भारत की खूबसूरती इसकी वैचारिक अभिव्यक्ति और विविधता : श्री श्री रवि शंकर 

India News Haryana (इंडिया न्यूज़), Independence Day 2024 : स्वतंत्रता दिवस के पावन पर्व के अवसर पर हरियाणा स्टेट मीडिया कोऑर्डिनेटर कुसुम धीमान ने गुरुदेव रविशंकर के विचार अभिव्यक्त करते हुए कहा कि भारत की खूबसूरती इसकी विविधता है। वेद कहते हैं, ’सर्वं खल्विदं ब्रह्मा’ – सब कुछ दिव्यता से भरा हुआ है।

भारत अपने आप में बेहद विविध संस्कृतियों, भाषाओं, नस्लों, धर्मों, खान-पान और कला रूपों वाला एक महाद्वीप है, जिसका रंग रूप हर सौ किलोमीटर पर बदल जाता है। यहाँ के लोग इसकी विविधता को साथ लेकर आगे बढ़ते रहे हैं और इस देश की धरती हमेशा समृद्ध होती रही है, वहीं इसके उलट कई अन्य पूर्ववर्ती राष्ट्र इस विविधता को कायम नहीं रख पाए और उनका विघटन हो गया।

Independence Day 2024 : प्रगतिशील एवं समृद्ध जीवन के पथ पर ये देश अग्रसर

कुसुम धीमान ने बताया कि गुरुदेव कहते है कि भारत ने 77 वर्ष पहले राजनीतिक स्वतंत्रता प्राप्त की थी, लेकिन वैचारिक अभिव्यक्ति और आराधना की स्वतंत्रता हमेशा उसकी परंपराओं का अभिन्न अंग रहा है। ये दुनिया की सबसे पुरानी जीवित सभ्यता, जिसका हृदय युवा है और जीवंत भी, जहां वेदों का शाश्वत ज्ञान, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के साथ सहज रूप से मौजूद है। अपनी कई चुनौतियों के बावजूद, सत्यमेव जयते (सत्य की जीत होती है) का आदर्श वाक्य इस देश की जड़ों में आज भी कायम है और एक प्रगतिशील एवं समृद्ध जीवन के पथ पर ये देश अग्रसर है।

निःसंदेह देश को ऐसी ही क्रांति की आवश्यकता

प्रत्येक भारतीय को अपनी सभी सीमाओं से मुक्त होने में, अपनी वास्तविक क्षमता को पहचानने में तथा अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में जो रुकावटें हैं, उनकी पहचान करना अत्यंत आवश्यक है। केवल आर्थिक सशक्तिकरण भारत को आगे ले जाने के लिए पर्याप्त नहीं है।

व्यक्तिगत सशक्तिकरण, शांति, शिक्षा, कौशल विकास और समाज में तनाव के बढ़ते स्तर पर नियंत्रण, यह सब भी हमारी आर्थिक प्रगति जितना ही आवश्यक है। जब हमारी अधिकांश आबादी शारीरिक रूप से मजबूत, मानसिक रूप से सतर्क और सामाजिक रूप से जिम्मेदार हो, अपने आप में स्थित हो जाएगी तब व्यक्तिगत प्रगति और समृद्धि आपका स्वाभाविक क्रम बन जाती है। निःसंदेह देश को ऐसी ही क्रांति की आवश्यकता है।

मानवीय मूल्यों को फिर से जागृत करने की आवश्यकता

हमें चाहिए कि अमीर अधिक दयालु हों, गरीब अधिक आत्मविश्वास हासिल करें और आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ें। हमें चाहिए कि लोग दोषारोपण और पीड़ित मानसिकता से निकलकर सशक्त महसूस करने की उच्च स्थिति की ओर बढ़ें। इसे प्राप्त करने के लिए हमें देश में आध्यात्मिक क्रांति के साथ मानवीय मूल्यों को फिर से जागृत करने की आवश्यकता है, जिसके बिना प्रगति को बनाए रखना चुनौतीपूर्ण होगा, फिर वो प्रगति चाहे सामाजिक, राजनीतिक या आर्थिक ही क्यों न हो।

समाज तब तक सभ्य होने का दावा नहीं कर सकता जब तक वह हिंसा और अपराध से जूझ रहा हो

कुसुम धीमान ने बताया कि गुरुदेव के विचारों के अनुसार कोई भी समाज तब तक सभ्य होने का दावा नहीं कर सकता जब तक वह हिंसा और अपराध से जूझ रहा हो। हमें घरेलू और सामाजिक जीवन में हिंसा और अपराध की बढ़ती घटनाओं पर अंकुश लगाना ही होगा और यह केवल आध्यात्मिक ज्ञान से ही संभव है।

कोई दूसरा आपको रोजगार देगा, ऐसी प्रतीक्षा न करें। उद्यमशीलता की लौ को जलाएं ताकि हम हर गांव को आत्मनिर्भर और हर जिले को आर्थिक रूप से समृद्ध बना सकें। आध्यात्मिक दृष्टिकोण हमारी युवा पीढ़ी की ऊर्जा को मार्गदर्शन प्रदान करेगा। एक समग्र, सर्वव्यापी दृष्टिकोण ही हमारे लोगों को सच्ची प्रगति के लिए प्रेरित कर सकता है।

एक साथ मिलकर कदम उठाना होगा

इसके लिए सरकार, गैर सरकारी संगठनों, कॉरपोरेट्स और समाज को एक साथ मिलकर कदम उठाना होगा। अपने स्तर पर, हम आर्ट ऑफ लिविंग में ग्रामीण समुदायों में युवा नेताओं को तैयार करने के लिए कार्यक्रम चला रहे हैं जो अपने समुदायों को विविधता में सद्भाव, स्वास्थ्य, स्वच्छता, महिला सशक्तिकरण और पर्यावरण की देखभाल के बारे में लोगों को शिक्षित करने की जिम्मेदारी लेते हैं। हमने कश्मीर और उत्तर-पूर्व में कट्टरपंथ उन्मूलन कार्यक्रमों का सफलतापूर्वक आयोजन किया है, जिससे पूर्व सशस्त्र युवाओं को मुख्यधारा में शामिल करने में मदद मिली है।

आईये हम ध्यान, सेवा और आनंद के मार्ग पर एक साथ आगे बढ़ें

कुसुम धीमान ने बताया आर्ट ऑफ लिविंग संस्था, अब तक आठ करोड़ से अधिक पेड़ लगाएं हैं, पूरे भारत में 70 नदियों और जल निकायों का कायाकल्प और उन्हें पुनर्जीवित कर चुका है। आर्ट ऑफ़ लिविंग संस्था महिला सशक्तिकरण के लिए सक्रिय रूप से काम करता है और समाज के मानसिक स्वास्थ्य के उत्थान के लिए भी कई प्रशिक्षित परामर्शदाताओं को प्रशिक्षित करता है, जिसकी आज के समय में सख्त आवश्यकता है।

हम स्थानीय स्तर पर विवादों को निपटाने के लिए स्वयंसेवी मध्यस्थता कक्ष को भी स्थापित करने का काम कर रहे हैं। हमारा उद्देश्य एक स्वस्थ, आत्मनिर्भर और खुशहाल समाज के निर्माण के लिए प्रतिभाशाली नेतृत्व तैयार करना है। इस स्वतंत्रता दिवस पर मैं आप सभी से इस सामूहिक उपक्रम में अपना योगदान देने का आग्रह करता हूं। आईये हम ध्यान, सेवा और आनंद के मार्ग पर एक साथ आगे बढ़ें।

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Anurekha Lambra

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