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Dietary Rules : आहार के नियम भारतीय 12 महीनों के अनुसार

PUBLISHED BY: • LAST UPDATED : August 7, 2024

India News Haryana (इंडिया न्यूज़), Dietary Rules : आज कल लोग अपनी व्यस्तम जिंदगी में अपने स्वास्थ्य से दूर होते जा रहे हैं। भागमभाग भरी जिंदगी में लगातार स्वास्थ्य में गिरावट देखी जा रही है। आज आपको बताते हैं कि वर्षभर हर माह के अनुसार कैसा भोजन करना चाहिए जिससे कि हम स्वस्थ रह सकें।

चैत्र ( मार्च-अप्रैल)- इस महीने में चने का सेवन करें क्योंकि चना आपके रक्त संचार और रक्त को शुद्ध करता है एवं कई बीमारियों से भी बचाता है। चैत्र के महीने में नित्य नीम की 4 –5 कोमल पत्तियों का उपयोग भी करना चाहिए। इससे आप इस महीने के सभी दोषों से बच सकते हैं। नीम की पत्तियों को चबाने से शरीर में स्थित दोष शरीर से हटते हैं।

वैशाख (अप्रैल-मई)- वैशाख महीने में गर्मी की शुरुआत हो जाती है। बेल का इस्तेमाल इस महीने में अवश्य करना चाहिए जो आपको स्वस्थ रखेगा। वैशाख के महीने में तेल का उपयोग बिल्कुल न करें, क्योकि इससे आपका शरीर अस्वस्थ हो सकता है।

ज्येष्ठ (मई-जून)- भारत में इस महीने में सबसे अधिक गर्मी होती है। ज्येष्ठ के महीने में दोपहर में सोना स्वास्थ्यवर्द्धक होता है। ठंडी छाछ, लस्सी, जूस और अधिक से अधिक पानी का सेवन करें। बासी खाना, गरिष्ठ भोजन एवं गर्म चीजों का सेवन न करें। इनके प्रयोग से आपका शरीर रोगग्रस्त हो सकता है।

अषाढ़ (जून-जुलाई)- आषाढ़ के महीने में आम, पुराने गेंहू, सत्तु , जौ, भात, खीर, ठंडे पदार्थ, ककड़ी, पलवल, करेला व बथुआ आदि का उपयोग करे व आषाढ़ के महीने में भी गर्म प्रकृति की चीजों का प्रयोग करना आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।

श्रावण (जूलाई-अगस्त) – श्रावण के महीने में हरड़ का इस्तेमाल करना चाहिए। श्रावण में हरी सब्जियों का त्याग करें एव दूध का इस्तेमाल भी कम करें। भोजन की मात्रा भी कम लें। – पुराने चावल, पुराने गेंहू, खिचड़ी, दही एवं हलके सुपाच्य भोजन को अपनाएं।

भाद्रपद (अगस्त-सितम्बर) – इस महीने में हलके सुपाच्य भोजन का इस्तेमाल कर वर्षा का मौसम होने के कारण आपकी जठराग्नि भी मंद होती है, इसलिए भोजन सुपाच्य ग्रहण करेँ। इस महीने में चिता औषधि का सेवन करना चाहिए।

आश्विन (सितम्बर-अक्टूबर) – इस महीने में दूध, घी, गुड़, नारियल, मुन्नका, गोभी आदि का सेवन कर सकते है। ये गरिष्ठ भोजन है लेकिन फिर भी इस महीने में पच जाते हैं क्योकि इस महीने में हमारी जठराग्नि तेज होती है।

कार्तिक (अक्टूबर-नवम्बर) – कार्तिक महीने में गरम दूध, गुड, घी, शक्कर, मुली आदि का उपयोग करें। ठंडे पेय पदार्थों का प्रयोग छोड़ दें। छाछ, लस्सी, ठंडा दही, ठंडा फ्रूट जूस आदि का सेवन न करें, इनसे आपके स्वास्थ्य को हानि हो सकती है।

मार्गशीर्ष (नवम्बर-दिसम्बर) – इस महीने में ठंडी और अधिक गरम वस्तुओं का प्रयोग न करे।

पौष (दिसम्बर-जनवरी) – इस ऋतू में दूध, खोया एवं खोये से बने पदार्थ, गौंद के लड्डू, गुड़, तिल, घी, आलू  व आंवला आदि का प्रयोग करें, ये पदार्थ आपके शरीर को स्वास्थ्य देंगे। ठन्डे पदार्थ, पुराना अन्न, मोठ, कटु और रुक्ष भोजन का उपयोग न करें।

माघ (जनवरी-फ़रवरी) – इस महीने में भी आप गरम और गरिष्ठ भोजन का इस्तेमाल कर सकते हैं। घी, नए अन्न, गौंद के लड्डू आदि का प्रयोग कर सकते हैं।

फाल्गुन (फरवरी-मार्च) – इस महीने में गुड़ का उपयोग करें। सुबह के समय योग एवं स्नान का नियम बना लें। चने का उपयोग न करें।

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